लखनऊ : केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की भर्ती के कई मामले उजागर हुए. इसमें कुछ पर कार्रवाई हुईं तो अधिकतर जांचें ठंडे बस्ते में चली गई. मामला कोर्ट तक पहुंचने पर संस्थान प्रशासन ने जांच शुरू की. ऐसे में एक के बाद एक घपला उजागर हो रहा है. 19 व 22 जून को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले दो कर्मियों को टर्मिनेट किया गया. 24 जून को दो और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया. यह जांच 2002 के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाए 9 कर्मियों के खिलाफ चल रही है. अब प्रधान सहायक रैनी थॉमस व सफाई कर्मी अभिषेक वाल्मीकि की सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं.
16 साल बाद किया बर्खास्त
22 जून को 16 साल बाद कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कुमारी काले की नौकरी कर रहीं मां की मृत्यु 2005 में हुई थी. वहीं उनके पिता भी केजीएमयू में नौकरी कर रहे थे. इसके बावजूद कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने का तथ्य छिपा लिया. वहीं अपनी माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में नियुक्ति को अवैध मान कर नौकरी के 16 साल बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
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एक कर्मी सेवाकाल के 13 वें साल बर्खास्त
सुमित कुमार केजीएयू में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था. वर्ष 2008 में नौकरी मिली. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. इसमें जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. बावजूद यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की गई. ऐसे में यह गलत है.