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मस्जिद में एक साथ सिर्फ 5 लोगों के नमाज पढ़ने का नियम अव्यवहारिक: जमीयत उलेमा ए हिंद

जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने यूपी सरकार की तरफ से धार्मिक स्थलों में एक साथ सिर्फ 5 लोगों को जाने की इजाजत देने पर आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जमात में सिर्फ 5 व्यक्तियों की पाबंदी लगाने का फैसला अव्यवहारिक और अनुचित है.

jamiat ulema e hind
जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी
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Published : Jun 11, 2020, 2:25 AM IST

लखनऊ: जमीयत उलेमा ए हिंद ने यूपी सरकार की तरफ से धार्मिक स्थलों में एक साथ सिर्फ 5 लोगों को जाने की इजाजत देने पर आपत्ति जाहिर की है. जमीयत ने कहा कि सभी धर्मों में इबादत और पूजा-अर्चना करने के तरीके अलग-अलग होते हैं. मस्जिद में नमाज सामूहिक तरीके से अदा की जाती है. यह कोई निजी या व्यक्तिगत कार्य-व्यवहार नहीं है और न ही मस्जिद में दोबारा जमात की जाती है. ऐसी स्थिति में एक जमात में सिर्फ 5 लोगों की पाबंदी लगाना न सिर्फ कठिनाई उत्पन्न करने वाला कार्य है, बल्कि अनलॉक 1 के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में दी गई छूट की सुविधाओं के विपरीत है.

मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए
जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मस्जिदों के जिम्मेदारों को यह लगता है कि मस्जिदों को लेकर लॉकडाउन जैसी स्थिति बनाए रखने का प्रयास किया गया है. जब शॉपिंग मॉल्स, बाजार यहां तक कि सरकारी कार्यालय और यातायात में संख्या की कोई बाध्यता नहीं है, तो फिर इबादत घरों में इस तरह का प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है.

मस्जिदों में हर प्रकार के स्वास्थ्य निर्देशों का पालन किया जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है. इसके अतिरिक्त नमाज के समय एक व्यक्ति पूरी तरह से स्वच्छ और पवित्र होता है. ऐसे में सरकार के इस निर्णय को जमीयत उलमा ए हिंद गलत और अनुचित मानती है. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करती है कि वह अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त के साथ सभी को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए. सरकार का यह निर्णय हर स्थिति में अस्वीकार्य और अव्यवहारिक है.

लखनऊ: जमीयत उलेमा ए हिंद ने यूपी सरकार की तरफ से धार्मिक स्थलों में एक साथ सिर्फ 5 लोगों को जाने की इजाजत देने पर आपत्ति जाहिर की है. जमीयत ने कहा कि सभी धर्मों में इबादत और पूजा-अर्चना करने के तरीके अलग-अलग होते हैं. मस्जिद में नमाज सामूहिक तरीके से अदा की जाती है. यह कोई निजी या व्यक्तिगत कार्य-व्यवहार नहीं है और न ही मस्जिद में दोबारा जमात की जाती है. ऐसी स्थिति में एक जमात में सिर्फ 5 लोगों की पाबंदी लगाना न सिर्फ कठिनाई उत्पन्न करने वाला कार्य है, बल्कि अनलॉक 1 के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में दी गई छूट की सुविधाओं के विपरीत है.

मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए
जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मस्जिदों के जिम्मेदारों को यह लगता है कि मस्जिदों को लेकर लॉकडाउन जैसी स्थिति बनाए रखने का प्रयास किया गया है. जब शॉपिंग मॉल्स, बाजार यहां तक कि सरकारी कार्यालय और यातायात में संख्या की कोई बाध्यता नहीं है, तो फिर इबादत घरों में इस तरह का प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है.

मस्जिदों में हर प्रकार के स्वास्थ्य निर्देशों का पालन किया जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है. इसके अतिरिक्त नमाज के समय एक व्यक्ति पूरी तरह से स्वच्छ और पवित्र होता है. ऐसे में सरकार के इस निर्णय को जमीयत उलमा ए हिंद गलत और अनुचित मानती है. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करती है कि वह अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त के साथ सभी को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए. सरकार का यह निर्णय हर स्थिति में अस्वीकार्य और अव्यवहारिक है.

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