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300 करोड़ में बनकर हुआ था तैयार, हर वर्ष 10 करोड़ का मेंटेनेंस, फिर भी जनेश्वर मिश्र पार्क यह है हाल

राजधानी के गोमतीनगर स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क का जल्द कायाकल्प होगा. वर्तमान समय में पार्क की स्थिति काफी खस्ताहाल है. इस पार्क को अखिलेश यादव की सरकार में 300 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था.

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Published : Apr 4, 2023, 4:25 PM IST

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लखनऊ : अखिलेश यादव की सरकार में 300 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए विश्व के सबसे बड़े जनेश्वर मिश्र पार्क पर सालाना मेंटेनेंस में करीब 10 करोड़ का खर्च होता है. इसके बावजूद पार्क का बुरा हाल होता जा रहा है. झूले टूट रहे हैं. बोट बदहाल है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब यहां के बुरे हाल को लेकर ट्वीट किया तो लखनऊ विकास प्राधिकरण को भी सुधार करने की याद आई, लेकिन पार्क में रोजाना आने वाले हजारों लोगों को यहां समस्याओं का सामना करना पड़ता है. माना जा रहा है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों और ठेकेदारों की साठगांठ सिपार के मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रुपए के वारे न्यारे हो रहे हैं.


साल 2017 में जनेश्वर मिश्र पार्क का लोकार्पण किया गया था. लगभग ढाई सौ एकड़ में यह पार्क बना हुआ है, जिस पर करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च आया था. यहां 30 एकड़ में झील है. चार ब्लॉक में पार्क विभाजित हैं. 10 एकड़ के हिस्से में बहुद्देशीय स्थल हैं. जहां शादी विवाह के जरिए साल भर में करोड़ों रुपए की कमाई होती है. इसके अलावा प्लेइंग जोन है. ओपन एयर जिम है. वॉकिंग ट्रैक और सिंथेटिक ट्रैक हैं जोकि करीब 5 किलोमीटर लंबे हैं. यहां की झील में कभी गंडोला बोट तैरा करती थी, जोकि करीब 4 करोड़ रुपए में इटली से मंगाई गई थी. यह बोट अब बंद हो गई है. लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से लगाए गए झूले टूट रहे हैं. ओपन एयर जिम के उपकरण खराब हो रहे हैं. सिंथेटिक ट्रेक बदहाल है. स्टोन जगह-जगह से टूट रहा है. पार्क में गंदगी का बुरा हाल है.

स्थानीय नागरिक रमेश दुबे ने बताया कि 'निश्चित तौर पर पार्क में सुधार की जरूरत है. इसको लेकर गंभीरता से काम किया जाना चाहिए. झूलों में सुधार की आवश्यकता है. बच्चों के लिए सबसे बड़े आकर्षण झूले होते हैं और वही टूटे हुए हैं.' लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे का कहना है कि 'यहां मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों का खर्च है, लेकिन पार्क की बदहाली इसकी गवाही नहीं देती. अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से रुपए की बंदरबांट हो रही है. इसको रोका जाना सख्त जरूरी है.' समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का इस बारे में कहना है कि 'जो प्रोजेक्ट समाजवादियों ने बनाए थे, उनका फीता भारतीय जनता पार्टी काट नहीं पाई, वहां अपना पत्थर नहीं लगा पाई, वहां पर बदहाली का आलम है. ऐसा नहीं होना चाहिए.'

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि 'उन्होंने इस संबंध में एक बैठक ली है. जिसमें संबंधित अफसरों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. यहां नए लाइट और झूले लगाए जाएंगे. म्यूजिक सिस्टम बदला जाएगा. हाई मास्ट लाइट लगाने के साथ पार्किंग में भी लाइट की संख्या बढ़ाई जाएगी. क्षतिग्रस्त झूलों की मरम्मत जल्दी ही कराई जाएगी.'

यह भी पढ़ें : प्रदेश कार्यकारिणी घोषित करने की तैयारी में सपा, जानिए क्या रणनीति अपना रहे अखिलेश

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लखनऊ : अखिलेश यादव की सरकार में 300 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए विश्व के सबसे बड़े जनेश्वर मिश्र पार्क पर सालाना मेंटेनेंस में करीब 10 करोड़ का खर्च होता है. इसके बावजूद पार्क का बुरा हाल होता जा रहा है. झूले टूट रहे हैं. बोट बदहाल है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब यहां के बुरे हाल को लेकर ट्वीट किया तो लखनऊ विकास प्राधिकरण को भी सुधार करने की याद आई, लेकिन पार्क में रोजाना आने वाले हजारों लोगों को यहां समस्याओं का सामना करना पड़ता है. माना जा रहा है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों और ठेकेदारों की साठगांठ सिपार के मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रुपए के वारे न्यारे हो रहे हैं.


साल 2017 में जनेश्वर मिश्र पार्क का लोकार्पण किया गया था. लगभग ढाई सौ एकड़ में यह पार्क बना हुआ है, जिस पर करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च आया था. यहां 30 एकड़ में झील है. चार ब्लॉक में पार्क विभाजित हैं. 10 एकड़ के हिस्से में बहुद्देशीय स्थल हैं. जहां शादी विवाह के जरिए साल भर में करोड़ों रुपए की कमाई होती है. इसके अलावा प्लेइंग जोन है. ओपन एयर जिम है. वॉकिंग ट्रैक और सिंथेटिक ट्रैक हैं जोकि करीब 5 किलोमीटर लंबे हैं. यहां की झील में कभी गंडोला बोट तैरा करती थी, जोकि करीब 4 करोड़ रुपए में इटली से मंगाई गई थी. यह बोट अब बंद हो गई है. लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से लगाए गए झूले टूट रहे हैं. ओपन एयर जिम के उपकरण खराब हो रहे हैं. सिंथेटिक ट्रेक बदहाल है. स्टोन जगह-जगह से टूट रहा है. पार्क में गंदगी का बुरा हाल है.

स्थानीय नागरिक रमेश दुबे ने बताया कि 'निश्चित तौर पर पार्क में सुधार की जरूरत है. इसको लेकर गंभीरता से काम किया जाना चाहिए. झूलों में सुधार की आवश्यकता है. बच्चों के लिए सबसे बड़े आकर्षण झूले होते हैं और वही टूटे हुए हैं.' लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे का कहना है कि 'यहां मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों का खर्च है, लेकिन पार्क की बदहाली इसकी गवाही नहीं देती. अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से रुपए की बंदरबांट हो रही है. इसको रोका जाना सख्त जरूरी है.' समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का इस बारे में कहना है कि 'जो प्रोजेक्ट समाजवादियों ने बनाए थे, उनका फीता भारतीय जनता पार्टी काट नहीं पाई, वहां अपना पत्थर नहीं लगा पाई, वहां पर बदहाली का आलम है. ऐसा नहीं होना चाहिए.'

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि 'उन्होंने इस संबंध में एक बैठक ली है. जिसमें संबंधित अफसरों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. यहां नए लाइट और झूले लगाए जाएंगे. म्यूजिक सिस्टम बदला जाएगा. हाई मास्ट लाइट लगाने के साथ पार्किंग में भी लाइट की संख्या बढ़ाई जाएगी. क्षतिग्रस्त झूलों की मरम्मत जल्दी ही कराई जाएगी.'

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