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मां काली के किरदार को मैंने नहीं, इसने मुझे चुना है: इशिता गांगुली - jag janni maa vaishano devi serial

टीवी सीरियल अभिनेत्री इशिता गांगुली लखनऊ पहुंची. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे बातचीत की. इशिता गांगुली ने अपने सीरियल को लेकर अपना अनुभव साझा किया.

ईटीवी भारत ने अभिनेत्री इशिता गांगुली से की बातचीत.
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Published : Oct 22, 2019, 11:24 AM IST

लखनऊ: टीवी पर अक्सर ऐसे धारावाहिक आते हैं, जिनसे दर्शकों की आस्था जुड़ी होती है. साथ ही धारावाहिक में काम कर रहे कलाकारों को भी अपने किरदारों से जुड़ाव हो जाता है. ऐसा ही एक सीरियल 'जग जननी मां वैष्णो देवी- कहानी मातारानी की' इस वक्त दर्शकों के दिल में घर कर चुका है. इस धारावाहिक में मां काली का रोल कर रही अभिनेत्री इशिता गांगुली लखनऊ आई थीं. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

ईटीवी भारत ने अभिनेत्री इशिता गांगुली से की बातचीत.

ईटीवी भारत ने इशिता गांगुली से की बातचीत
इशिता ने बताया कि बंगाली होने की वजह से जब यह कैरेक्टर ऑफर किया गया, तो बिना कुछ सोचे समझे हां कर दिया. हम बंगाली मां काली की पूजा बड़े धूमधाम से करते हैं. मुझे मां काली में सबसे अधिक आस्था है. मेरे परिवार को पता चला कि मुझे मां काली का किरदार ऑफर किया गया है, तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है. इसे हां कर दो और मैंने इस किरदार को हां किया.

मां काली के किरदार को निभाना थोड़ा कठीन
इशिता का कहना है कि इस किरदार को मूर्त रूप देने के लिए और मुझे पूरी तरह से तैयार होने में तकरीबन दो से ढाई घंटे लग जाते हैं. इसके अलावा टेक्निकल रूप से भी मुझे काफी काम करना पड़ता है. क्योंकि मेरे पीछे कुछ नकली हाथ लगाए जाते हैं. इसलिए अगर आपको सांस भी लेनी है तो उस टेक्निकल बेसिस पर ही लेनी होती है, ताकि शूटिंग में कोई परेशानी न हो. मां काली के किरदार को निभाना थोड़ा कठीन है पर अच्छा लगता है.

मेरे लिए मां काली का कैरेक्टर काफी बेहतरीन
यह कैरेक्टर मेरे लिए काफी अलग और बेहतरीन है. खास बात यह भी है कि सूट के दौरान मुझे कोई पहचान नहीं पाता. अपने अनुभव साझा करते हुए इशिता ने बताया कि जब पहली बार काली मां के रूप में मुझे मेरे घर वालों ने देखा तो उन्होंने मुझसे कई सवाल किए. जैसे कि क्या यह सच में मैं ही थी. मैं बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही थी. मुझे जानकर बेहद खुशी हुई कि मैं किरदार करने में सक्षम रही हूं.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: 88वीं जयंती पर याद किए गए 'मिसाइल मैन' कलाम

मेथेलॉजिकल सीरियल से समाज में आते हैं सकारात्मक बदलाव
इशिता कहती हैं कि टीवी धारावाहिक में ऐसे मेथेलॉजिकल सीरियल आने से न्यूक्लियर फैमिली के साथ समाज में भी कई सकारात्मक बदलाव आते हैं. मेथेलॉजिकल सीरियल्स में कई ऐसी बातें सामने आती हैं, जो हमारे धर्म से जुड़ी होती हैं. हमारी आस्था से जुड़ी होती हैं. इन नई-नई चीजों के पता लगने के बाद हमारी आस्था और अधिक बढ़ जाती है. इसके अलावा अगर न्यूक्लियर फैमिली की बात की जाए तो बच्चों को और हमारी पीढ़ियों को भी यह सीरियल इसीलिए पसंद आते हैं, क्योंकि इससे कुछ न कुछ सीख जरूर मिलती है.

