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जानिए, महिला अपराध पर क्या बोले पूर्व DGP सुलखान सिंह - दुष्कर्म की चार बड़ी घटनाएं सामने आई

प्रदेश में महिला अपराध के रोकथाम के लिए यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अपनी राय दी. सुलखान सिंह ने कहा कि महिला अपराधों पर लगाम लगाने के लिए परिजनों और समाज के लोगों को जागरुक होने की जरूरत है.

बच्चियों के साथ हो रहे अपराध पर पूर्व डीजीपी ने दी राय
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Published : Jun 11, 2019, 1:59 AM IST

Updated : Jun 11, 2019, 12:25 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं के प्रति अपराध में बढ़ोतरी कम नहीं हो रही है, बल्कि दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अलीगढ़ में ढाई वर्षीय मासूम बच्ची की दर्दनाक हत्या से लोगों में भारी आक्रोश है. लोग आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं. वहीं महिला अपराधों को लेकर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने ईटीवी भारत के साथ अपनी राय रखी.

बच्चियों के साथ हो रहे अपराध पर पूर्व डीजीपी ने दी राय

महिला अपराध पर क्या बोले पूर्व DGP सुलखान सिंह

  • महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के ज्यादातर मामले उनके आसपास रहने वाले या परिवार से जुड़े हुए लोगों द्वारा किए जाते हैं.
  • इन्हीं सब कारणों की वजह से पुलिस को घटना की पहले से भनक नहीं लग पाती है.
  • महिलाओं के प्रति होने वाले इस तरह के अपराध में पुलिस को सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है.
  • इस तरीके के अपराध का पहले से अनुमान लगाना संभव नहीं होता है.
  • पुलिस इन अपराधों को रोकने में सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है.
  • पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशील और सक्रिय होने की बात कही जाती है.
  • इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाने के लिए परिजनों और समाज को जागरुक होने की जरूरत है.
  • हमें अपने बच्चों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि वह कहां रहते हैं.
  • हमारे बच्चों के किन-किन लोगों से संपर्क हैं.
  • हमें अपने आसपास रहने वाले लोगों की हरकतों पर नजर रखनी चाहिए.
  • अगर ऐसे में कोई शंका होती है तो पुलिस को इस बारे में सूचना देनी चाहिए.

लखनऊ: प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं के प्रति अपराध में बढ़ोतरी कम नहीं हो रही है, बल्कि दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अलीगढ़ में ढाई वर्षीय मासूम बच्ची की दर्दनाक हत्या से लोगों में भारी आक्रोश है. लोग आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं. वहीं महिला अपराधों को लेकर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने ईटीवी भारत के साथ अपनी राय रखी.

बच्चियों के साथ हो रहे अपराध पर पूर्व डीजीपी ने दी राय

महिला अपराध पर क्या बोले पूर्व DGP सुलखान सिंह

  • महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के ज्यादातर मामले उनके आसपास रहने वाले या परिवार से जुड़े हुए लोगों द्वारा किए जाते हैं.
  • इन्हीं सब कारणों की वजह से पुलिस को घटना की पहले से भनक नहीं लग पाती है.
  • महिलाओं के प्रति होने वाले इस तरह के अपराध में पुलिस को सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है.
  • इस तरीके के अपराध का पहले से अनुमान लगाना संभव नहीं होता है.
  • पुलिस इन अपराधों को रोकने में सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है.
  • पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशील और सक्रिय होने की बात कही जाती है.
  • इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाने के लिए परिजनों और समाज को जागरुक होने की जरूरत है.
  • हमें अपने बच्चों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि वह कहां रहते हैं.
  • हमारे बच्चों के किन-किन लोगों से संपर्क हैं.
  • हमें अपने आसपास रहने वाले लोगों की हरकतों पर नजर रखनी चाहिए.
  • अगर ऐसे में कोई शंका होती है तो पुलिस को इस बारे में सूचना देनी चाहिए.
Intro:एंकर

लखनऊ। इसे मात्र संयोग कहा जाए या यूपी पुलिस का फेलियर की देश में योगी सरकार बनने के बाद सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध में बढ़ोतरी हुई है और बढ़ोतरी भी इस कदर कि एक ही दिन में मासूमों के साथ दुष्कर्म की चार बड़ी घटनाएं सामने आई। इससे पहले अलीगढ़ में ढाई वर्षीय मासूम बच्ची की दर्दनाक हत्या के मामले में पूरे देश को हिलाकर रख दियामबइसी बीच सवाल यह उठता है कि आखिर उत्तर प्रदेश की पुलिस है बच्चियों वह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने में कामयाब क्यों नहीं हो पाती है बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ हमारे पास पोस्को एक्ट जैसी कड़ी कार्यवाही के प्रावधान है तो वही पुलिस विभाग के आला अधिकारी अक्सर अपने बयानों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाने को अपनी प्राथमिकता बताते हैं इन तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद भी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध कम होते नजर नहीं आ रहे हैं।






