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अटल जी से राजनीतिक बदला चुकाने लखनऊ आए थे जेठमलानी

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Published : Sep 8, 2019, 7:59 PM IST

देश के सबसे महंगे वकीलों में शुमार रहे राम जेठमलानी का दुनिया से रिश्ता खत्म हो गया. अब उनके राजनीतिक करियर पर राजनीतिक विश्लेषक अपना नजरिया पेश कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अटल से राजनीतिक बदला चुकाने के लिए जेठमलानी लखनऊ से चुनाव लड़े थे.

2004 में अटली जी के खिलाफ चुनाव लड़े थे राम जेठमलानी.

लखनऊ: देश के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार किए जाने वाले राम जेठमलानी का राजनीति से रिश्ता कुछ कितना करीब का रहा कि कई बार यह सवाल लोग एक दूसरे से पूछा करते थे कि वह वकालत कब करते हैं और राजनीति कब?

2004 में अटली जी के खिलाफ चुनाव लड़े थे राम जेठमलानी.

आपातकाल के दौरान जेल गए थे जेठमलानी
आपातकाल में जेल जाने वाले राम जेठमलानी ने लोकसभा चुनाव मुंबई से दो बार जीता. लखनऊ लोकसभा सीट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी हालांकि बाजपेई का चुनावी नुकसान तो नहीं कर सके, लेकिन तीसरे नंबर पर रहकर उन्होंने अपने गंभीर प्रत्याशी होने का पूरा एहसास कराया.

2004 में अटली जी के खिलाफ चुनाव लड़े थे राम जेठमलानी
लखनऊ लोकसभा सीट पर 2004 में जब राम जेठमलानी चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे तो जीतने से ज्यादा उनका जोर अटल बिहारी वाजपेयी की छवि को नुकसान पहुंचाने पर रहा. अटल की कैबिनेट से बाहर होने के बाद चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी ने अपना सारा चुनावी अभियान अटल सरकार की नाकामियों और शाइनिंग इंडिया नारे की पोल खोलने पर केंद्रित कर दी.
नामांकन और मतदान के दौरान जेठमलानी ने लखनऊ में डेरा डाले रखा, लेकिन उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि लखनऊ से उनका रिश्ता कभी स्थायी नहीं बन पाएगा.

अटल जी के सामने राम जेठमलानी अपनी हैसियत समझ चुके थे
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि राम जेठमलानी ने चुनाव को बाहर से आए हुए प्रत्याशी के तौर पर ही लड़ा. उनकी शख्सियत जरूर बड़ी थी, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के मुकाबले में वह अपनी हैसियत जानते थे. यही वजह है कि वह इस चुनाव को जीतने के बजाय अटल से अपना बदला चुकाने के अवसर के तौर पर देखते रहे.

अटल जी का लखनऊ से प्रगाढ़ रिश्ता था
भारतीय जनता पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं ने राम जेठमलानी और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हुए चुनाव को नजदीक से देखा, उनमें से पार्टी के मौजूदा प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सिंह राणा भी हैं. वह बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक कद और लखनऊ के नागरिकों से उनके प्रगाढ़ रिश्ते की मजबूती को जेठमलानी भी समझ गए थे. यही वजह है कि उन्होंने चुनाव को तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद बेहद शालीनता के साथ लड़ा.

लखनऊ: देश के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार किए जाने वाले राम जेठमलानी का राजनीति से रिश्ता कुछ कितना करीब का रहा कि कई बार यह सवाल लोग एक दूसरे से पूछा करते थे कि वह वकालत कब करते हैं और राजनीति कब?

2004 में अटली जी के खिलाफ चुनाव लड़े थे राम जेठमलानी.

आपातकाल के दौरान जेल गए थे जेठमलानी
आपातकाल में जेल जाने वाले राम जेठमलानी ने लोकसभा चुनाव मुंबई से दो बार जीता. लखनऊ लोकसभा सीट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी हालांकि बाजपेई का चुनावी नुकसान तो नहीं कर सके, लेकिन तीसरे नंबर पर रहकर उन्होंने अपने गंभीर प्रत्याशी होने का पूरा एहसास कराया.