वेब सीरीज के बारे में पूछने पर इशिता ने कहा कि सीरियल की तरह वेब सीरीज में भी यदि ऐसी सीरीज बनाने पर कोशिश की जाए तो जरूर सक्सेसफुल होगी. मुझे लगता है कि लोग अपने तरीके से देख सकेंगे और उसे एंज्वॉय कर सकेंगे.

लखनऊ: टीवी पर अक्सर ऐसे धारावाहिक आते हैं, जिनसे दर्शकों की आस्था जुड़ी होती है. साथ ही धारावाहिक में काम कर रहे कलाकारों को भी अपने किरदारों से जुड़ाव हो जाता है. ऐसा ही एक सीरियल 'जग जननी मां वैष्णो देवी- कहानी मातारानी की' इस वक्त दर्शकों के दिल में घर कर चुका है. इस धारावाहिक में मां काली का रोल कर रही अभिनेत्री इशिता गांगुली लखनऊ आई थीं. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

ईटीवी भारत ने अभिनेत्री इशिता गांगुली से की बातचीत.

ईटीवी भारत ने इशिता गांगुली से की बातचीत
इशिता ने बताया कि बंगाली होने की वजह से जब यह कैरेक्टर ऑफर किया गया, तो बिना कुछ सोचे समझे हां कर दिया. हम बंगाली मां काली की पूजा बड़े धूमधाम से करते हैं. मुझे मां काली में सबसे अधिक आस्था है. मेरे परिवार को पता चला कि मुझे मां काली का किरदार ऑफर किया गया है, तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है. इसे हां कर दो और मैंने इस किरदार को हां किया.

मां काली के किरदार को निभाना थोड़ा कठीन
इशिता का कहना है कि इस किरदार को मूर्त रूप देने के लिए और मुझे पूरी तरह से तैयार होने में तकरीबन दो से ढाई घंटे लग जाते हैं. इसके अलावा टेक्निकल रूप से भी मुझे काफी काम करना पड़ता है. क्योंकि मेरे पीछे कुछ नकली हाथ लगाए जाते हैं. इसलिए अगर आपको सांस भी लेनी है तो उस टेक्निकल बेसिस पर ही लेनी होती है, ताकि शूटिंग में कोई परेशानी न हो. मां काली के किरदार को निभाना थोड़ा कठीन है पर अच्छा लगता है.

मेरे लिए मां काली का कैरेक्टर काफी बेहतरीन
यह कैरेक्टर मेरे लिए काफी अलग और बेहतरीन है. खास बात यह भी है कि सूट के दौरान मुझे कोई पहचान नहीं पाता. अपने अनुभव साझा करते हुए इशिता ने बताया कि जब पहली बार काली मां के रूप में मुझे मेरे घर वालों ने देखा तो उन्होंने मुझसे कई सवाल किए. जैसे कि क्या यह सच में मैं ही थी. मैं बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही थी. मुझे जानकर बेहद खुशी हुई कि मैं किरदार करने में सक्षम रही हूं.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: 88वीं जयंती पर याद किए गए 'मिसाइल मैन' कलाम

मेथेलॉजिकल सीरियल से समाज में आते हैं सकारात्मक बदलाव
इशिता कहती हैं कि टीवी धारावाहिक में ऐसे मेथेलॉजिकल सीरियल आने से न्यूक्लियर फैमिली के साथ समाज में भी कई सकारात्मक बदलाव आते हैं. मेथेलॉजिकल सीरियल्स में कई ऐसी बातें सामने आती हैं, जो हमारे धर्म से जुड़ी होती हैं. हमारी आस्था से जुड़ी होती हैं. इन नई-नई चीजों के पता लगने के बाद हमारी आस्था और अधिक बढ़ जाती है. इसके अलावा अगर न्यूक्लियर फैमिली की बात की जाए तो बच्चों को और हमारी पीढ़ियों को भी यह सीरियल इसीलिए पसंद आते हैं, क्योंकि इससे कुछ न कुछ सीख जरूर मिलती है.

