लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (sgpgi) के ट्रॉमा सेंटर (trauma center) में घायलों को अब जल्द इलाज मिलेगा. डेढ़ सालों से कोविड अस्पताल के तौर पर रिजर्व हॉस्पिटल में अब ट्रॉमा की सेवाएं शुरुआत की जाएगी. संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने दावा किया है कि इस वर्ष अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से गंभीर मरीजों का इलाज किया जाएगा. अक्टूबर के अंत तक एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर शुरू करने का प्लान है. इसमें गंभीर मरीजों को 24 घंटे इलाज मिल सकेगा. साथ ही सर्जरी भी हो सकेंगी.
प्रदेश में 3 एपेक्स ट्रॉमा सेंटर हैं. इसमें एक लखनऊ का केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर, दूसरा बीएचयू ट्रॉमा सेंटर और तीसरा एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर है. वृंदावन कॉलोनी स्थित एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर मार्च 2020 से कोविड अस्पताल में तब्दील है. इसे लेवल-थ्री का कोविड अस्पताल बनाया गया है.
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर अब अपग्रेड हो गया है. पहले यहां सिर्फ 20 बेड का आईसीयू था. वहीं कुल 180 बेड थे. कोविड अस्पताल बनने के बाद संसाधन बढ़ा दिए गए हैं. अब कुल 240 बेड हो गए. यह सभी ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं. वहीं करीब 100 बेडों पर वेंटीलेटर की सुविधाएं हैं. ऐसे में गंभीर मरोजों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
एसजीपीजीआई का ट्रॉमा सेंटर शुरू होने से हेडइंजरी, मल्टीपल फ्रैक्चर, स्ट्रोक आदि के गंभीर मरीजों को राहत मिलेगी. अभी तक शहर में हेड इंजरी के मरीजों के 24 घंटे इलाज की सुविधा सिर्फ केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में है. लोहिया संस्थान में भी हेड इंजरी के मरीजों का इमरजेंसी में इलाज मुमकिन नहीं है. ऐसे में केजीएमयू में बेड न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ता था.
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एसजीपीजीआई के कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग, 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग, 115 बेड डायलिसिस और शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पाइरोटेक्निक्स गिल्ड इंटरनेशनल (पीजीआई) में 1610 बेड हैं. बेडों के बढ़ने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.