लखनऊ: संसद में ग्रह मंत्रालय की तरफ से तबलीगी जमात के बारे में दिए गए बयान पर मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ने ऐतराज जताया है. देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने ग्रह मंत्रालय के बयान को भ्रमित करने वाला बताया है. दरअसल ग्रह मंत्रालय की तरफ से संसद में बहस के दौरान कहा गया था कि मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के आयोजन होने से कोरोना वायरस संक्रमण कई लोगों तक फैल गया.
जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सरकार स्वयं की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय उसे दूसरों पर थोप रही है. गृह मंत्रालय को अपनी जिम्मेदारी और संसद की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे संबंधित देश की अदालतों, विशेषकर मद्रास हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों और विचारों का सम्मान करना चाहिए. जिस तरह से बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने तबलीगी जमात के संबंध में सरकार के रवैए पर टिप्पणी की थी और उसे दर्पण दिखाया था बल्कि अपने किए गए गलत कार्यों का पश्चाचाताप करने को कहा गया था. उसके प्रकाश में होना तो यह चाहिए था कि सरकार अपना आत्म निरीक्षण करती, संसद में क्षमा याचना करती और अपनी गलतियों को दूर करने के तरीकों की घोषणा करती.
उन्होंने कहा कि सरकार ने पुरानी बात दोहरा कर न सिर्फ सत्यता से आंखें फेरी हैं बल्कि संवैधानिक पदों पर बैठकर अदालत के फैसले को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है. मौलाना मदनी ने कहा कि जिस समय तबलीगी जमात का मुद्दा खड़ा किया गया था उस समय देश में पांच हजार नागरिक भी कोरोना से प्रभावित नहीं थे. लेकिन आज यह संख्या पचास लाख से अधिक हो गई है. साथ ही हर नए दिन रिकॉर्ड बनते जा रहे हैं. ऐसे में पुराने हालात के कथित जिम्मेदारों का वर्णन तो किया गया लेकिन वर्तमान परिस्थितियों का जिम्मेदार कौन है. इस पर क्यों खामोशी बरती गई. देश में आज जो स्थिति है, क्या उसकी जिम्मेदारी किसी पर नहीं बनती.