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बड़ी उपलब्धि: आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया, चौतरफा हो रही प्रशंसा

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ की निवासी एक 17 साल की बिटिया ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि आज वो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में है और उसकी सक्रिय सोच व कदम की चौतरफा प्रशंसा हो रही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं जलवायु एक्टिविस्ट अंजलि शर्मा (Anjali Sharma) की. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिरकार ये अंजलि कौन हैं और क्यों चर्चा के केंद्र में बनी हुई हैं ?

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
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Published : Oct 22, 2021, 7:20 AM IST

Updated : Oct 22, 2021, 10:49 AM IST

लखनऊ: इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में बनी अजलि शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ की निवासी है और इस बच्ची ने महज 17 साल की उम्र में वो कर दिखाया है, जो शायद दूसरों के लिए संभव न होता. दरअसल, जलवायु एक्टिविस्ट अंजलि शर्मा (Anjali Sharma) इन दिनों आस्ट्रेलिया (Australia) में चर्चा के केंद्र में बनी हैं और इसके पीछे वजह है अंजलि का एक कोर्ट केस, जो उसने जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और बच्चों के भविष्य पर पड़ने वाले उसके असर को केंद्र कर ऑस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ किया था. अंजलि जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी मुखर हैं और कोर्ट में उन्हें जीत भी मिली है, जिसके बाद से ही हर ओर अंजलि की सराहना हो रही है.

मई 2021 में आस्ट्रेलिया के मेलबर्न (Melbourne) में एक हाई स्कूल के कुछ बच्चों ने क्लाइमेट चेंज को लेकर आस्ट्रेलिया सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. भारतीय मूल की 17 साल की अंजलि शर्मा और सात अन्य किशोरों ने जलवायु परिवर्तन और उसके बच्चों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए आस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, ताकि संबंधित समस्याओं के रोकथाम को कदम उठाए जा सके.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

जानकारी के मुताबिक इन आठों बच्चों ने गुनेदाह, न्यू साउथ वेल्स के कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाली थी और इनका कहना था कि क्लाइमेट चेंज के कारण बच्चों के स्वास्थ्य को होने वाले खतरे से बचाना पर्यावरण मंत्री सुसैन ले (Sussan Ley) का दायित्व है.

इसे भी पढ़ें - रणजी टीम में शामिल हुई मेरठ की भूमि, परिजनों के त्याग से मिला ये मुकाम

वहीं, अंजलि शर्मा और उनके साथियों ने यह भी तर्क दिया कि वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड का निरंतर उत्सर्जन तीव्र झाड़ियों, बाढ़, तूफान और चक्रवातों को चलाएगा और उन्हें इस सदी के आखिर में चोट, बीमारी, आर्थिक नुकसान और यहां तक ​​​​कि मौत के लिए कमजोर बना देगा.

इतना ही नहीं उन्होंने कोर्ट से पर्यावरण मंत्री सुसैन ले को नार्थ न्यू साउथ वेल्स में विकरी कोयला खदान के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी देने से रोकने का भी आग्रह किया था.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

हालांकि, कोर्ट ने कोल प्रोजेक्ट को नहीं रोका, लेकिन ये माना कि मंत्री सुसैन ले पर बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है. लेकिन ले ने पिछले महीने कोल प्रोजेक्ट पर हामी भर दी. जस्टिस मोर्देकई ब्रोमबर्ग ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया था कि जलवायु परिवर्तन से भविष्य में बच्चों को होने वाले किसी नुकसान से बचाने संबंधी देखरेख की जिम्मेदारी सरकार की है.

वहीं, इस फैसले को दुनियाभर में किशोरों व जलवायु एक्टिविस्टों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है.

अंजलि शर्मा ने कहा...

खैर, आस्ट्रेलियाई सरकार ने कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ अपनी कानूनी चुनौती शुरू कर दी है. इस साल मई में मेलबर्न से भारतीय मूल की 17 साल की हाई स्कूल की छात्रा अंजलि शर्मा और उनके सात अन्य किशोर पर्यावरणविदों ने आस्ट्रेलियाई सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया.

अंजलि ने कहा कि सारे आस्ट्रेलियाई बच्चों के प्रति सरकार का कर्तव्य है कि सरकार पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिम से बचाने के लिए लड़े और सामने आए. अंजलि और उसके युवा पर्यावरणविद साथियों को ग्रेटा थनबर्ग ने भी बधाई दी है.

कौन हैं अंजलि ?

महज 17 साल की आयु में इस उपलब्धि को हासिल करने वाली अंजलि शर्मा का वास्ता भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ से है. इस साहसी बेटी का जन्म लखनऊ में हुआ था. लेकिन जब अंजलि महज दस माह की थी तो उनके अभिभावक उन्हें आस्ट्रेलिया लेकर चले गए थे. वहीं, 2017 में दक्षिण एशिया में आए भयंकर बाढ़ के बाद अंजलि ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी मुहिम में हिस्सा लेना शुरू किया.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

अंजलि की मानें तो उन्होंने भारत में अपने परिवार को जलवायु परिवर्तन और भीषण बाढ़ के प्रभावों से जद्दोजहद करते देखा है. अंजलि को पिछले महीने वैश्विक प्रतिभागियों में से प्रतिष्ठित बाल जलवायु पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था.

