हैदराबाद : उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद से ही जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है. अब तक सभी दलों पर भारी समझी जा रही भारतीय जनता पार्टी इस उठापटक में सबसे ज्यादा प्रभावित होती दिखाई दे रही है. खासकर पिछले 72 घंटों में जिस तरह भाजपा के तीन मंत्रियों और 11 विधायकों ने भाजपा का दामन छोड़ा है, उसने कहीं न कहीं भाजपा आला कमान की आंतरिंक गणित को भी गलत साबित कर दिया है. लगभग हर सवा 5 घंटे में एक विधायक या मंत्री के पार्टी छोड़ने से भाजपा आलाकमान भी सकते में है. वहीं, जिन जातिगत समीकरणों को लेकर भाजपा ने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, उनका गणित भी बिगड़ते दिखाई दे रहा है.
बताया जाता है कि अब तक जितने भी मंत्री-विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दिया, वे या तो ओबीसी से आते हैं या ब्राह्मण हैं. ऐसे में यह उठापटक ऐसे सियासी गणित की ओर इशारा कर रहा है जो भाजपा को गहरी चोट दे सकती है. विपक्षी दलों के इस बड़े दांव के पीछे सपा सीधे तौर पर जुड़ती नजर आ रही है. वहीं भाजपा के अंदर की ओबीसी राजनीति भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है.
भाजपा के अंदर ओबीसी वोटों का 'सरताज' बनने की थी होड़
भारतीय जनता पार्टी के अंदर उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में ओबीसी वोटरों का 'सरताज' बनने की होड़ चल निकली थी. स्वामी प्रसाद मौर्य को कहीं न कहीं केशव प्रसाद मौर्य ही अपने साथ लाए थे और उनको साथ लेकर प्रदेश के ओबीसी वोटों के जरिए भाजपा सत्ता में पहुंची थी. इस दौरान स्वामी प्रसाद को उम्मीद थी कि उन्हें भी डिप्टी सीएम जरूर बनाया जाएगा क्योंकि स्वामी प्रसाद का अवध क्षेत्र की करीब 150 से अधिक सीटों पर प्रभाव था. कहीं न कहीं उनकी बदौलत भाजपा को मजबूती भी मिली थी. पर इसका सारा श्रेय केशव प्रसाद मौर्य ले गए. उन्हें पार्टी में ओबीसी का मुख्य नेता मान लिया गया. वह सीएम की कुर्सी के लिए भी लड़ते दिखे और बाद में डिप्टी सीएम बनाए गए.
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नाग रूपी आरएसएस एवं सांप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यू.पी. से खत्म करके ही दम लेगा।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
... pic.twitter.com/RIwkEpmgfs
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... pic.twitter.com/RIwkEpmgfsनाग रूपी आरएसएस एवं सांप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यू.पी. से खत्म करके ही दम लेगा।
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इस बीच स्वामी प्रसाद को उम्मीद थी कि उन्हें पार्टी में देर सबेर डिप्टी सीएम का पद जरूर मिलेगा जो उन्हें नहीं मिला. ओबीसी वोटरों की सरताजी भी उनके हाथ से जाती रही. उनकी जगह केशव प्रसाद मौर्य अब भी भाजपा में इन वोटों के मुख्य संरक्षक के दौर पर देखे जाते रहे. इसे लेकर कहीं न कहीं स्वामी प्रसाद और केशव प्रसाद के बीच अंदरखाने टीस भी उभरती रही. इसी बीच टिकट बंटवारे में स्वामी प्रसाद के समर्थक करीब दो दर्जन विधायकों का टिकट काटने की बात सामने आई तो स्वामी गुट में खलबली मच गई. आनन-फानन इस्तीफे का खेल शुरू हो गया.
स्वामी को थी उम्मीद कि वरिष्ट नेता मनाएंगे और हो जाएगा 'खेल'
सूत्र बताते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य को उम्मीद थी कि उनके इस्तीफे का दबाव इतना अधिक होगा कि भाजपा का आला नेतृत्व खुद उनसे बात करेगा और इस तरह वह अपने समर्थकों के कट रहे टिकटों को बचा पाएंगे. शायद यही वजह थी कि अपने इस्तीफे के बाद उन्होंने 14 जनवरी तक का समय लिया और कहा कि इसी तारीख को वह सपा में जाने के संबंध में कुछ स्पष्ट कर पाएंगे. शायद वह इस तरह शीर्ष नेतृत्व को सोचने और मान मनौव्वल का थोड़ा वक्त देना चाहते हैं. पर अब तक केशव प्रसाद मौर्य के अलावा किसी भी आला भाजपा नेता ने स्वामी से संपर्क करने या ट्वीट कर अपना संदेश उन तक पहुंचाने की कोशिश नहीं की है.
