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लखनऊ: अबू यूसुफ की गिरफ्तारी के बाद यूपी के कई जिलों पर जांच एजेंसियों की पैनी नजर - यूपी में जांच एजेंसिया अलर्ट

दिल्ली से गिरफ्तार किए गए आतंकी अबू यूसुफ से जांच एजेंसियों की पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं. इस खुलासे के बाद जांच एजेंसी लखनऊ के आसपास के जिलों में 1400 से ज्यादा संदिग्धों पर नजर बनाए हुए है.

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ISIS आतंकी अबू यूसुफ की गिरफ्तार के बाद प्रदेश में अलर्ट.
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Published : Aug 26, 2020, 4:42 PM IST

लखनऊ: दिल्ली से गिरफ्तार किए गए आतंकी अबू यूसुफ (मुस्तकीम) से जांच एजेंसियों की पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि विदेश में बैठे आकाओं से मिले कोड की मदद से आतंकी को लखनऊ में एक व्यक्ति से मुलाकात करनी थी. मुलाकात करने के लिए अबू यूसुफ रीढ़ की हड्डी का इलाज कराने के बहाने एक बार लखनऊ भी आया था, लेकिन जिस व्यक्ति से उसे मुलाकात करनी थी, उससे मुलाकात नहीं हो पाई थी.

इस खुलासे के बाद जांच एजेंसियां लखनऊ के आसपास के जिलों में संदिग्धों पर नजर बनाए हुए है. अबू यूसुफ से पूछताछ के बाद यह संभावनाएं बनी हुई हैं कि लखनऊ व आसपास के जिलों में स्लीपर मॉड्यूल हो सकते हैं, जिसको लेकर जांच एजेंसी ने 1400 संदिग्ध लोगों के नंबर सर्विलांस पर लगाए हैं.


अबू यूसुफ को लखनऊ में किससे मिलना था और लखनऊ सहित आसपास के जिलों में कौन लोग अबू यूसुफ के संपर्क में थे, इस बात की जानकारी के लिए 1400 संदिग्धों के नंबर सर्विलांस पर लगाए गए हैं. सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से भी 42 टावर के संदर्भ में डाटा इकट्ठा कर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मदद मांगी गई है. सर्विलांस व सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से डाटा मिलने के बाद अबू यूसुफ के लखनऊ कनेक्शन का खुलासा हो सकता है. एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि अबू यूसुफ से पूछताछ के आधार पर अहम जानकारियां हाथ लगी हैं.

राजधानी लखनऊ ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जांच एजेंसियों द्वारा संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है. लखनऊ सहित कुशीनगर, बिजनौर, सहारनपुर, कानपुर, बनारस, आगरा आजमगढ़ में जांच एजेंसी में टीमों को सक्रिय कर दिया है. बिजनौर पर जांच एजेंसियों की खास नजर है, क्योंकि वहां पर लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के स्लीपर पहले भी पकड़े जा चुके हैं.


इससे पहले अबू यूसुफ को लेकर यह खुलासा हो चुका है कि अबू यूसुफ अफगानिस्तान में आतंकवादी घटना को अंजाम देने की फिराक में था. अबू यूसुफ आईएसआईएस से लगातार संपर्क में था और उन्हीं के इशारे पर काम कर रहा था. अफगानिस्तान में घटना को अंजाम देने के लिए उसे पहले दुबई और फिर वहां से अफगानिस्तान जाना था. आईएसआईएस के आतंकियों के इशारे पर ही अबू यूसुफ ने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए मानव बम के लिए जैकेट व कुकर बम बनाया था. इसके लिए अबू यूसुफ ने पैसे भी जुटाए थे.

पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि अबू यूसुफ को यूपी में नेटवर्क तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी. मोबाइल की डिटेल के आधार पर यह पता चला है कि अबू यूसुफ 7 लोगों से फोन पर संपर्क में था, जिनके बारे में जांच एजेंसियां जानकारी जुटा रही हैं. वहीं यह पाकिस्तान में अपने आकाओं से सोशल मीडिया कॉल की मदद से बातचीत करता था. दिल्ली में धमाके के लिए अबू यूसुफ को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे.

