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आजम खान मामले में जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से पूछा, सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग क्यों?

राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी (Rajya Sabha MP Jayant Choudhary) ने आजम खान की विधायकी रद्द करने के मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है.

आजम खान की विधायकी को लेकर जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
आजम खान की विधायकी को लेकर जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
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Published : Nov 1, 2022, 4:23 PM IST

लखनऊः राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने सपा नेता आजम खान ( Azam Khan) की विधायकी रद्द करने के मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने भाजपा विधायक के मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक ही तरह के मामले में वह दो तरह से व्याख्या क्यों कर रहे हैं. अपने पत्र में राज्यसभा सांसद ने विधानसभा अध्यक्ष पर आजम खान के मामले में की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि सत्ताधारी दल और विपक्षी विधायकों के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से क्या की जा सकती है?

जयंत चौधरी का पत्र.
जयंत चौधरी का पत्र.

पत्र में जयंत चौधरी ने लिखा है कि स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट (Special MP MLA Court) में हेट स्पीच मामले में आपके कार्यालय द्वारा तुरंत फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है. जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए. किंतु जब पूर्ण घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं. तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है. उन्होंने कहा कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है.

पत्र में आगे लिका है कि महोदय इस संदर्भ में आपका ध्यान में खतौली (मुजफ्फरनगर) से भाजपा विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini) के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा. जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधि कानून (Representation of People Act) के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई. उस प्रकरण में आप की ओर से आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है. यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा. जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसा ही पहलकदमी नहीं लेते. उन्होंने आगे लिखा कि आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परंपरा के लिए विक्रम सैनी के प्रकरण में भी शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे. जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है भिन्न-भिन्न नहीं.


यह भी पढ़ें- मंत्री को नदारद मिले पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के अधिकांश कर्मचारी, होगा एक्शन

लखनऊः राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने सपा नेता आजम खान ( Azam Khan) की विधायकी रद्द करने के मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने भाजपा विधायक के मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक ही तरह के मामले में वह दो तरह से व्याख्या क्यों कर रहे हैं. अपने पत्र में राज्यसभा सांसद ने विधानसभा अध्यक्ष पर आजम खान के मामले में की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि सत्ताधारी दल और विपक्षी विधायकों के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से क्या की जा सकती है?

जयंत चौधरी का पत्र.
जयंत चौधरी का पत्र.

पत्र में जयंत चौधरी ने लिखा है कि स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट (Special MP MLA Court) में हेट स्पीच मामले में आपके कार्यालय द्वारा तुरंत फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है. जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए. किंतु जब पूर्ण घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं. तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है. उन्होंने कहा कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है.

पत्र में आगे लिका है कि महोदय इस संदर्भ में आपका ध्यान में खतौली (मुजफ्फरनगर) से भाजपा विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini) के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा. जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधि कानून (Representation of People Act) के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई. उस प्रकरण में आप की ओर से आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है. यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा. जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसा ही पहलकदमी नहीं लेते. उन्होंने आगे लिखा कि आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परंपरा के लिए विक्रम सैनी के प्रकरण में भी शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे. जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है भिन्न-भिन्न नहीं.


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