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ओबीसी समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जितना भाजपा में मिला है उतना किसी सरकार में नहीं मिला।
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) January 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
हमारे लिए 'P' का अर्थ 'पिछड़ों का उत्थान' है।
कुछ लोगों के लिए 'P' का अर्थ सिर्फ 'पिता-पुत्र-परिवार' का उत्थान होता है।
">ओबीसी समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जितना भाजपा में मिला है उतना किसी सरकार में नहीं मिला।
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) January 13, 2022
हमारे लिए 'P' का अर्थ 'पिछड़ों का उत्थान' है।
कुछ लोगों के लिए 'P' का अर्थ सिर्फ 'पिता-पुत्र-परिवार' का उत्थान होता है।ओबीसी समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जितना भाजपा में मिला है उतना किसी सरकार में नहीं मिला।
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हमारे लिए 'P' का अर्थ 'पिछड़ों का उत्थान' है।
कुछ लोगों के लिए 'P' का अर्थ सिर्फ 'पिता-पुत्र-परिवार' का उत्थान होता है।
सपा ने लपक लिया मौका
बड़े राजनेता हमेशा अपने लिए विकल्प तैयार रखते हैं. स्वामी के मामले में भी कुछ यही हुआ. स्वामी ने अपने इस्तीफे के बाद सीधे अखिलेश यादव के साथ फोटो खिंचवा ली और इसे शेयर कर दिया. उधर, सपा सुप्रीमो अखिलेश भी मौके को लपकते हुए स्वामी प्रसाद के साथ अपनी फोटो को सोशल मीडिया पर सांझा करने लगे. साथ ही यह दिखाने की कोशिश करने लगे कि भाजपा में ओबीसी का सम्मान नहीं है. पर स्वामी के साथ निकल रहे ब्राह्मण विधायकों ने भी एक अलग संदेश दे दिया. ये विधायक भी अब योगी के ब्राह्मणों के न सुनने की बात करते नजर आए. देर सबेर सपा इस मुद्दे को भी आगे ले जाएगी और इसे लेकर बसपा भी अपना सियासी गणित सेट करते दिखाई दे सकती है.
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जिन्हें ‘डबल इंजन’ की ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा उन्हें अपने डग्गामार वाहन का ‘ब्लैक’ में टिकट दे रहे है टीपू सुल्तान!
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) January 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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क्या भाजपा के हाथ से सरक जाएगा ओबीसी वोटर ?
उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग ही माना जाता है जो करीब 50 प्रतिशत के आसपास है. इसमें करीब 35 प्रतिशत वोट गैर यादव ओबीसी का है. यूपी में लोध 4-6 प्रतिशत, कुम्हार 3 प्रतिशत, कुशवाहा मौर्य शाक्य सैनी 6 प्रतिशत वोट बैंक है. वहीं, प्रदेश में 22 प्रतिशत अन्य जातियों का वोट भी शामिल हैं जिसमें धोबी जाति भी शामिल है. वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग 25 जिलों में लोध समाज का वोट काफी अहम है. इनका प्रभाव फर्रुखाबाद, बदायूं, हाथरस, बुलंदशहर, आगरा, एटा, इटावा, कासगंज, अमरोहा जैसे जिलों में काफी अधिक है. बीजेपी इसे अब तक अपना फिक्स वोटर मानती आई है. वहीं शाक्य, मौर्य, कुशवाहा का प्रदेश के करीब 13 जिलों में अच्छा वोट बैंक है. इसमें औरेया, इटावा, जालौन, झांसी, कन्नौज, कानुपुर देहात, एटा समेत अन्य जिले शामिल हैं.
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परिवार का कोई सदस्य भटक जाये तो दुख होता है जाने वाले आदरणीय महानुभावों को मैं बस यही आग्रह करूँगा कि डूबती हुई नांव पर सवार होनें से नुकसान उनका ही होगा
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
बड़े भाई श्री दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिये
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— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 12, 2022
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— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 12, 2022
बड़े भाई श्री दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिये
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सपा की नजर ओबीसी वोटरों पर
बीजेपी से स्वामी प्रसाद मौर्य का जाना और सपा से जुड़ने की चर्चा उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य की बहाने अब सपा प्रदेश में तेजी से सभी ओबीसी जातियों को साधने में जुटती नजर आ रही है. अखिलेश की नजर राजभर, ब्राह्मण, जाट, कुर्मी, मौर्या-कुशवाहा नोनिया चौहान और पासी समुदाय के वोट बैंक पर है. इन्हें अपने पाले में लाने के लिए वे कवायद शुरू कर चुके हैं. इस दौरान अलग अलग जातियों पर अखिलेश अलग रणनीति के तहत काम कर रहे हैं.