Body:वियो

इस बारे में जब एक्सपोर्ट से बात की गई तो बच्चियों का महिलाओं के खिलाफ होने वाले
अपराधों के दो पहलू निकल के सामने आए हैं। एक बच्चों व महिलाओं के साथ दुष्कर्म के ज्यादातर मामले उनके आसपास रहने वाले व परिवार से जुड़े हुए लोगों द्वारा किए जाते हैं ऐसे में पुलिस को घटना को लेकर पहले से भनक नहीं लग पाती है महिलाओं के प्रति होने वाले इस पहलू में पुलिस को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है।

दूसरा पहलू निकल कर आता है जिसमें हमारे समाज के जिम्मेदार नाकामयाब नजर आते हैं एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी तक हम बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर समाज को एक कठोर संदेश देने में कामयाब नहीं हो सके हैं तमाम बार बच्चियों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में पुलिस लापरवाही बरती है और मामले दबा दिए जाते हैं जिससे भी अपराधियों का मनोबल बढ़ता है जिसके चलते भी इस तरह के होने वाले अपराधों पर पूरी तरीके से लगाम लगाने में हम कामयाब नजर नहीं आ रहे हैं।


तमाम बार देखा गया है कि जब किसी बच्ची महिला की गुमशुदगी सामने आती है और पीड़ित के परिजन एफ आई आर दर्ज कराने पहुंचते हैं तो पुलिस एफ आई आर दर्ज करने में आनाकानी करती है घटना की शुरुआत में पुलिस के इस असंवेदनशील रवैया के चलते घटनाएं बड़ा रूप ले लेती हैं उदाहरण के तौर पर अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची के साथ हुई दर्दनाक घटना है 30 माई को बच्ची का अपहरण हुआ था जिसके बाद परिजनों ने पुलिस को बच्ची के गायब होने की सूचना दी थी पुलिस ने घटना को गंभीरता से नहीं लिया और 2 दिन तक सुस्त बनी रही जिसके बाद बच्ची का शव घर के पास से बरामद किया गया शव की हालत इतनी बुरी थी की पोस्टमार्टम में इस बात की भी पुष्टि नहीं हो सकी की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया है कि नहीं जिसके चलते आरोपियों पर अभी तक पोस्को एक्ट की कार्यवाही नहीं की जा सकी है जबकि बच्ची की हत्या के पहले उसके साथ दुष्कर्म की आशंका भी है। कुशीनगर किशोरी के साथ दुष्कर्म मामले में भी पुलिस की लापरवाही सामने आई है शुक्रवार रात किशोरी के साथ हुए दुष्कर्म मामले में घटना के 24 घंटे बाद एसपी के आदेश पर केस दर्ज किया गया है लेकिन के सिर मारपीट नारी लज्जा भंग और दलित उत्पीड़न का ही दर्ज किया गया है शुरुआत में पुलिस घटना को लेकर गंभीर नजर नहीं आई रविवार को जब मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया तब जाकर मामले में दुष्कर्म की धाराएं बढ़ाकर चार आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है

ऐसा ही मामला कासगंज में सामने आया वहां पर सिपाही के पुत्र किशन कुमार ने किशोरी के साथ तमंचे के बल पर दुष्कर्म किया इसके बाद जब पीड़ित के परिजन थाने एफआइआर दर्ज कराने पहुंचे तो उनकी f.i.r. तक नहीं लिखी गई पुलिस ने पीड़ित का मेडिकल करवाना भी उचित नहीं समझा मामला जब एसपी के संज्ञान में पहुंचा तब जाकर पुलिस ने पीड़ित के परिजनों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस के इस असंवेदनशील रवैया चलते ही शायद समाज में अभी तक यह संदेश देने में हम कामयाब नहीं हुए हैं कि अगर अपराधियों ने मासूम बच्ची व महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम दिया तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होना तय है पुलिस के इसी रवैया के चलते बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ अपराधी दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने की हिम्मत जुटा पाते हैं।


Conclusion:बाइट

प्रदेश में लगातार बच्चियों व महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों को लेकर जब पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा की बच्चियों महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में हम सीधे तौर पर पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते इस तरीके के अपराध का पहले से अनुमान लगाना संभव नहीं होता है ऐसे में पुलिस इन अपराधों को रोकने में सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है लेकिन अपनी राय में सुलखान सिंह ने पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशील होने व सुनील सक्रियता दिखाने की बात जरूर कही है इस दौरान पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा की बच्चियों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए परिजनों व हमारे समाज को भी जागरूक होने की जरूरत है हमें अपने बच्चों बच्चों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए वह कहां रहते हैं वह इसके संपर्क में हैं समाज को संदेश देते हुए पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा है कि हमें अपने आसपास रहने वाले लोगों की हरकतों पर नजर रखनी चाहिए और अगर ऐसे में कोई शंका होती है तो पुलिस को इस बारे में सूचना देनी चाहिए।

संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26
Last Updated : Jun 11, 2019, 12:25 PM IST
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