लखनऊ: दंडनायक काल भैरव को शिव का तीसरा रुद्रावतार कहा गया है. शास्त्रों के मुताबिक भगवान काल भैरव मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर प्रकट हुए थे. इसलिए आज शाम को और आधी रात में इनकी विशेष पूजा की जाएगी.
आज अष्टमी तिथि सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन यानी रविवार को सुबह तकरीबन 6 बजे तक रहेगी. भगवान काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. साथ ही हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. काल भैरव की महापूजा से हर तरह की बीमारियां और डर खत्म हो जाता है. इनकी पूजा प्रदोष काल यानी शाम 5.35 से रात 8 बजे तक और रात 12 से 3 के बीच करनी चाहिए.
ऐसे करें पूजन
1. नहाने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा करें, काले कपड़े धारण करने चाहिए.
2. जिस आसन पर बैठकर पूजा की जानी है उस पर भी काला कपड़ा बिछाएं.
3. काल भैरव की पूजा ऊनी आसन पर बैठकर भी की जा सकती है.
4. पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतूरे के फूल का इस्तेमाल जरूर करें.
5. काल भैरव को चमेली के फूल या नीले फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही सरसों के तेल का दीपक लगाएं.
6. भगवान को नैवेद्य में जलेबी, पापड़, पूड़ी पुए और पकौड़े भगवान को भोग लगाएं.
7. इस दिन व्रत करने और काले कुत्ते को खाना खिलाने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं.
8. पूजा में ऊं कालभैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें.
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