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आय से अधिक संपत्ति मामले में आयकर अधिकारी ओम प्रकाश विमल को 3 साल का कारावास

आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी करार दिए गए आयकर विभाग के अधिकारी ओम प्रकाश विमल को सीबीआई कोर्ट ने दोषी सिद्ध करते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है. विशेष जज प्रदीप सिंह ने अभियुक्त पर 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

आय से अधिक संपत्ति मामले में आयकर अधिकारी ओम प्रकाश विमल को 3 साल का कारावास
आय से अधिक संपत्ति मामले में आयकर अधिकारी ओम प्रकाश विमल को 3 साल का कारावास
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Published : Dec 25, 2020, 8:41 AM IST

लखनऊ: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी करार दिए गए आयकर विभाग के अधिकारी ओम प्रकाश विमल को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी सिद्ध किया है. अदालत ने अधिकारी ओम प्रकाश विमल को साथ ही तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. विशेष जज प्रदीप सिंह ने बस्ती में तैनात रहे इस अभियुक्त पर 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वर्ष 1993 से 2006 के दौरान अभियुक्त पर अपनी आय से 20 लाख 50 हजार अधिक की सम्पति अर्जित करने का आरोप है.

सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर 31 जनवरी 2007 को दर्ज कर जांच शुरु की थी. सीबीआई के लोक अभियोजक विनीत कुमार के मुताबिक जांच में पाया गया कि फरवरी 1993 से दिसंबर 2006 तक अभियुक्त की कुल वैध आय 15 लाख 56 हजार रुपये थी, लेकिन इस अवधि में अभियुक्त के पास अपनी इस आय से 20 लाख 50 हजार रुपये अधिक की चल व अचल सम्पति पाई गई. अभियुक्त अधिक सम्पत्ति के बावत कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.

सीबीआई ने इस मामले की विवेचना के बाद इसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2), धारा 13 (1) (ई) में आरोप पत्र दाखिल किया. सीबीआई ने इस मामले की जांच तब शुरु की थी, जब अभियुक्त ओम प्रकाश विमल 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ था. अभियुक्त की गिरफ्तारी भी सीबीआई ने ही की थी.

लखनऊ: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी करार दिए गए आयकर विभाग के अधिकारी ओम प्रकाश विमल को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी सिद्ध किया है. अदालत ने अधिकारी ओम प्रकाश विमल को साथ ही तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. विशेष जज प्रदीप सिंह ने बस्ती में तैनात रहे इस अभियुक्त पर 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वर्ष 1993 से 2006 के दौरान अभियुक्त पर अपनी आय से 20 लाख 50 हजार अधिक की सम्पति अर्जित करने का आरोप है.

सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर 31 जनवरी 2007 को दर्ज कर जांच शुरु की थी. सीबीआई के लोक अभियोजक विनीत कुमार के मुताबिक जांच में पाया गया कि फरवरी 1993 से दिसंबर 2006 तक अभियुक्त की कुल वैध आय 15 लाख 56 हजार रुपये थी, लेकिन इस अवधि में अभियुक्त के पास अपनी इस आय से 20 लाख 50 हजार रुपये अधिक की चल व अचल सम्पति पाई गई. अभियुक्त अधिक सम्पत्ति के बावत कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.

सीबीआई ने इस मामले की विवेचना के बाद इसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2), धारा 13 (1) (ई) में आरोप पत्र दाखिल किया. सीबीआई ने इस मामले की जांच तब शुरु की थी, जब अभियुक्त ओम प्रकाश विमल 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ था. अभियुक्त की गिरफ्तारी भी सीबीआई ने ही की थी.

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