लखनऊ: राजधानी के निराला नगर स्थित श्रीरामकृष्ण मठ में चल रहे दो दिवसीय सरस्वती पूजा के बाद बुधवार को प्रतिमा विसर्जन के साथ सम्पन्न हो हुआ. विसर्जन कार्यक्रम धार्मिक परम्परा और कोविड प्रोटोकॉल के साथ हुआ. सम्पूर्ण कार्यक्रम यू-टयूब चैनल ‘रामकृष्ण मठ लखनऊ’ के माध्यम से सीधा प्रसारित भी किया गया.
मंगल आरती से शुरू हुई पूजा
सरस्वती पूजन के दूसरे दिन प्रातः स्वामी इष्टकृपानन्दजी के नेतृत्व में देवीजी की वैदिक मंत्रोच्चारण से मंगल आरती हुई. मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने सत् प्रसंग में ‘श्री माँ शारदा - सरस्वती की अवतार' विषय पर प्रवचन दिया. इसमें स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी मां शारदा देवी वास्तव में माता सरस्वती स्वरूपा हैं. उन्होंने कहा कि मां सरस्वती का बाह्य रूप शांत है, जबकि अंदर से वह शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा ही हैं. स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द ने मां दुर्गा और काली की शक्ति के बजाए देवी सरस्वती के ज्ञान की साधना की. उन्होंने बताया कि मां सरस्वती ज्ञान और भक्ति के माध्यम से मुक्तिदायनी हैं. उन्होंने ने बताया कि रामकृष्ण मठ के प्रतीक चिन्ह में जो हंस विद्यमान है, वह मां सरस्वती के ज्ञान का प्रतीक है.
दही-चूरा का प्रसाद हुआ वितरित
कानपुर के अशोक मुखर्जी ने श्री मां सरस्वती देवी की स्तुति में भक्ति गीत गाया. भक्तगणों ने देवी को पुष्पांजलि अर्पित की. उसके बाद देवी जी की आरती हुई. देवी का दर्पण विर्सजन एवं विदाई भजन अशोक मुखर्जी के नेतृत्व में हुआ. पूजा में सम्मलित भक्तगणों के मध्य दधिकर्मा (दही चूरा) का प्रसाद वितरण किया गया. पूरे धार्मिक रीति रिवाज के साथ गोसाईगंज के ग्राम बक्कास में स्थित मठ के निजी तालाब में प्रतिमा का विसर्जन किया गया, जिससे कि प्राकृतिक परिवेश प्रदूषण मुक्त रहे.