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लखनऊ: केजीएमयू में कैंसर पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन

राजधानी के केजीएमयू में कैंसर से जुड़े विषयों पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय कांन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कैंसर जैसी घातक और जानलेवा बीमारी के निदान और इस दिशा में हो रहे नए शोधों के बारे में जानकारी दी.

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Published : Apr 7, 2019, 4:39 AM IST

अंतर्राष्ट्रीय ओरल कैंसर कांन्फ्रेंस

लखनऊ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत संकाय विभाग में ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 संपन्न हुआ. इस आयोजन में डॉ. राजीव देसाई, डॉ. नीलेश परधे, डॉ. देवेंद्र परमार समेत देश के कई विशेषज्ञ शामिल रहे. समारोह में युवा प्रतिभागियों को उनके महत्वपूर्ण शोध के लिए सम्मानित भी किया गया.

अंतर्राष्ट्रीय ओरल कैंसर कांन्फ्रेंस का आयोजन.
आयोजन में एम्स नई दिल्ली के ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर दीपिका मिश्रा भी शामिल हुईं. उन्होंने बताया कि अब जींस के माध्यम से कुछ ऐसी तकनीकि भी आ चुकी हैं. जिससे ओरल कैंसर की संभावना का पहले ही पता लगाया जा सकता है, इसी आधार पर उसका बेहतर इलाज किया जा सकता है. दरअसल, कुछ जींस ऐसे होते हैं जिनकी जांच से समय से पहले ही बीमारी की पहचान की जा सकती है. यह जांच सभी सरकारी संस्थानों में मुफ्त में है, इसके इलाज भी सस्ता होता है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में इस बात की चर्चा हुई कि वैश्विक रूप से स्वीकृत एक तरह की पैथोलॉजी रिपोर्ट बनाई जाए ताकि किसी भी सर्जन को बीमारी के प्रति निर्णय लेने और जल्द से जल्द इलाज शुरू करने में आसानी हो सके.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओरल पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया कि कॉफ्रेंस में देश भर से आए विशेषज्ञों ने कैंसर और फ्री कैंसर से बचने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही कई नई तकनीकि और जानकारियां भी साझा की गईं. इनमें जींस के आधार पर किसी व्यक्ति को ओरल कैंसर होने का पता लगाया जाना भी शामिल है. कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कभी किसी मादक पदार्थ जैसे तंबाकू या गुटखा का सेवन नहीं करते, लेकिन उनमें भी ओरल कैंसर होने की संभावना रहती है. ऐसे में इन सभी बातों का पता लगाना और उनके लक्षणों के आधार पर उनका इलाज करना जैसी महत्वपूर्ण चर्चा की गई.

लखनऊ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत संकाय विभाग में ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 संपन्न हुआ. इस आयोजन में डॉ. राजीव देसाई, डॉ. नीलेश परधे, डॉ. देवेंद्र परमार समेत देश के कई विशेषज्ञ शामिल रहे. समारोह में युवा प्रतिभागियों को उनके महत्वपूर्ण शोध के लिए सम्मानित भी किया गया.

अंतर्राष्ट्रीय ओरल कैंसर कांन्फ्रेंस का आयोजन.
आयोजन में एम्स नई दिल्ली के ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर दीपिका मिश्रा भी शामिल हुईं. उन्होंने बताया कि अब जींस के माध्यम से कुछ ऐसी तकनीकि भी आ चुकी हैं. जिससे ओरल कैंसर की संभावना का पहले ही पता लगाया जा सकता है, इसी आधार पर उसका बेहतर इलाज किया जा सकता है. दरअसल, कुछ जींस ऐसे होते हैं जिनकी जांच से समय से पहले ही बीमारी की पहचान की जा सकती है. यह जांच सभी सरकारी संस्थानों में मुफ्त में है, इसके इलाज भी सस्ता होता है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में इस बात की चर्चा हुई कि वैश्विक रूप से स्वीकृत एक तरह की पैथोलॉजी रिपोर्ट बनाई जाए ताकि किसी भी सर्जन को बीमारी के प्रति निर्णय लेने और जल्द से जल्द इलाज शुरू करने में आसानी हो सके.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओरल पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया कि कॉफ्रेंस में देश भर से आए विशेषज्ञों ने कैंसर और फ्री कैंसर से बचने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही कई नई तकनीकि और जानकारियां भी साझा की गईं. इनमें जींस के आधार पर किसी व्यक्ति को ओरल कैंसर होने का पता लगाया जाना भी शामिल है. कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कभी किसी मादक पदार्थ जैसे तंबाकू या गुटखा का सेवन नहीं करते, लेकिन उनमें भी ओरल कैंसर होने की संभावना रहती है. ऐसे में इन सभी बातों का पता लगाना और उनके लक्षणों के आधार पर उनका इलाज करना जैसी महत्वपूर्ण चर्चा की गई.

Intro:लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत संकाय विभाग की ओर से ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 का समापन किया गया इस आयोजन में डॉ राजीव देसाई, डॉक्टर निलेश परधे, डॉक्टर देवेंद्र परमार समेत देशभर से कई विशेषज्ञ शामिल रहे। समारोह में युवा प्रतिभागियों द्वारा दिए गए व्याख्यानों में कुछ महत्वपूर्ण शोध के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।


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आयोजन में एम्स नई दिल्ली के ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर दीपिका मिश्रा ने बताया कि अब जींस के माध्यम से कुछ ऐसी तकनीक भी आ चुकी है जिससे हम पहले से ही पता लगा सकते हैं कि एक व्यक्ति को ओरल कैंसर होने की संभावना कितनी है और उस आधार पर उसका बेहतर इलाज किया जा सकता है। कुछ जींस ऐसे होते हैं जिनके जांच से हम उनकी बीमारी का पहले से पता लगा सकते हैं। खास बात यह है कि यह जांच सभी सरकारी संस्थानों में मुफ्त में की जाती है और इसका इलाज का खर्च भी अधिक नहीं आता। जब बात पैथोलॉजी की आती है तो आज इस बात की चर्चा जरूर हुई की वैश्विक रूप से स्वीकृत इस तरह की पैथोलॉजी रिपोर्ट बनाई जाए ताकि किसी भी सर्जन को बीमारी के प्रति निर्णय लेने में आसानी हो और वह जल्द से जल्द इलाज शुरू कर सके।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओरल पैथोलॉजी की प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया कि इस कांग्रेस में देश भर से आए विशेषज्ञों द्वारा यह तो जाने को मिला है कि कैंसर और फ्री कैंसर से बचने के क्या उपाय हो सकते हैं। साथ ही उनके नई तकनीक और कुछ नई जानकारियां भी मिली जो कि काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। जींस के आधार पर यह पता लगा पाना कि किसी व्यक्ति को पहले से ओरल कैंसर हो सकता है या नहीं या कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कभी किसी मादक पदार्थ जैसे तंबाकू या गुटके का सेवन नहीं करते, लेकिन उनमें भी ओरल कैंसर होने की संभावना रहती है। ऐसे में इन सभी बातों का पता लगाना और उनके लक्षणों के आधार पर उनका इलाज करना, जैसी चीजें आज यहां पता चली जो कि काफी महत्वपूर्ण रही।


Conclusion:बाइट- डॉ दीपिका मिश्रा, एम्स दिल्ली
बाइट- डॉ शालिनी गुप्ता, केजीएमयू
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