स्वामी पर पहले से थी सपा की नजर, ओमप्रकाश को मिला था मिशन
भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के पीछे एक और कहानी सामने आ रही है. इसमें समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर ओमप्रकाश राजभर की रणनीति के भी क्रियान्वित होने की बात कही जा रही है. यह बात तब और अधिक ऊजागर होने लगी थी जब सपा नेताओं समेत ओमप्रकाश ने यह बयान दे दिया था कि आज नहीं तो कल स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कुछ अन्य अति पिछड़े नेता भाजपा का दामन छोड़ ही देंगे.
बीजेपी का डैमेज कंट्रोल शुरू
इस बीच बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री के मजदूरों के पैर धोने की फोटो शेयर की है. कहा है कि भाजपा हमेशा से पिछड़े और वंचित वर्ग के साथ रही है. इस तरह की ट्वीट भाजपा के अन्य नेता भी कर रहे हैं.
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माननीय मोदी जी के दिल में इस देश का गरीब, दलित, वंचित, पिछड़ा बसता है…
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) January 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
विपक्ष ने समाज के जिन वर्गों का केवल शोषण किया, उन्हें माननीय मोदी जी ने अपना मान कर गले से लगाया, सम्मानित किया और सशक्त किया! pic.twitter.com/StFfH0rvH9
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विपक्ष ने समाज के जिन वर्गों का केवल शोषण किया, उन्हें माननीय मोदी जी ने अपना मान कर गले से लगाया, सम्मानित किया और सशक्त किया! pic.twitter.com/StFfH0rvH9माननीय मोदी जी के दिल में इस देश का गरीब, दलित, वंचित, पिछड़ा बसता है…
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विपक्ष ने समाज के जिन वर्गों का केवल शोषण किया, उन्हें माननीय मोदी जी ने अपना मान कर गले से लगाया, सम्मानित किया और सशक्त किया! pic.twitter.com/StFfH0rvH9
मायावती भी कर रहीं जोड़-तोड़
सपा-बीजेपी के खेल के बीच मायावती भी कूद पड़ी हैं. मुजफ्फरनगर में भी बसपा का खेल सामने आया जहां यूपी के पूर्व गृहमंत्री रहे सईदुज़्ज़मां के बेटे सलमान सईद ने भी कांग्रेस छोड़ बसपा का दामन थाम लिया है. सलमान को बीएसपी ने चरथावल विधानसभा की सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.
इसी बीच कांग्रेस छोड़कर हाल ही में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए इमरान मसूद को तगड़ा झटका लगा है. इमरान के सगे भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री रशीद मसूद के भतीजे नोमान मसूद को सहारनपुर के गंगोह विधानसभा सीट से बसपा ने टिकट दे दिया है. बुधवार रात नोमान ने मायावती से मुलाकात कर लोकदल छोड़ने और बसपा ज्वाइन करने की बात कही.
भाजपा छोड़ने वालों में कई प्रमुख नाम
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में तारीखों का एलान क्या हुआ सत्ता धारी दलों में इस्तीफों की बौछार आ गयी है. इनमें कई प्रमुख नाम भी सामने आ रहे हैं जिन्होंने गुरुवार को इस्तीफा दिया. इनमें शिकोहाबाद विधायक मुकेश वर्मा भी शामिल हैं. बता दें कि भाजपा का साथ छोड़ साइकिल की सवारी करने वालों में सबसे पहले सीतापुर सदर विधान सभा से विधायक राकेश राठौड़ का नाम आया था.
इस्तीफा देने वाले विधायक
स्वामी प्रसाद मौर्य, बागी मंत्री
भगवती सागर, बिल्लौर
रोशन लाल वर्मा , तिलहर
विनय शाक्य, बिधूना
अवतार सिंह भड़ाना, मीरापुर
दारा सिंह चौहान, बागी मंत्री
ब्रजेश प्रजापति, तिंदवारी
मुकेश वर्मा, शिकोहाबाद
बाला प्रसाद अवस्थी, धौरहरा
धर्मसिंह सैनी, बागी मंत्री
स्वामी प्रसाद से पहले इस्तीफा देने वाले विधायक
राकेश राठौड़, सीतापुर सदर
जय चौबे, खलीलाबाद
राधा कृष्ण शर्मा, बिल्सी
माधुरी वर्मा, नानपारा