लखनऊ : पवित्र महीना रमज़ान अब अपने आखिरी पड़ाव में पहुंचने लगा है. माहे रमज़ान के आखिरी 10 दिन सबसे ज़्यादा इबादत और इस्लामिक नज़रिए से महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुसलमानों से इन 10 दिनों में इबादत के साथ अपने पड़ोसी, गरीबों, ज़रूरतमंदों की मदद की अपील की है. मौलाना ने कहा कि ज़कात और सदका ए फित्र को भी रमज़ान में ज़रूर अदा किया जाए.
इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभों में से एक रमज़ान के रोज़े करार दिए गए हैं. एक तरफ जहां हर मुसलमान पर यह रोज़े फ़र्ज़ करार दिए गए हैं. वहीं ज़कात, खैरात से गरीबों की मदद को भी ज़रूरी बताया गया है. मुस्लिम धर्मगुरु और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि इस्लामी शरीयत में हर बहैसियत शख्स को अपनी ज़मीन -जायदाद व ज़ेवरात में से 2.5 प्रतिशत निकालकर गरीब और ज़रूरतमंद में बांटने का हुक्म दिया गया है. अल्लाह ने वादा किया है कि जो शख्स ज़कात और सदका देगा उसका सैकड़ों गुना ज्यादा माल और दौलत में इज़ाफ़ा होगा. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि हमारे नबी ने इरशाद फरमाया है कि मैं इस बात पर कसम खा सकता हूं कि सदका और खैरात करने से कोई शख्स गरीब नहीं होगा.
ईटीवी भारत से मौलाना फरंगी महली ने कहा कि उनका मानना है कि अगर हर बहैसियत मुसलमान इस्लाम के निज़ाम ए ज़कात पर सही तौर से अमल करें तो अपने देश से गरीबी और भुखमरी का बड़े पैमाने पर खात्मा हो सकता है. उन्होंने बताया कि जब पैगम्बर साहब के दौर में ज़कात का चलन शुरू हुआ तो कुछ ही वर्षों में पूरे मदीने में कोई भी शख्स ऐसा नहीं बचा जिसको उसकी जरूरत हो. मौलाना ने कहा कि ज़कात के निज़ाम को वैज्ञानिक और धार्मिक नज़रिए से बेहद संगठित तौर पर आगे बढ़ाने की ज़रूरत है.
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