हैदराबादः बीजेपी ने लोकसभा उपचुनाव के लिए आजगमढ़ सीट से दिनेश लाल यादव निरहुआ और रामपुर सीट से घनश्याम लोधी के नाम घोषित किया है. बीजेपी ने अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ सीट पर दूसरी बार निरहुआ पर दांव खेला है.
दरअसल, भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ पर बीजेपी ने दूसरी बार ऐसे ही दांव नहीं खेला है. इसके पीछे पार्टी की सोची-समझी रणनीति है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ निरहुआ को उतारा था. उस चुनाव में अखिलेश यादव को 6,21,578 वोट मिले थे. वहीं, निरहुआ को 3,61,704 वोट मिले थे. हालांकि अखिलेश वह चुनाव बड़े अंतर से जीते थे लेकिन निरहुआ भी काफी वोट पाने में कामयाब हुए थे. अब बीजेपी का मानना है कि अगर दोबारा निरहुआ को मौका दिया गया तो वह जरूर इस सीट पर बीजेपी का परचम लहरा सकते हैं. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि युवा वोटों के साथ ही बड़ा वोट बैंक पार्टी के साथ पिछले चुनाव में था. अब जबकि दूसरी बार योगी सरकार सत्ता में आई है तो काफी वोट बैंक और पार्टी के साथ जुड़ सकता है. योगी सरकार की अच्छी छवि इसकी वजह मानी जा रही है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि अखिलेश के सीट छोड़ने के बाद डिंपल यादव इस सीट से चुनाव लड़ सकती थीं लेकिन अब कहा जा रहा है कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी. ऐसे में निरहुआ की जीत को लेकर पार्टी की उम्मीदें और बढ़ गईं हैं.
ये भी पढ़ेंः लोकसभा उपचुनाव: आजमगढ़ से बीजेपी ने फिर 'निरहुआ' को उतारा, रामपुर सीट से घनश्याम लोधी
दिनेश लाल यादव जिसे निरहुआ के नाम से भी जाना जाता है, वह एक भोजपुरी फिल्म गायक, अभिनेता और टेलीविजन प्रस्तोता हैं. वह बिग बॉस शो के कंटेस्टेंट भी रह चुके हैं. दिनेश लाल यादव गाजीपुर के छोटे से गांव टंडवा से ताल्लुक रखते हैं. उनकी लोकप्रियता भोजपुरी सिनेमा में काफी है. उनके गीत और फिल्मों ने भोजपुरी सिनेमा में काफी लोकप्रियता बटोरी है. बीजेपी का मानना है कि निरहुआ के जरिए वह सपा के किले आजमगढ़ में सेंध लगा सकती है. निरहुआ के नाम भोजपुरी सिनेमा में एक रिकार्ड यह भी है कि उन्होंने एक वर्ष में पांच सुपरहिट फिल्में दी थीं. इस वजह से उन्हें भोजपुरी सिनेमा जगत का बड़ा नाम माना जाता है. ऐसे में बड़ा युवा वर्ग उनके साथ माना जा रहा है.
यादव और दलित फैक्टर भी अहम
आजमगढ़ सीट में एम-वाई फैक्टर यानी मुस्लिम यादव फैक्टर काफी अहम स्थान रखता है. लोकसभा क्षेत्र में करीब 19 लाख मतदाताओं में से साढ़े तीन लाख से अधिक यादव, तीन लाख से ज्यादा मुसलमान और करीब तीन लाख दलित हैं. ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है यदि वह यादव और दलित वोटों को साध लेती है तो जीत पक्की है. यादव वोटों को साधने के लिए ही बीजेपी ने निरहुआ पर दांव खेला है. दूसरी बार बीजेपी का यह दांव कितना सफल होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप