लखनऊ : कोरोना वायरस की वजह से तमाम आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. राजधानी लखनऊ में पिछले साल जब कोरोना से बचाव को लेकर लॉकडाउन लगाया गया था, उस समय कैब टैक्सी कारोबार भी प्रभावित हुआ. लॉकडाउन के दौरान जब कारोबार नहीं हुआ तो राजधानी लखनऊ के हजारों कैब टैक्सी चालक व इस व्यवसाय से जुड़े अन्य लोग अपनी गाड़ियों की किस्त बैंकों में नहीं जमा कर पाए. जब गाड़ियों की किस्त नहीं जमा हुई तो फाइनेंस कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इनसे जबरन वसूली की और जब वसूली नहीं हो पाई तब जाकर फाइनेंस की हुई गाड़ियां भी खींच ली गईं.
आर्थिक संकट का सामना कर रहे कैब कारोबार से जुड़े लोग
इसके बाद से कैब कारोबार से जुड़े हजारों लोगों के सामने आर्थिक संकट बना हुआ है. यह लोग बेरोजगार भी हो चुके हैं. बावजूद इसके अभी भी फाइनेंस कंपनियों की तरफ से लगातार वकीलों के माध्यम से इनसे वसूली का दबाव बनाया जा रहा है. धमकी दी जा रही है कि मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेज दिया जाएगा. अब राजधानी लखनऊ में एक बार फिर कोरोना का असर बढ़ रहा है. हर तरफ कोरोना के केस बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं. डर के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में कैब टैक्सी कारोबार भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की मांग है कि सरकार हमारा ध्यान दें और हमारे परिवार की रक्षा करते हुए कुछ आर्थिक पैकेज की घोषणा करें, जिससे हम लोग भी अपनी जिंदगी जी सकें.
लॉकडाउन के कारण नहीं जमा कर पाए किस्त
राजधानी लखनऊ के रहने वाले कैब चालक प्रशांत तिवारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने एक निजी फाइनेंस कंपनी से इंडिगो कार फाइनेंस कराकर खरीदी थी, जिसका नंबर यूपी 32 जीएन 6571 था. करीब 1 साल से अधिक गाड़ी चलाने के बाद कोरोना महामारी आ गई और लॉकडाउन लगा दिया गया. उस स्थिति में पिछले साल हमारी कमाई भी नहीं हो पाई और इसकी वजह से गाड़ी की किस्त नहीं जमा कर पाए. वहीं किस्त जमा ना होने की वजह से फाइनेंस कंपनी द्वारा दबाव बनाया जाता रहा.
फाइनेंस कंपनी ने जबरन चोरी छिपे खींच ली गाड़ी
प्रशान्त तिवारी कहते हैं कि फाइनेंस कंपनी द्वारा जबरन कुछ किस्त वसूली भी गई, लेकिन इसके बाद कंपनी ने अपने प्रतिनिधि भेजकर कर चुपचाप गाड़ी खिंचवा ली. कंपनी द्वारा हमारे ऊपर ₹3 लाख का बकाया भी दिखाया जा रहा है. जबकि यह सरासर झूठ है. सिर्फ दो लाख के आसपास ही किस्त बाकी थी. इसके बाद से लगातार हम परेशान हैं. अभी भी फाइनेंस कंपनी के वकील और अन्य लोग हमारे ऊपर वसूली को लेकर दबाव बना रहे हैं. हमारे परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ है. हम बेरोजगार भी हो चुके हैं. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों की चिंता करें और कुछ सहायता की जाए. कैब टैक्सी चालकों के हित के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएं.
कैब चालकों के लिए राहत पैकेज दे सरकार
राजधानी लखनऊ के ओला उबर एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके पांडे ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार एक बार फिर कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन लगाने के बारे में विचार कर रही है. इससे पहले जो लॉकडाउन लगे थे, तो हम लोगों की आय प्रभावित हुई थी और हमारे जो कैब चालक हैं, उनके परिवारों को सरकार के द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई थी. उनकी गाड़ियां फाइनेंस कंपनी द्वारा जबरन खींच ली गई थी. जबकि सिर्फ कुछ ही किस्त बाकी थी. जब आय प्रभावित हुई तो चालक पैसा नहीं जमा कर पाए थे. जबकि सरकार ने किस्त जमा करने को लेकर राहत दी थी, लेकिन फाइनेंस कंपनियों द्वारा जबरन वसूली की गई और गाड़ियों को भी खींच लेने का काम किया गया.
जबरन न खींची जाएं गाड़ियां
ओला उबर एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके पांडे ने कहा कि हमारी सरकार से स्पष्ट मांग है कि कैब चालकों के लिए एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए और बैंकों को यह निर्देशित किया जाए कि कोई जबरन वसूली न की जाए और ना ही गाड़ियों को छीनने का काम किया जाए. जिससे इस कारोबार से जुड़े जो लोग हैं, वह भुखमरी की कगार पर ना जाएं और परिवार सुरक्षित रहे और उनका भी रोजगार कुछ चल सके.
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राजधानी लखनऊ के संभागीय परिवहन अधिकारी आरपी द्विवेदी ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि फाइनेंस कंपनियों और ग्राहकों के बीच गाड़ियों के लोन पर लेने और उनके द्वारा गाड़ियां खींचने को लेकर हमें कोई जानकारी नहीं रहती है. यह फाइनेंस कंपनी और ग्राहक के बीच की बातचीत होती है. जबकि फाइनेंस कंपनियों द्वारा किस्त जमा ना होने के एवज में गाड़ियों को खींचे जाने को लेकर कोर्ट ने रोक भी लगा रखी है.
टैक्सी कारोबार पर कोरोना का कहर
राजधानी में होटल और ओला, उबर के तहत 12000 टैक्सी पंजीकृत है, लेकिन वर्तमान में होटल जहां खाली चल रहे हैं तो वहीं ओला-उबर की बुकिंग भी प्रभावित हुई है. कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार, 50 फीसदी से कम बुकिंग आ रही है, जिसके चलते अब खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है. ओला उबर एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके पांडे ने बताया कि कोरोना वायरस दूसरे चरण के संक्रमण ने उनके कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है. पहले के मुकाबले इस समय 50 फीसदी कारोबार में गिरावट आई है.
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ओला उबर ने वापस लीं गाड़ियां
ओला उबर एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके पांडे ने बताया कि जो ओला उबर ने ईएमआई पर गाड़ियां दी थी, इसका काफी लोगों ने फायदा भी उठाया. लेकिन 2020 में जैसे ही कोरोना वायरस और लॉकडाउन लगा दिया गया तो गाड़ियां खड़ी हो गईं और इससे ईएमआई तक नहीं भरी जा सकी. जिसके बाद ओला उबर कंपनियों ने टैक्सी वापस ले ली थी. सरकार को उनके लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.
राजधानी में कैब टैक्सी की स्थिति
- आरटीओ में पंजीकृत कैब टैक्सी की संख्या करीब 12 हजार है.
- वर्तमान में करीब पचास फीसद कैब टैक्सी ही हो संचालित रही हैं.
- फाइनेंस कंपनी द्वारा एक हजार से अधिक गाड़ियां को खींचने का काम किया गया है.
- ओला उबर ने जो गाड़ियां ईएमआई पर दी थीं, लॉकडाउन के बाद उसे वापस ले लिया गया था.