लखनऊ: सर्दियों के दिनों में कश्मीरी पैसे कमाने के लिए 1500 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद नवाबों के शहर में ड्राई फ्रूट बेचने आते हैं. बीते साल कश्मीरियों के साथ राहगीरों और पुलिस ने गलत रवैया अपनाया था. इस रवैये के चलते पिछले साल कश्मीरी करीब 15 दिनों तक परेशान रहे थे. इस बार फिर से कश्मीरी गोमती नदी के किनारे रिवर फ्रंट पर ड्राई फ्रूट बेचने आए हैं. उनका कहना है कि इस बार लोग उनको सपोर्ट कर रहे हैं और पुलिस का रवैया भी बीते साल की अपेक्षा सरल दिखाई दे रहा है.
आपको बताते चलें कि पिछले साल लखनऊ में कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं हुई थी. लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी थे. कश्मीरियों के साथ पुलिस का वही रवैया था, जो कभी 90 के दशक में देखा जाता था. लेकिन कमिश्नरेट के बाद पुलिस ने अपनी छवि को काफी बदला है. इस बदलती छवि के साथ लोगों ने पुलिस के तमाम कार्यों की सराहना भी की है. फिर चाहे किसी गरीब, मजबूर की सहायता करना हो या फिर किसी गुमशुदा को कर्तव्य पूर्ण कम समय में ढूंढ कर परिजनों को सौंपा हो, इन मानवीय कार्यों के चलते पुलिस ने अपनी अलग पहचान बनाई है. इसी पहचान के बदौलत कश्मीर से लखनऊ में ड्राई फ्रूट बेचने आए कश्मीरियों ने भी इसका एहसास किया है. कश्मीरियों का कहना है कि पुलिस इस बार बिल्कुल भी परेशान नहीं कर रही है. जब कभी बड़े नेताओं की फ्लीट निकलती है, उस दौरान पुलिस पहले ही कह देती है कि आप लोग अभी यहां से हट जाइए नेताओं की गाड़ियां निकलकर जाएंगी. हम लोग उस दौरान साइड हो जाते हैं और पुनः कुछ देर बाद गोमती नदी के पुल पर बने फुटपाथ पर ड्राई फ्रूट बेचने लगते हैं. कश्मीरियों ने सहयोग के लिए यूपी पुलिस को धन्यवाद भी कहा है.
कश्मीर से लोग इकट्ठे होकर 50 से 100 की संख्या में लखनऊ में ड्राई फ्रूट लेकर बेचने आते हैं. इसमें काजू ,बादाम, पिस्ता, चिरौंजी, केसर सहित तमाम मेवा साथ में लाते हैं और पूरी सर्दियों में यहां पर सामान बेचते रहते हैं. सर्दियों के बाद वह यहां से अपने घर परिवार में वापस लौट जाते हैं.