लखनऊ: एलडीए के खाते में 100 करोड़ रुपये से अधिक अपार्टमेंट का कार्पस फंड और मेंटिनेंस शुल्क बकाया है. वहीं, एलडीए के खाते में सिर्फ 20 करोड़ ही बचे हैं, जबकि 40 करोड़ की देनदारी है. गोमती नगर विस्तार महासमिति ने आरोप लगाया है कि ऐसे में सोसायटी के कार्पस फंड और मेंटिनेंस शुल्क का पैसा कहां गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि भ्रष्टाचार और लापरवाही ने एलडीए को आर्थिक संकट में डाला दिया हो. रेरा कोर्ट के आदेश के बाद भी पैसा नहीं दिया गया है.
आवंटियों के पैसे किए जाएं वापस
महासचिव उमाशंकर दुबे ने उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि लखनऊ के सभी अपार्टमेंट्स के कार्पस फंड और मेंटिनेंस शुल्क के पैसे की जांच कराई जाए. कार्पस फंड सोसाइटी की भविष्य निधि है. उसका दुरुपयोग करने का अधिकार किसने दिया. विस्तृत जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करते हुए सरकार से बजट लेकर आवंटियों के पैसे वापस किए जाएं.
18 रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को मिलना है फंड
गोमती नगर विस्तार के सभी अपार्टमेंट को एलडीए को करीब 100 करोड़ रुपये देना है. इसका सालाना ब्याज करीब छह करोड़ रुपये होगा, जोकि एसोसिएशन हर साल अपार्टमेंट पर खर्च कर सकेंगी. कुल 18 रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को यह राशि उनके हिस्से के हिसाब से मिलनी है.
रख-रखाव के लिए खर्च होगा फंड
गोमती नगर विस्तार महासमिति के सचिव उमाशंकर दुबे ने बताया कि विभिन्न अपार्टमेंट के फ्लैटों के आवंटन के वक्त एलडीए ने आवंटियों से एक तय फीसदी धन बतौर कॉर्पस फंड लिया था. इस धन का उपयोग अपार्टमेंट के रख-रखाव के बड़े खर्चों पर किया जाना था. इनमें जेनरेटर, पुताई, नलकूप और ऐसे ही कुछ अन्य खर्च शामिल किए गए हैं.
लम्बे संघर्ष के बाद भी नतीजा जीरो
विस्तार के आवंटी अपने इस कॉर्पस फंड को हासिल करने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. निवर्तमान उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने इस पत्रावली को स्वीकृत कर दिया था. नए उपाध्यक्ष के समक्ष अब एक बार अवलोकन के लिए फाइल रखी जाएगी, जिसके बाद में आरडब्ल्यूए के खातों में यह धन भेजे जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब पैसे का संकट पैदा हो गया है.