लखनऊ : विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन एक बार फिर क्षेत्रीय विकास निधि यानी विधायक निधि से काटी जा रही 18 प्रतिशत जीएसटी का मुद्दा फिर गूंजा. विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने यह मुद्दा उठाया, तो तमाम सदस्यों ने उनका समर्थन किया. कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा 'मोना' ने भी विधायक निधि से जीएसटी हटाने का विषय उठाया. वह पिछले सत्र में भी यह विषय उठा चुकी हैं. अन्य विधायकों ने भी इस विषय पर देवेंद्र प्रताप सिंह का समर्थन किया. संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने इस विषय में सरकार का पक्ष रखा.
विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुद्दा उठाते हुए कहा है कि 'मैं मानता हूं कि यह विषय सरकार के लिए भले ही बहुत छोटा मुद्दा हो, लेकिन हम लोगों के लिए बहुत ही बड़ा विषय है. यहां पर बैठे सभी साथियों का मुद्दा है यह. यदि हमारी विधायक निधि से अठारह प्रतिशत राशि कटती है, तो पांच करोड़ जो हमें मुख्यमंत्री ने दिए हैं, निधि के रूप में उसमें से 90 लाख रुपये कट जाते हैं. यानी कि असलियत में हमें चार करोड़ दस लाख रुपये ही प्राप्त होते हैं. यदि इसे पांच वर्षों से गुणा कर दें, तो यह राशि साढ़े चार करोड़ हो जाती है. यानी जीएसटी के नाम पर हमारे साढ़े चार करोड़ चले जाते हैं. उन्होंने ने कहा कि इस मुद्दे पर हम सबको साथ रहना है. यह विधायकों का मुद्दा है. हम सबको साथ संघर्ष करना है.'
उन्होंने ने कहा कि 'हमें उत्तर में बताया गया है कि जीएसटी लागू रहेगा. दूसरी लाइन में लिखा गया है कि क्षेत्रीय विकास निधि यानी विधायक निधि पर किसी प्रकार का जीएसटी देय नहीं है. अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि विरोधाभास की बात कैसे उठ रही है. यह तो समझ में ही नहीं आ रहा है. कहीं न कहीं तो आप टिकें. या तो हां हो या न हो. मैं तो आपसे यही निवेदन करना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय कि विधायक निधि से कटने वाली जीएसटी को तत्काल हटाया जाए. यह हमारे विकास का मुद्दा है और विकास का मुद्दा जब सदन में गूंजता है, तो जनता भी देखती है. यह ऐसा विषय है कि इस पर तत्काल निर्णय होना चाहिए.'
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि 'जीएसटी सभी लोगों की सहमति से लागू हुई है. किसी के कहने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी. उन्होंने कहा कि सदस्य द्वारा सवाल किया गया था कि क्या मुख्यमंत्री बताने का कष्ट करेंगे कि विधानमंडल क्षेत्रीय विकास निधि पर लगाए गए जीएसटी को हटाने पर कष्ट सरकार करेगी? उन्होंने कहा कि विधायक निधि पर कोई जीएसटी लगती ही नहीं है. विधायक निधि से जो आप लोग काम कराते हैं, जीएसटी उसी पर लगती है. इसके बाद सदन में खूब हंगामा हुआ. सदस्यों ने कहा कि यह दोनों एक ही बातें हैं. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विधायक निधि से जो प्रोजेक्ट बनवाए जाते हैं, उस पर जीएसटी लगाई जाती है. मिसाल के तौर पर यदि आप कोई सड़क बनवाते हैं, तो सीमेंट के ऊपर 28 प्रतिशत जीएसटी लगती है. इसके अलावा सरिया पर 18 प्रतिशत जीएसटी है.'
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि 'जीएसटी काउंसिल की एक व्यवस्था है, जिसमें दो कमेटी बनी है. एक फिटमेंट कमेटी और दूसरी लीगल कमेटी. जितने भी विषय होते हैं, यदि उनमें लीगल टर्म इनवाल्व नहीं है, तो वह फिटमेंट कमेटी में जाते हैं. उसी प्रांतों में उस विषय को देखा जाता है कि कहां पर किसकी क्या स्थिति है. उसके बाद उस पर निर्णय लिया जाता है. एक मीटिंग में यह निर्णय हो भी नहीं पाता. इसीलिए आपने देखा होगा कि नई व्यवस्थाओं में परिवर्तन भी हुए हैं. इनपुट टैक्स क्रेडिट की वजह से पहले 12 प्रतिशत जीएसटी थी, जिसमें ठेकेदार को ज्यादा लाभ होता था. इसे देखते हुए इसे अठारह प्रतिशत किया गया है. अब हम सदन को कैसे बताएं कि इसमें अकेला उत्तर प्रदेश निर्णायक भूमिका में नहीं है. सभी राज्यों के सारे विषय फिटमेंट कमेटी में पहले जाते हैं, यदि आवश्यकता हुई तो लीगल कमेटी में जाता है. यह सुनिश्चित करके कि उपभोक्ता पर कोई बोझ न पड़े, वही स्थिति वहां फाइनल होती है. इनपुट टैक्स क्रेडिट को देखते हुए जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया है. यह जीएसटी काउंसिल का निर्णय है, उत्तर प्रदेश सरकार का निर्णय नहीं है.'