लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आचार सहिंता लागू होते ही कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने वीआरएस लेने का फैसला किया है. इस बात की सूचना असीम अरुण ने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से दी है. इसके अलावा उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भी ली है. माना जा रहा है कि 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी कन्नौज से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं ईडी के जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के वीआरएस को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. राजेश्वर ने 4 महीने पहले वीआरएस मांगा था.
सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए असीम अरुण ने लिखा है कि 'आपको यह अवगत कराना चाहता हूं कि मैंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है, क्योंकि अब राष्ट्र और समाज की सेवा एक नए रूप में करना चाहता हूं. मैं बहुत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं कि मा. योगी आदित्यनाथ जी ने मुझे भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता के योग्य समझा'.
माना जा रहा है कि असीम अरुण ने कुछ दिन पहले ही भाजपा की सदस्यता लेने का मन बना लिया था, लेकिन इसका ऐलान करने के लिए वो अचार सहिंता लगने का इंतजार कर रहे थे. असीम अरुण अपने गृह जनपद कन्नौज की सदर सीट से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकेंगे.
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कौन हैं असीम अरुण
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को यूपी के कन्नौज में हुआ था. उनके पिता श्रीराम अरुण भी एक आईपीएस ऑफिसर थे. वह उत्तर प्रदेश के डीजीपी भी रहे हैं. उनकी माता शशि अरुण जानी-मानी लेखिका और समाजसेविका हैं. असीम ने अपनी शुरुआती शिक्षा लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल से हासिल की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की.
आईपीएस बनने के बाद असीम अरुण यूपी के कई जिलों में तैनात रहे. उन्होंने टिहरी, गढ़वाल (उस समय यूपी का हिस्सा था) के अलावा यूपी के जनपद बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा में बतौर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उप महानिरीक्षक अपनी सेवाएं दीं. इसके बाद वह कुछ समय के लिए स्टडी लीव पर विदेश चले गए थे, लेकिन लौटकर आने के बाद उन्होंने एटीएस लखनऊ में कार्यभार संभाला. इसके बाद से वह डायल 112 के एडीजी के पद पर तैनात थे.
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पहली स्वॉट टीम बनाने का जाता है श्रेय
लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में छिपे आतंकी सैफुल्लाह को 2017 में जिस एटीएस की टीम ने मार गिराया था उसे असीम ही लीड कर रहे थे. देश में जनपद स्तर पर पहली स्वॉट टीम बनाने का श्रेय भी असीम अरुण को ही जाता है. असीम अरुण को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दल में शामिल किया गया था. वह एसपीजी में प्रधानमंत्री के अंदरूनी घेरे की सुरक्षा सीपीटी का नेतृत्व भी कर चुके हैं.
कौन है राजेश्वर सिंह
कभी कांग्रेस यूपीए सरकार के चर्चित घोटालों की जांच और कई तत्कालीन प्रमुख सियासी चेहरों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले ईडी के जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के वीआरएस को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. राजेश्वर सिंह ने 4 महीने पहले वीआरएस मांगा था. राजेश्वर सिंह भी भाजपा से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. राजेश्वर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय ज्वाइन किया और कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच में शामिल रहने के साथ ही जांच की जिम्मेदारी भी संभाली. इन महत्वपूर्ण मामलों में बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम केस से सम्बन्धित मामलों की जांच की भी जिम्मेदारी इनके पास थी. यूपीए सरकार में हुए कामनवेल्थ गेम्स हुए घोटाले और कोल डिपो के आवंटन में हुई अनियमितता की जांच भी इन्होंने की. इसके साथ ही अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर डील में हुई अनियमितता के मामले में तत्कालीन मंत्री पी चिदंबरम के साथ उनके बेटे कार्ति चिदम्बरम के खिलाफ कार्रवाई की. इसके अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ चल रही जांच भी राजेश्वर सिंह के पास थी. राजेश्वर सिंह के पास माइनिंग की इंजीनियरिंग और ह्यूमन राइट्स की भी डिग्री है.
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर के रहने वाले राजेश्वर सिंह को 2015 में स्थायी रूप से ईडी कैडर में शामिल कर लिया गया था. राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह आईपीएस अधिकारी हैं और मौजूदा समय लखनऊ रेंज आईजी के पद पर तैनात हैं.