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लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान 74% लोग स्ट्रेस में, केजीएमयू ने करवाया सर्वे

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लॉकडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों की मानसिक स्थिति जानने के लिए इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के माध्यम से एक सर्वे करवाया गया. इसकी रिपोर्ट के मुताबिक 74% लोग ऐसे थे जो स्ट्रेस में पाए गए.

मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे.
मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे.
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Published : Jun 1, 2020, 4:42 PM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में लोगों से घरों में ही रहने की अपील की गई थी. इस दौरान लोग घर-परिवार के साथ रह रहे थे. ऐसे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने लोगों की मानसिक स्थिति जानने के लिए एक ऑनलाइन सर्वे किया. जिसके अपेक्षा के उलट परिणाम आए हैं. इस सर्वे में तकरीबन 74% लोग ऐसे थे जो स्ट्रेस में पाए गए.

मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे.

मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे

सर्वे के बारे में केजीएमयू के मानसिक चिकित्सा रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन में घर में रह रहे लोगों की मानसिक स्थिति कैसी रही, इसके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए यह ऑनलाइन सर्वे किया गया था. इसमें तकरीबन अट्ठारह सौ इकहत्तर लोगों ने प्रतिभाग किया था. इनमें से लगभग 17 सौ लोगों के जवाब की एनालिसिस की गई.

इस सर्वे के दौरान हमने लोगों से एंजाइटी, डिप्रेशन और स्ट्रेस के साथ सोशल वेल बीइंग की एक्टिविटी के बारे में कुछ सवाल किए थे. इसकी रिपोर्ट दुनिया भर में मानी गई है. इस सर्वे में ऑथेंटिक स्केल के आधार पर आंकड़े तैयार किए गए हैं.

लॉकडाउन के दौरान 74% लोग स्ट्रेस में पाए गए

डॉक्टर दलाल ने बताया कि हमें जो आंकड़े मिले हैं, वह बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 38.5 प्रतिशत लोगों को एंजाइटी डिसऑर्डर रहा. 9.5 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन की समस्या पाई गई. यदि इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो लगभग 40 प्रतिशत लोग यानी हर 5 में से 2 व्यक्तियों के सामने एंजाइटी या डिप्रेशन जैसी समस्याएं आईं.

डॉ. दलाल ने आगे बताया कि इस सर्वे में यह भी पाया गया कि तकरीबन 74% लोग ऐसे थे जो स्ट्रेस में पाए गए. यह सर्वे लॉकडाउन-1 यानी 6 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच में किया गया था. इस सर्वे में यह भी देखा गया कि इन लोगों में से 70% लोगों मे सोशल वेल बीइंग नेगेटिव हैं.

650 मनोवैज्ञानिकों के नाम और नंबर की जानकारी भी की गई साझा

डॉक्टर दलाल ने बताया कि इस सर्वे के साथ-साथ हमने तकरीबन 650 मनोवैज्ञानिकों का नाम और उनसे संपर्क के माध्यम की जानकारी को भी इस ऑनलाइन सर्वे में शामिल किया था. जिससे यदि उन व्यक्तियों में से कोई समस्या को लेकर परामर्श लेना चाहता हो तो वह उन नंबर पर कांटेक्ट करके या मनोवैज्ञानिकों से बातचीत करके अपनी समस्या का समाधान कर सके.

क्या रही नकारात्मकता और स्ट्रेस की वजह

डॉक्टर दलाल ने बताया कि लोगों में इस नकारात्मकता और स्ट्रेस की वजह कहीं न कहीं उनका घर पर बैठना भी था. उनकी नौकरी, कमाई और आसपास के लोगों से न मिल पाना या बाहर न निकल पाना उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी पैदा कर रहा था. इसकी वजह से ज्यादातर लोगों में स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या देखी गई.

इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के माध्यम से एक सर्वे करवाया गया. इसकी रिपोर्ट तैयार की गई है और उसे इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित भी किया जा रहा है.
-डॉ. पीके दलाल,विभागाध्यक्ष, मानसिक चिकित्सा रोग विभाग, केजीएमयू

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में लोगों से घरों में ही रहने की अपील की गई थी. इस दौरान लोग घर-परिवार के साथ रह रहे थे. ऐसे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने लोगों की मानसिक स्थिति जानने के लिए एक ऑनलाइन सर्वे किया. जिसके अपेक्षा के उलट परिणाम आए हैं. इस सर्वे में तकरीबन 74% लोग ऐसे थे जो स्ट्रेस में पाए गए.

मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे.

मानसिक चिकित्सा रोग विभाग ने करवाया सर्वे

सर्वे के बारे में केजीएमयू के मानसिक चिकित्सा रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन में घर में रह रहे लोगों की मानसिक स्थिति कैसी रही, इसके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए यह ऑनलाइन सर्वे किया गया था. इसमें तकरीबन अट्ठारह सौ इकहत्तर लोगों ने प्रतिभाग किया था. इनमें से लगभग 17 सौ लोगों के जवाब की एनालिसिस की गई.

इस सर्वे के दौरान हमने लोगों से एंजाइटी, डिप्रेशन और स्ट्रेस के साथ सोशल वेल बीइंग की एक्टिविटी के बारे में कुछ सवाल किए थे. इसकी रिपोर्ट दुनिया भर में मानी गई है. इस सर्वे में ऑथेंटिक स्केल के आधार पर आंकड़े तैयार किए गए हैं.

लॉकडाउन के दौरान 74% लोग स्ट्रेस में पाए गए

डॉक्टर दलाल ने बताया कि हमें जो आंकड़े मिले हैं, वह बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 38.5 प्रतिशत लोगों को एंजाइटी डिसऑर्डर रहा. 9.5 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन की समस्या पाई गई. यदि इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो लगभग 40 प्रतिशत लोग यानी हर 5 में से 2 व्यक्तियों के सामने एंजाइटी या डिप्रेशन जैसी समस्याएं आईं.

डॉ. दलाल ने आगे बताया कि इस सर्वे में यह भी पाया गया कि तकरीबन 74% लोग ऐसे थे जो स्ट्रेस में पाए गए. यह सर्वे लॉकडाउन-1 यानी 6 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच में किया गया था. इस सर्वे में यह भी देखा गया कि इन लोगों में से 70% लोगों मे सोशल वेल बीइंग नेगेटिव हैं.

650 मनोवैज्ञानिकों के नाम और नंबर की जानकारी भी की गई साझा

डॉक्टर दलाल ने बताया कि इस सर्वे के साथ-साथ हमने तकरीबन 650 मनोवैज्ञानिकों का नाम और उनसे संपर्क के माध्यम की जानकारी को भी इस ऑनलाइन सर्वे में शामिल किया था. जिससे यदि उन व्यक्तियों में से कोई समस्या को लेकर परामर्श लेना चाहता हो तो वह उन नंबर पर कांटेक्ट करके या मनोवैज्ञानिकों से बातचीत करके अपनी समस्या का समाधान कर सके.

क्या रही नकारात्मकता और स्ट्रेस की वजह

डॉक्टर दलाल ने बताया कि लोगों में इस नकारात्मकता और स्ट्रेस की वजह कहीं न कहीं उनका घर पर बैठना भी था. उनकी नौकरी, कमाई और आसपास के लोगों से न मिल पाना या बाहर न निकल पाना उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी पैदा कर रहा था. इसकी वजह से ज्यादातर लोगों में स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या देखी गई.

इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के माध्यम से एक सर्वे करवाया गया. इसकी रिपोर्ट तैयार की गई है और उसे इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित भी किया जा रहा है.
-डॉ. पीके दलाल,विभागाध्यक्ष, मानसिक चिकित्सा रोग विभाग, केजीएमयू

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