वेब सीरीज के बारे में पूछने पर इशिता ने कहा कि सीरियल की तरह वेब सीरीज में भी यदि ऐसी सीरीज बनाने पर कोशिश की जाए तो जरूर सक्सेसफुल होगी. मुझे लगता है कि लोग अपने तरीके से देख सकेंगे और उसे एंज्वॉय कर सकेंगे.

Intro:लखनऊ। टीवी पर अक्सर के ऐसे धारावाहिक आते हैं जिनसे दर्शकों की आस्था तो जुड़ी ही होती है पर साथ ही धारावाहिक में काम कर रहे कलाकारों को भी अपने किरदारों से जुड़ाव हो जाता है। ऐसा ही एक सीरियल 'जग जननी माँ वैष्णो देवी- कहानी मातारानी की' इस वक़्त दर्शकों के दिल मे घर कर चुका है। इस धारावाहिक के किरदारों में माँ काली का रोल कर रही अभिनेत्री इशिता गांगुली पिछले दिनों लखनऊ आयी थी जिनसे ईटीवी भारत ने बातचीत की।


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इशिता कहते हैं कि बंगाली होने की वजह से मुझे जबिया कैरेक्टर ऑफर किया गया तो मैंने बिना कुछ सोचे समझे हां कर दिया हम बंगाली मां काली की पूजा बड़े धूमधाम से करते हैं और अगर मैं पर्सनल रूप से कहूं तो मुझे मां काली में ही सबसे अधिक आस्था है मेरे परिवार को पता चला कि मुझे मां काली का किरदार ऑफर किया गया है तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है इसे हां कर दो और मैंने इस किरदार को हां किया।

इशिता कहती हैं कि इस किरदार को मूर्त रूप देने के लिए मुझे कई घंटे में कपड़ों में बिताने पड़ते हैं मुझे पूरी तरह से तैयार होने में तकरीबन 2 से ढाई घंटे लग जाते हैं इसके अलावा टेक्निकल रूप से भी मुझे काफी काम करना पड़ता है क्योंकि मेरे पीछे कुछ नकली हाथ लगाए जाते हैं इसलिए अगर आपको सांस भी लेनी है तो उस टेक्निकल बेसिस पर ही लेनी होती है ताकि शूटिंग में कोई परेशानी न हो।

वो कहती है कि हम कैरेक्टर मेरे लिए काफी अलग और बेहतरीन है एक खास बात यह भी है कि सूट के दौरान मुझे कोई पहचान नहीं पाता अपने अनुभव साझा करते हुए इशिता ने बताया कि जब पहली बार काली माँ के रूप में मुझे मेरे घर वालों ने देखा उन्होंने मुझसे कई सवाल किए जैसे कि क्या यह सच में मैं ही थी मैं बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही हूं वगैरह। मुझे जानकर बेहद खुशी हुई कि मेरा किरदार करने में सक्षम रही हूं।

इशिता कहते हैं कि टीवी धारावाहिक में ऐसे मेथेलॉजिकल सीरियल आने से न्यूक्लियर फैमिली के साथ समाज में भी कई सकारात्मक बदलाव आते हैं मेथेलॉजिकल सीरियल्स में कई ऐसी बातें सामने आती हैं जो हमारे धर्म से जुड़ी हैं हमारी आस्था से जुड़ी होती हैं और इन नई-नई चीजों को पता लगने के बाद हमारी आस्था और अधिक बढ़ जाती है इसके अलावा अगर न्यूक्लियर फैमिली की बात की जाए तो बच्चों को और हमारी पीढ़ियों को भी यह सीरियल इसीलिए पसंद आते हैं क्योंकि इससे कुछ ना कुछ सीख जरूर मिलती है।


Conclusion:वेब सीरीज में पूछने पर इशिता कहते हैं कि सीरियल की तरह वेब सीरीज में भी यदि ऐसी सीरीज बनाने पर कोशिश की जाए तो जरूर सक्सेसफुल होगी ठीक है मुझे लगता है कि वह लोग अपने तरीके से देख सकेंगे और उसे एंजॉय कर सकेंगे।

ईटीवी भारत के साथ अभिनेत्री इशिता गांगुली का इंटरव्यू।

रामांशी मिश्रा
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