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बदले की भावना से किया गया न्याय, इंसाफ नहीं : सीजेआई बोबडे - जोधपुर में सीजेआई बोबडे

देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद एनकाउंटर की घटना को लेकर कहा है कि बदला न्याय नहीं हो सकता. जस्टिस बोबडे ने हालांकि घटना का नाम तो नहीं लिया, लेकिन हाल ही में हुई घटना का जिक्र जरूर किया.

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सीजेआई बोबडे.
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Published : Dec 7, 2019, 8:47 PM IST

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के झालामंड में नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद एनकाउंटर की घटना का नाम लिए बगैर कहा कि देश में हाल ही में जो घटना हुई है, वह एक बड़ी डिबेट का विषय हो सकती है.

बदले की भावना से त्वरित न्याय, न्याय नहीं

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संकोच की बात नहीं है. आपराधिक मामलों के निस्तारण की व्यवस्था में पुनःविचार करने की आवश्यकता है. बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि जिस तरीके से आपराधिक मामलों के निस्तारण में समय लग रहा है उसको लेकर इन बातों की तरफ सोचना होगा, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि बदले की भावना से त्वरित न्याय कभी भी न्याय नहीं हो सकता.

पढ़ेंः उन्नाव मामले की पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंचीं प्रियंका गांधी

बदले की भावना से न्याय नहीं हो सकता : जस्टिस बोबडे
सीजेआई बोबडे ने कहां की मेरा मानना है कि बदले की भावना से प्राप्त किया गया न्याय न्याय नहीं हो सकता. इसी समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में लोकतंत्र को खतरा होने की बात उठाने की बात कही और साथ ही कहा कि उनमें से एक न्यायाधीश को बाद में मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था.

सीजेआई बोबडे ने इसका जवाब देते हुए कहा कि न्यायिक व्यवस्था में जब भी सुधार की जरूरत होती है. न्यायाधीश बोलते हैं. यह बात अलग है कि उन बातों को सार्वजनिक किया जाए या नहीं किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जस्टिस तरूण गोगाई जो की मुख्य न्यायाधीश बने, बहुत ही उच्च कोटि के न्यायाधीश हैं.

पढ़ेंः राजस्थान सबसे भ्रष्ट राज्य तो एसीबी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे नहीं, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

मुकदमें से पहले मध्यस्थता की व्यवस्था होनी चाहिए : CJI
बढ़ते मुकदमे और लंबित होते मामलों के निस्तारण को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरी मंशा है कि देश में किसी भी तरह का मुकदमा दायर होने से पहले मध्यस्थता की संभावनाएं टटोली जानी चाहिए. इसको लेकर हमें काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि मध्यस्थता को लेकर अभी कोई डिग्री या कोर्सेज नहीं हैं, लेकिन मैं सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से चाहूंगा कि वह इस पर काम करें.

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के झालामंड में नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद एनकाउंटर की घटना का नाम लिए बगैर कहा कि देश में हाल ही में जो घटना हुई है, वह एक बड़ी डिबेट का विषय हो सकती है.

बदले की भावना से त्वरित न्याय, न्याय नहीं

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संकोच की बात नहीं है. आपराधिक मामलों के निस्तारण की व्यवस्था में पुनःविचार करने की आवश्यकता है. बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि जिस तरीके से आपराधिक मामलों के निस्तारण में समय लग रहा है उसको लेकर इन बातों की तरफ सोचना होगा, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि बदले की भावना से त्वरित न्याय कभी भी न्याय नहीं हो सकता.

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बदले की भावना से न्याय नहीं हो सकता : जस्टिस बोबडे
सीजेआई बोबडे ने कहां की मेरा मानना है कि बदले की भावना से प्राप्त किया गया न्याय न्याय नहीं हो सकता. इसी समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में लोकतंत्र को खतरा होने की बात उठाने की बात कही और साथ ही कहा कि उनमें से एक न्यायाधीश को बाद में मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था.

सीजेआई बोबडे ने इसका जवाब देते हुए कहा कि न्यायिक व्यवस्था में जब भी सुधार की जरूरत होती है. न्यायाधीश बोलते हैं. यह बात अलग है कि उन बातों को सार्वजनिक किया जाए या नहीं किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जस्टिस तरूण गोगाई जो की मुख्य न्यायाधीश बने, बहुत ही उच्च कोटि के न्यायाधीश हैं.

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मुकदमें से पहले मध्यस्थता की व्यवस्था होनी चाहिए : CJI
बढ़ते मुकदमे और लंबित होते मामलों के निस्तारण को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरी मंशा है कि देश में किसी भी तरह का मुकदमा दायर होने से पहले मध्यस्थता की संभावनाएं टटोली जानी चाहिए. इसको लेकर हमें काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि मध्यस्थता को लेकर अभी कोई डिग्री या कोर्सेज नहीं हैं, लेकिन मैं सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से चाहूंगा कि वह इस पर काम करें.

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Body:बदला न्याय नहीं हो सकता मुख्य न्यायाधीश
जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के झालामंड में नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद की घटना वह हैदराबाद का नाम लिए बगैर कहा कि देश में हाल ही में जो घटना हुई है वह एक बड़ी डिबेट का विषय हो सकती है ।  उन्होंने कहा किइसमे कोई संकोच की बात नही है आपराधिक मामलों के निस्तारण की व्यवस्था में पुनःविचार करने की आवश्यकता है बदलाव की आवश्यकता है। क्योंकि जिस तरीके से आपराधिक मामलों के निस्तारण में समय लग रहा है उसको लेकर इन बातों की तरफ सोचना होगा लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि बदले की भावना से त्वरित न्याय कभी भी न्याय नही हो सकता। जस्टिस बोर्ड ने कहां की मेरा मानना है कि बदले की भावना से प्राप्त किया गया न्याय न्याय नहीं हो सकता। इसी समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में लोकतंत्र को खतरा होने की बात उठाने की बात कही और साथ ही कहा कि उनमें से एक न्यायाधीश को बाद में मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था जस्टिस बोर्ड ने इसका जवाब देते हो कहा कि न्यायिक व्यवस्था में जब भी सुधार की जरूरत होती है न्यायाधीश बोलते हैं यह बात अलग है कि उन बातों को सार्वजनिक किया जाए या नहीं किया जाए साथ ही उन्होंने कहा कि जस्टिस तरण गोगाई जो के मुख्य न्यायाधीश बने तो बहुत ही उच्च कोटि के न्यायाधीश है। बढ़ते मुकदमे और लंबित होते मामले के निस्तारण को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरी मंशा है कि देश में किसी भी तरह का मुकदमा दायर होने से पहले मध्यस्था की संभावनाएं टटोली जानी चाहिए इसको लेकर हमें काम करना चाहिए उन्होंने कहा कि हालांकि मध्यस्था को लेकर अभी कोई डिग्री या कोर्सेज नहीं है । लेकिन मैं सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से चाहूंगा कि वह इस पर काम करें।
बाईट 1 एस अरविंद बोबडे, भारत के मुख्य न्यायाधीश
बाईट 2 अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री
बाईट 3 एस अरविंद बोबडे, भारत के मुख्य न्यायाधीश





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