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लखनऊ की अकबरपुर बस्ती हटाने की कार्रवाई अब 20 दिसंबर के बाद, पीएम आवास के लिए लगा रहेगा कैंप

लखनऊ की बहुचर्चित अवैध बस्ती अकबरपुर को हटाने की कार्रवाई फिलहाल 20 दिसंबर तक टाल दी गई है. दरअसल अदालत में चल रहे इसी मामले की सुनवाई 20 दिसंबर को होनी है. ऐसे में बस्ती के लोगों को उम्मीद है कि फैसला उनके पक्ष में हो सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 13, 2023, 5:05 PM IST

लखनऊ : अकबरपुर अवैध बस्ती में अपनी बस्ती से हटकर अतिक्रमणकारियों प्रधानमंत्री आवास की सुविधा नहीं लेना चाहते हैं. मात्र 4:45 लख रुपये में मिल रहे फ्लैट की सुविधा को नकारा जा रहा है. वह भी डायरेक्ट अलॉटमेंट के जरिए लखनऊ विकास प्राधिकरण के शिविर में भीड़ नहीं उमड़ रही है . दूसरी ओर लखनऊ विकास प्राधिकरण और प्रशासन अब इस बस्ती को अगले एक सप्ताह तक नहीं ध्वस्त करेगा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में इस संबंध में सुनवाई जा रही है. जिसकी अगली तिथि 20 दिसंबर है. तब तक लखनऊ विकास प्राधिकरण और अन्य एजेंसियां इस बस्ती पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगी.

लखनऊ में पीएम आवास के लिए लगा कैंप.
लखनऊ में पीएम आवास के लिए लगा कैंप.


कुकरेल रिवरफ्रंट को विकसित करने के लिए अकबरनगर बस्ती को ध्वस्त किया जाना है. यहां 1400 अवैध निर्माणों को नोटिस दिया गया है. जिनमें से बड़ी संख्या में आवासीय और व्यावसायिक निर्माण किए गए हैं. यहां के निवासियों को लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रधानमंत्री आवास का सीधा आवंटन कर रहा है. केवल 4:45 लख रुपये में आवास दिया जा रहा है. इसके अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण यह व्यावसायिक संपत्तियों के विकल्प भी कब्जेदारों को दे रहा है. इसके बावजूद यहां के निवासी प्रधानमंत्री आवास के अलॉटमेंट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और अपनी जगह को नहीं छोड़ना चाहते हैं.

लखनऊ में अवैध बस्ती.
लखनऊ में अवैध बस्ती.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि यहां के सभी अवंटियों के लिए न केवल प्रधानमंत्री आवास बल्कि सामान्य फ्लैटों का भी ऑप्शन दिया गया है. वे चाहें तो मात्र 15% धनराशि जमा करके अगले 10 साल की किस्तों में फ्लैट खरीद सकते हैं. अभी तक लगभग 25 लोगों ने पंजीकरण कर लिया है. बड़ी संख्या में लोगों ने पंजीकरण फार्म भी खरीदे हैं. दूसरी और वास्तविकता यह है कि यहां पर चंद्र लोगों के अलावा ज्यादातर लोग इस जगह को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं है. उनको हाईकोर्ट से उम्मीद है कि निश्चित तौर पर उन्हें राहत मिलेगी और वह यहीं बने रहेंगे. इसलिए जिस रफ्तार से प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लखनऊ में हटाई जाएगी अवैध बस्ती, नोटिस सर्व होने के दौरान हंगामा

भीकमपुर बस्ती हटाने पहुंचे अधिकारियों के समक्ष लोगों ने किया हंगामा, अधिकारियों ने कहा-दो दिन में ढहा देंगे

लखनऊ : अकबरपुर अवैध बस्ती में अपनी बस्ती से हटकर अतिक्रमणकारियों प्रधानमंत्री आवास की सुविधा नहीं लेना चाहते हैं. मात्र 4:45 लख रुपये में मिल रहे फ्लैट की सुविधा को नकारा जा रहा है. वह भी डायरेक्ट अलॉटमेंट के जरिए लखनऊ विकास प्राधिकरण के शिविर में भीड़ नहीं उमड़ रही है . दूसरी ओर लखनऊ विकास प्राधिकरण और प्रशासन अब इस बस्ती को अगले एक सप्ताह तक नहीं ध्वस्त करेगा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में इस संबंध में सुनवाई जा रही है. जिसकी अगली तिथि 20 दिसंबर है. तब तक लखनऊ विकास प्राधिकरण और अन्य एजेंसियां इस बस्ती पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगी.

लखनऊ में पीएम आवास के लिए लगा कैंप.
लखनऊ में पीएम आवास के लिए लगा कैंप.


कुकरेल रिवरफ्रंट को विकसित करने के लिए अकबरनगर बस्ती को ध्वस्त किया जाना है. यहां 1400 अवैध निर्माणों को नोटिस दिया गया है. जिनमें से बड़ी संख्या में आवासीय और व्यावसायिक निर्माण किए गए हैं. यहां के निवासियों को लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रधानमंत्री आवास का सीधा आवंटन कर रहा है. केवल 4:45 लख रुपये में आवास दिया जा रहा है. इसके अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण यह व्यावसायिक संपत्तियों के विकल्प भी कब्जेदारों को दे रहा है. इसके बावजूद यहां के निवासी प्रधानमंत्री आवास के अलॉटमेंट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और अपनी जगह को नहीं छोड़ना चाहते हैं.

लखनऊ में अवैध बस्ती.
लखनऊ में अवैध बस्ती.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि यहां के सभी अवंटियों के लिए न केवल प्रधानमंत्री आवास बल्कि सामान्य फ्लैटों का भी ऑप्शन दिया गया है. वे चाहें तो मात्र 15% धनराशि जमा करके अगले 10 साल की किस्तों में फ्लैट खरीद सकते हैं. अभी तक लगभग 25 लोगों ने पंजीकरण कर लिया है. बड़ी संख्या में लोगों ने पंजीकरण फार्म भी खरीदे हैं. दूसरी और वास्तविकता यह है कि यहां पर चंद्र लोगों के अलावा ज्यादातर लोग इस जगह को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं है. उनको हाईकोर्ट से उम्मीद है कि निश्चित तौर पर उन्हें राहत मिलेगी और वह यहीं बने रहेंगे. इसलिए जिस रफ्तार से प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है.

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