लखनऊ: इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में बनी अजलि शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ की निवासी है और इस बच्ची ने महज 17 साल की उम्र में वो कर दिखाया है, जो शायद दूसरों के लिए संभव न होता. दरअसल, जलवायु एक्टिविस्ट अंजलि शर्मा (Anjali Sharma) इन दिनों आस्ट्रेलिया (Australia) में चर्चा के केंद्र में बनी हैं और इसके पीछे वजह है अंजलि का एक कोर्ट केस, जो उसने जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और बच्चों के भविष्य पर पड़ने वाले उसके असर को केंद्र कर ऑस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ किया था. अंजलि जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी मुखर हैं और कोर्ट में उन्हें जीत भी मिली है, जिसके बाद से ही हर ओर अंजलि की सराहना हो रही है.

मई 2021 में आस्ट्रेलिया के मेलबर्न (Melbourne) में एक हाई स्कूल के कुछ बच्चों ने क्लाइमेट चेंज को लेकर आस्ट्रेलिया सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. भारतीय मूल की 17 साल की अंजलि शर्मा और सात अन्य किशोरों ने जलवायु परिवर्तन और उसके बच्चों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए आस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, ताकि संबंधित समस्याओं के रोकथाम को कदम उठाए जा सके.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

जानकारी के मुताबिक इन आठों बच्चों ने गुनेदाह, न्यू साउथ वेल्स के कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाली थी और इनका कहना था कि क्लाइमेट चेंज के कारण बच्चों के स्वास्थ्य को होने वाले खतरे से बचाना पर्यावरण मंत्री सुसैन ले (Sussan Ley) का दायित्व है.

इसे भी पढ़ें - रणजी टीम में शामिल हुई मेरठ की भूमि, परिजनों के त्याग से मिला ये मुकाम

वहीं, अंजलि शर्मा और उनके साथियों ने यह भी तर्क दिया कि वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड का निरंतर उत्सर्जन तीव्र झाड़ियों, बाढ़, तूफान और चक्रवातों को चलाएगा और उन्हें इस सदी के आखिर में चोट, बीमारी, आर्थिक नुकसान और यहां तक ​​​​कि मौत के लिए कमजोर बना देगा.

इतना ही नहीं उन्होंने कोर्ट से पर्यावरण मंत्री सुसैन ले को नार्थ न्यू साउथ वेल्स में विकरी कोयला खदान के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी देने से रोकने का भी आग्रह किया था.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

हालांकि, कोर्ट ने कोल प्रोजेक्ट को नहीं रोका, लेकिन ये माना कि मंत्री सुसैन ले पर बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है. लेकिन ले ने पिछले महीने कोल प्रोजेक्ट पर हामी भर दी. जस्टिस मोर्देकई ब्रोमबर्ग ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया था कि जलवायु परिवर्तन से भविष्य में बच्चों को होने वाले किसी नुकसान से बचाने संबंधी देखरेख की जिम्मेदारी सरकार की है.

वहीं, इस फैसले को दुनियाभर में किशोरों व जलवायु एक्टिविस्टों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है.

अंजलि शर्मा ने कहा...

खैर, आस्ट्रेलियाई सरकार ने कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ अपनी कानूनी चुनौती शुरू कर दी है. इस साल मई में मेलबर्न से भारतीय मूल की 17 साल की हाई स्कूल की छात्रा अंजलि शर्मा और उनके सात अन्य किशोर पर्यावरणविदों ने आस्ट्रेलियाई सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया.

अंजलि ने कहा कि सारे आस्ट्रेलियाई बच्चों के प्रति सरकार का कर्तव्य है कि सरकार पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिम से बचाने के लिए लड़े और सामने आए. अंजलि और उसके युवा पर्यावरणविद साथियों को ग्रेटा थनबर्ग ने भी बधाई दी है.

कौन हैं अंजलि ?

महज 17 साल की आयु में इस उपलब्धि को हासिल करने वाली अंजलि शर्मा का वास्ता भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ से है. इस साहसी बेटी का जन्म लखनऊ में हुआ था. लेकिन जब अंजलि महज दस माह की थी तो उनके अभिभावक उन्हें आस्ट्रेलिया लेकर चले गए थे. वहीं, 2017 में दक्षिण एशिया में आए भयंकर बाढ़ के बाद अंजलि ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी मुहिम में हिस्सा लेना शुरू किया.

आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया
आस्ट्रेलिया में छाई लखनऊ की बिटिया

अंजलि की मानें तो उन्होंने भारत में अपने परिवार को जलवायु परिवर्तन और भीषण बाढ़ के प्रभावों से जद्दोजहद करते देखा है. अंजलि को पिछले महीने वैश्विक प्रतिभागियों में से प्रतिष्ठित बाल जलवायु पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था.

Last Updated : Oct 22, 2021, 10:49 AM IST

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