लखनऊ : प्रदेश में सरकार औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने की तमाम सहूलियत देने का दावा कर रही है. इंडस्ट्री के क्षेत्र में 35 लाख से ज्यादा के निवेश प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू हुए हैं. कई बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट में एनओसी न मिलने से प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह जानकारी सामने आई है. एनओसी न मिलने से तमाम प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. अब औद्योगिक विकास विभाग के स्तर पर जो तमाम दिक्कत थीं उसे दूर करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं, जिससे एनओसी न मिलने और प्रोजेक्ट में देरी से उद्यमियों में खराब संदेश न जाने पाए.
दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उद्यमियों को तमाम तरह की सहूलियत देने का वादा किया और बेहतर कानून व्यवस्था का संदेश भी देश-विदेश में गया कि उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल योगी आदित्यनाथ सरकार में हुआ है. इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 35 लाख करोड़ रुपए के भारी भरकम निवेश प्रस्ताव आए और सरकार ने उद्यमियों के साथ करार करते हुए एमओयू हस्ताक्षर किए, लेकिन तमाम विभागों में अफसरों की लापरवाही के चक्कर में तमाम विभागों में उद्यमियों के निवेश प्रस्तावों के लिए मिलने वाली एनओसी नहीं मिल पा रही है. इससे कई बड़ी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव अटक गए हैं, जिला व मंडलीय उद्योग बंधु की समीक्षा बैठक में 30 बड़े मामलों की कार्य प्रगति में खुलासा हुआ कि किसान आंदोलन नियमों को लेकर तमाम स्तर पर अड़ंगेबाजी के चलते अमेजन, भारत पेट्रोलियम रिलायंस जैसे कई बड़े उद्यमी समूह की योजनाएं अभी शुरू नहीं हो पाई है.
उदाहरण के लिए बताएं तो उन्नाव में बहुराष्ट्रीय कंपनी अमेजन की तरफ से विद्युत शुल्क की प्रतिपूर्ति के दावे पर कहा गया है कि वेयरहाउस का लॉजिस्टिक नीति के तहत इसका समाधान किया जाए. इसकी एनओसी के मामले में भी पत्रावली काफी दिनों से अटकी हुई है. कानपुर देहात में ही भारत पेट्रोलियम का प्रोजेक्ट प्रस्ताव इसलिए फंस रहा है, क्योंकि 90 किसान अपनी जमीन वापसी को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं और बिना किसानों की सहमति और ठीक ढंग से जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया और इनमें उद्यम लगाने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित कर लिए गए, तो किसानों के विरोध की वजह से जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है. इससे भारत पेट्रोलियम का प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. नोएडा, गौतमबुद्ध नगर के दो प्रोजेक्ट जिनमें एक प्रोजेक्ट रिलायंस समूह का है, इसकी समीक्षा में यह पाया गया कि एक जमीन का आवंटन इस प्रकार से कर दिया गया कि वहां पर बिजली के खंभों से पूरी जमीन पटी हुई है. एक भूखंड से हाइपरटेंशन लाइन गुजर रही है तो एक भूखंड पर किसानों का कब्जा है. औद्योगिक विकास आयुक्त ने ऐसे सभी मामलों की समीक्षा किए जाने के बाद तत्काल सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने और एनओसी आदि की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरी करने के सख्त दिशा निर्देश दिए हैं.
औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि 'दो-दो साल तक जमीन को कब्जा मुक्त न कर पाने से स्पष्ट है कि लापरवाही की जा रही है. उन्होंने कहा है कि जिन बड़े उद्योग प्रस्ताव की एनओसी आदि प्रक्रिया से फंसे हुए हैं, उन लोगों उद्यमियों से विस्तार शुल्क और दंड ब्याज आदि शुल्क नहीं वसूला जाएगा. उन्होंने कहा कि उद्यमियों को एनओसी देने के साथ ही निवेश प्रस्ताव को धरातल पर उतरने के लिए और समय दिया जाएगा. इसके अलावा प्रोजेक्ट के समय बढ़ाने के एवज में उद्यमियों से अतिरिक्त ब्याज आदि भी नहीं वसूला जाएगा. इसी तरह प्रयागराज, लखनऊ, बाराबंकी, गोरखपुर, सुल्तानपुर गाजियाबाद, सीतापुर, अयोध्या, बिजनौर, सहारनपुर, कौशांबी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, संभल, आगरा व बरेली में लंबित निवेश प्रस्ताव भी लंबे समय से विभिन्न विभागों से एनओसी मिलने की वजह से फंसे हुए हैं, जिसमें अब औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने सभी प्रस्ताव की समीक्षा करते हुए स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए हैं कि इस काम में जितने भी लोग भी लापरवाही करेंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.'
औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने कहा है कि 'तमाम कंपनियों के प्रस्ताव एनओसी की वजह से धीरे हुए हैं. संबंधित विभागों को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि एनओसी की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. इसके साथ ही जहां पर किसानों से संबंधित मामले हैं, उनका भी निस्तारण कराया जाए और किसानों से जमीनों को मुक्त कराकर उद्यमियों को उनके उद्योग लगाने के लिए जमीन हस्तांतरित की जाए.'