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लखीमपुर खीरी हिंसाः आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को किया केस से अलग, पहले दी थी बेल

लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को केस से अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को तय करना है कि कौन मामले की सुनवाई करेगा.

लखीमपुर खीरी हिंसाः आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को किया अलग, पहले दी थी बेल
लखीमपुर खीरी हिंसाः आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को किया अलग, पहले दी थी बेल
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Published : Apr 27, 2022, 6:52 PM IST

Updated : Apr 27, 2022, 7:49 PM IST

लखनऊः यूपी के लखीमपुर खीरी के तिकुनियां गांव में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई से जुड़े जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को केस से अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तय करेंगे कि कौन जज केस की सुनवाई करेगा.

पहले इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी. बीती 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया था. अब जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है.

कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष पुनः रखने के निर्देश दिए ताकि मामले को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए. उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी को इसी पीठ ने आशीष मिश्रा की याचिका को मंजूर करते हुए, उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. बाद में जमानत मंजूर किए जाने के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले के वादी पक्ष ने चुनौती दी थी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के आदेश को निरस्त करते हुए, वादी पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए, मामले को दोबारा सुने जाने का निर्देश हाईकोर्ट को दिया था.

इस दौरान इसी मामले में अभियुक्त बनाए गए अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की ओर से भी जमानत याचिकाएं दाखिल की गईं, जिन पर सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित किया हुआ है. इन अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई है कि अंकित दास स्वयं घटनास्थल पर फंस गया था. उसे वहां दो पुलिसकर्मियों ने भीड़ से बचाकर निकाला व थाने पर पहुंचाया. यह भी कहा गया कि अंकित दास की लाइसेंसी पिस्टल से फायर होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं.

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार दिया. इसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 12 अन्य आरोपी जेल भेजे गए थे. वहीं 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट पीटकर हत्या कर दी थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप मढ़े थे.

इसमें केंद्रीय मंत्री के पुत्र पर हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ जेल भेज दिया गया था. बीते 15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गये थे. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैसला सुरक्षित कर लिया. फिर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था.

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लखनऊः यूपी के लखीमपुर खीरी के तिकुनियां गांव में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई से जुड़े जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को केस से अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तय करेंगे कि कौन जज केस की सुनवाई करेगा.

पहले इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी. बीती 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया था. अब जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है.

कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष पुनः रखने के निर्देश दिए ताकि मामले को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए. उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी को इसी पीठ ने आशीष मिश्रा की याचिका को मंजूर करते हुए, उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. बाद में जमानत मंजूर किए जाने के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले के वादी पक्ष ने चुनौती दी थी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के आदेश को निरस्त करते हुए, वादी पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए, मामले को दोबारा सुने जाने का निर्देश हाईकोर्ट को दिया था.

इस दौरान इसी मामले में अभियुक्त बनाए गए अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की ओर से भी जमानत याचिकाएं दाखिल की गईं, जिन पर सुनवाई के पश्चात हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित किया हुआ है. इन अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई है कि अंकित दास स्वयं घटनास्थल पर फंस गया था. उसे वहां दो पुलिसकर्मियों ने भीड़ से बचाकर निकाला व थाने पर पहुंचाया. यह भी कहा गया कि अंकित दास की लाइसेंसी पिस्टल से फायर होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं.

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार दिया. इसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 12 अन्य आरोपी जेल भेजे गए थे. वहीं 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट पीटकर हत्या कर दी थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप मढ़े थे.

इसमें केंद्रीय मंत्री के पुत्र पर हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ जेल भेज दिया गया था. बीते 15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गये थे. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैसला सुरक्षित कर लिया. फिर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था.

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Last Updated : Apr 27, 2022, 7:49 PM IST
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