2004 में अटली जी के खिलाफ चुनाव लड़े थे राम जेठमलानी
लखनऊ लोकसभा सीट पर 2004 में जब राम जेठमलानी चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे तो जीतने से ज्यादा उनका जोर अटल बिहारी वाजपेयी की छवि को नुकसान पहुंचाने पर रहा. अटल की कैबिनेट से बाहर होने के बाद चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी ने अपना सारा चुनावी अभियान अटल सरकार की नाकामियों और शाइनिंग इंडिया नारे की पोल खोलने पर केंद्रित कर दी.
नामांकन और मतदान के दौरान जेठमलानी ने लखनऊ में डेरा डाले रखा, लेकिन उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि लखनऊ से उनका रिश्ता कभी स्थायी नहीं बन पाएगा.

अटल जी के सामने राम जेठमलानी अपनी हैसियत समझ चुके थे
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि राम जेठमलानी ने चुनाव को बाहर से आए हुए प्रत्याशी के तौर पर ही लड़ा. उनकी शख्सियत जरूर बड़ी थी, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के मुकाबले में वह अपनी हैसियत जानते थे. यही वजह है कि वह इस चुनाव को जीतने के बजाय अटल से अपना बदला चुकाने के अवसर के तौर पर देखते रहे.

अटल जी का लखनऊ से प्रगाढ़ रिश्ता था
भारतीय जनता पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं ने राम जेठमलानी और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हुए चुनाव को नजदीक से देखा, उनमें से पार्टी के मौजूदा प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सिंह राणा भी हैं. वह बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक कद और लखनऊ के नागरिकों से उनके प्रगाढ़ रिश्ते की मजबूती को जेठमलानी भी समझ गए थे. यही वजह है कि उन्होंने चुनाव को तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद बेहद शालीनता के साथ लड़ा.

Intro:लखनऊ .देश के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार किए जाने वाले राम जेठमलानी का राजनीति से रिश्ता कुछ कितना करीब का रहा कि कई बार यह सवाल लोग एक दूसरे से पूछा करते थे कि वह वकालत कब करते हैं और राजनीति कब. आपातकाल में जेल जाने वाले राम जेठमलानी ने लोकसभा चुनाव मुंबई से दो बार जीता. लखनऊ लोकसभा सीट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी हालांकि बाजपेई का चुनावी नुकसान तो नहीं कर सके लेकिन तीसरे नंबर पर रहकर उन्होंने अपने गंभीर प्रत्याशी होने का पूरा एहसास कराया.


Body: लखनऊ लोकसभा सीट पर 2004 में जब राम जेठमलानी चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे तो जीतने से ज्यादा उनका जोर अटल बिहारी वाजपेई की छवि को नुकसान पहुंचाने पर रहा। अटल की कैबिनेट से बाहर होने के बाद चुनाव लड़ने पहुंचे राम जेठमलानी ने अपना सारा चुनावी अभियान अटल सरकार की नाकामियों और शाइनिंग इंडिया नारे की पोल खोलने पर केंद्रित कर दिया। नामांकन और मतदान के दौरान जेठमलानी ने लखनऊ में डेरा डाले रखा लेकिन उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि लखनऊ से उनका रिश्ता कभी स्थायी नहीं बन पाएगा ।वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि राम जेठमलानी ने चुनाव को बाहर से आए हुए प्रत्याशी के तौर पर ही लड़ा उनकी शख्सियत जरूर बड़ी थी लेकिन अटल बिहारी वाजपेई के मुकाबले में वह अपनी हैसियत जानते थे। यही वजह है कि वह इस चुनाव को जीतने के बजाय अटल से अपना बदला चुकाने के अवसर के तौर पर देखते रहे ।

बाइट /योगेश मिश्र वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक

भारतीय जनता पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं ने राम जेठमलानी और अटल बिहारी वाजपेई के बीच हुए चुनाव को नजदीक से देखा उनमें से पार्टी के मौजूदा प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सिंह राणा भी हैं वह बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेई के राजनीतिक कद और लखनऊ के नागरिकों से उनके प्रगाढ़ रिश्ते की मजबूती को जेठमलानी भी समझ गए थे यही वजह है कि उन्होंने चुनाव को तमाम अंतर्विरोध ओं के बावजूद बेहद शालीनता के साथ लड़ा ।

बाइट/ नरेंद्र सिंह राणा, प्रदेश प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी

पीटीसी/ अखिलेश तिवारी


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