बलरामपुर के रहने वाले अबू यूसुफ की पत्नी आयशा उसकी राजदार थी. उसी के कहने पर अबू यूसुफ के रिश्तेदार मजहर ने लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र में अबू यूसुफ की गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास किया था, जिसके बाद जांच एजेंसी ने गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास करने वाले मजहर से भी पूछताछ की है. लखनऊ में गुमशुदगी दर्ज कराने के प्रयास को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अबू यूसुफ को कानूनी तौर पर बचाने के उद्देश्य से काकोरी में गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास किया गया था.

लखनऊ: दिल्ली से गिरफ्तार किए गए आतंकी अबू यूसुफ (मुस्तकीम) से जांच एजेंसियों की पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि विदेश में बैठे आकाओं से मिले कोड की मदद से आतंकी को लखनऊ में एक व्यक्ति से मुलाकात करनी थी. मुलाकात करने के लिए अबू यूसुफ रीढ़ की हड्डी का इलाज कराने के बहाने एक बार लखनऊ भी आया था, लेकिन जिस व्यक्ति से उसे मुलाकात करनी थी, उससे मुलाकात नहीं हो पाई थी.

इस खुलासे के बाद जांच एजेंसियां लखनऊ के आसपास के जिलों में संदिग्धों पर नजर बनाए हुए है. अबू यूसुफ से पूछताछ के बाद यह संभावनाएं बनी हुई हैं कि लखनऊ व आसपास के जिलों में स्लीपर मॉड्यूल हो सकते हैं, जिसको लेकर जांच एजेंसी ने 1400 संदिग्ध लोगों के नंबर सर्विलांस पर लगाए हैं.


अबू यूसुफ को लखनऊ में किससे मिलना था और लखनऊ सहित आसपास के जिलों में कौन लोग अबू यूसुफ के संपर्क में थे, इस बात की जानकारी के लिए 1400 संदिग्धों के नंबर सर्विलांस पर लगाए गए हैं. सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से भी 42 टावर के संदर्भ में डाटा इकट्ठा कर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मदद मांगी गई है. सर्विलांस व सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से डाटा मिलने के बाद अबू यूसुफ के लखनऊ कनेक्शन का खुलासा हो सकता है. एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि अबू यूसुफ से पूछताछ के आधार पर अहम जानकारियां हाथ लगी हैं.

राजधानी लखनऊ ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जांच एजेंसियों द्वारा संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है. लखनऊ सहित कुशीनगर, बिजनौर, सहारनपुर, कानपुर, बनारस, आगरा आजमगढ़ में जांच एजेंसी में टीमों को सक्रिय कर दिया है. बिजनौर पर जांच एजेंसियों की खास नजर है, क्योंकि वहां पर लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के स्लीपर पहले भी पकड़े जा चुके हैं.


इससे पहले अबू यूसुफ को लेकर यह खुलासा हो चुका है कि अबू यूसुफ अफगानिस्तान में आतंकवादी घटना को अंजाम देने की फिराक में था. अबू यूसुफ आईएसआईएस से लगातार संपर्क में था और उन्हीं के इशारे पर काम कर रहा था. अफगानिस्तान में घटना को अंजाम देने के लिए उसे पहले दुबई और फिर वहां से अफगानिस्तान जाना था. आईएसआईएस के आतंकियों के इशारे पर ही अबू यूसुफ ने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए मानव बम के लिए जैकेट व कुकर बम बनाया था. इसके लिए अबू यूसुफ ने पैसे भी जुटाए थे.

पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि अबू यूसुफ को यूपी में नेटवर्क तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी. मोबाइल की डिटेल के आधार पर यह पता चला है कि अबू यूसुफ 7 लोगों से फोन पर संपर्क में था, जिनके बारे में जांच एजेंसियां जानकारी जुटा रही हैं. वहीं यह पाकिस्तान में अपने आकाओं से सोशल मीडिया कॉल की मदद से बातचीत करता था. दिल्ली में धमाके के लिए अबू यूसुफ को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे.

बलरामपुर के रहने वाले अबू यूसुफ की पत्नी आयशा उसकी राजदार थी. उसी के कहने पर अबू यूसुफ के रिश्तेदार मजहर ने लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र में अबू यूसुफ की गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास किया था, जिसके बाद जांच एजेंसी ने गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास करने वाले मजहर से भी पूछताछ की है. लखनऊ में गुमशुदगी दर्ज कराने के प्रयास को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अबू यूसुफ को कानूनी तौर पर बचाने के उद्देश्य से काकोरी में गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास किया गया था.

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