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लखनऊः आईआईटीआर ने जारी की प्री-मानसून रिपोर्ट, पानी से लेकर हवा में बढ़ी गुणवत्ता

सीएसआईआर की प्रयोगशाला भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान की ओर से प्री मानसून रिपोर्ट जारी की गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि आईआईटीआर के द्वारा जारी की गई प्री-मानसून रिपोर्ट के इतिहास में पहली बार इतनी बेहतरीन रिपोर्ट दर्ज की गई है.

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यूपी प्री-मानसून रिपोर्ट.
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Published : Jun 5, 2020, 12:01 PM IST

Updated : Jun 6, 2020, 2:42 PM IST

लखनऊः इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने बताया कि हर वर्ष 2 बार प्री-मानसून रिपोर्ट रिलीज की जाती है. हम सभी देख रहे हैं कि इस वर्ष पर्यावरण बेहतरीन ढंग से सजीव हो गया है. इस वजह से हमने इस वर्ष गोमती नदी की भी मॉनिटरिंग की है. 9 अलग-अलग जगहों पर हमने पानी और वायु की जांच की है.

प्रोफेसर धवन ने बताया कि यह जांच हमने असाधारण समय में की है, जब कोविड-19 के कारण लॉकडाउन चल रहा था. उस दौरान हमने एयर मॉनिटरिंग की. एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात की जाए तो पूरे लॉकडाउन और पहले अनलॉक को मिलाकर वायु की गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है. पिछले वर्ष प्री-मानसून रिपोर्ट की अपेक्षा इस वर्ष लखनऊ की एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी बेहतर हो गई है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा एक्यूआई में 40 से 50% तक का इजाफा हुआ है. यानी पीएम 2.5, pm 10 और तमाम गैसों का स्तर काफी मात्रा में बेहतर हुआ है.

विश्व पर्यावरण दिवस .

क्या है रिपोर्ट
पिछले वर्ष की अपेक्षा में इस वर्ष पीएम 2.5 के 24 घंटे के स्तर में 35.2% की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं pm10 के स्तर में 44.9% की गिरावट दर्ज की गई है. गैसों की बात की जाए तो सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानक यानी 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बहुत कम था. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सल्फर डाइऑक्साइड में औसतन 18.6% और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में 27.7% का कंसंट्रेशन कम पाया गया.

प्रोफेसर धवन ने कहा कि ध्वनि स्तर की बात की जाए तो दिन का ध्वनि स्तर 54.4 से 70.2 डेसिबल और रात में ध्वनि स्तर 42.7 से 47.8 डेसिबल के बीच पाया गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स के लिए अलीगंज, इंदिरा नगर, आईआईटीआर, चारबाग, आलमबाग, अमौसी, विकासनगर और गोमती नगर में जांच की गई थी. प्रोफेसर धवन कहते हैं कि सभी प्रदूषकों के कंसंट्रेशन की यदि बात की जाए तो विगत वर्षों की तुलना में इन सभी में गिरावट देखी गई है.

गोमती नदी की भी हुई मॉनिटरिंग
आईआईटीआर ने इस वर्ष गोमती नदी के अलग-अलग 9 जगहों पर मॉनिटरिंग की गई थी. इसमें डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी हुई पाई गई. प्रो. धवन ने बताया कि डिसॉल्वड ऑक्सीजन की वजह से किसी भी नदी में जीव जंतु जीवित रह पाते हैं. यदि अलग-अलग जगहों के लिहाज से हम बात करें तो औसतन डिसॉल्वड ऑक्सीजन 5 से 7 मिलीग्राम प्रति लीटर कम पाई गई. इसके अलावा नदी का पीएच भी एकदम सामान्य हो गया और कई अन्य पैरामीटर जो सरफेस वाटर के लिए होते हैं. वह भी काफी हद तक नॉर्मल हो गए.

गोमती नदी की मॉनिटरिंग घैला पुल-आई एम रोड, कुड़िया घाट, शहीद स्मारक, आईआईटीआर के सामने, झूलेलाल पार्क, खाटू श्याम मंदिर, शांति वाटिका-बैकुंठ धाम, रिवरफ्रंट-गोमती नगर और इकाना स्टेडियम के पास भरवारा में की गई है.

विश्व पर्यावरण की थीम 'टाइम फॉर नेचर'
सीएसआईआर के प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने बताया कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर वेबीनार का आयोजन करवा रहे हैं. इस वेबीनार को लाइव देखा जा सकता है. सेमिनार सीएसआईआर की वेबसाइट पर यह वेबिनार शाम 4:00 बजे से लाइव रहेगा. इस वेबीनार के मुख्य वक्ता पद्म विभूषण प्रोफेसर आर्य मशेलकर होंगे जो भारत की इकोनॉमी को बेहतर बनाने और कुछ अन्य विषयों पर अपनी बात रखेंगे.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में परिवहन निगम के बढ़ते कदम

साथ ही सीएसआईआर की एक अन्य प्रयोगशाला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान भी पर्यावरण दिवस पर लाइव वेबीनार के जरिए विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. यह वेबीनार सुबह 11:30 बजे आयोजित किया जाएगा. इस सेमिनार में एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह बतौर मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में उपस्थित होंगे. एनबीआरआई में यह वेबिनार 'ग्लोबल क्लाइमेट चेंज और हिमालयन सिस्टम' के विषय पर आयोजित की जा रही है. एनबीआरआई में होने वाले वेबीनार को लाइव https://tinyurl.com/Y9exxbjb जॉइनिंग लिंक जाकर देख सकते हैं.

लखनऊः इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने बताया कि हर वर्ष 2 बार प्री-मानसून रिपोर्ट रिलीज की जाती है. हम सभी देख रहे हैं कि इस वर्ष पर्यावरण बेहतरीन ढंग से सजीव हो गया है. इस वजह से हमने इस वर्ष गोमती नदी की भी मॉनिटरिंग की है. 9 अलग-अलग जगहों पर हमने पानी और वायु की जांच की है.

प्रोफेसर धवन ने बताया कि यह जांच हमने असाधारण समय में की है, जब कोविड-19 के कारण लॉकडाउन चल रहा था. उस दौरान हमने एयर मॉनिटरिंग की. एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात की जाए तो पूरे लॉकडाउन और पहले अनलॉक को मिलाकर वायु की गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है. पिछले वर्ष प्री-मानसून रिपोर्ट की अपेक्षा इस वर्ष लखनऊ की एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी बेहतर हो गई है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा एक्यूआई में 40 से 50% तक का इजाफा हुआ है. यानी पीएम 2.5, pm 10 और तमाम गैसों का स्तर काफी मात्रा में बेहतर हुआ है.

विश्व पर्यावरण दिवस .

क्या है रिपोर्ट
पिछले वर्ष की अपेक्षा में इस वर्ष पीएम 2.5 के 24 घंटे के स्तर में 35.2% की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं pm10 के स्तर में 44.9% की गिरावट दर्ज की गई है. गैसों की बात की जाए तो सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का कंसंट्रेशन नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानक यानी 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बहुत कम था. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सल्फर डाइऑक्साइड में औसतन 18.6% और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में 27.7% का कंसंट्रेशन कम पाया गया.

प्रोफेसर धवन ने कहा कि ध्वनि स्तर की बात की जाए तो दिन का ध्वनि स्तर 54.4 से 70.2 डेसिबल और रात में ध्वनि स्तर 42.7 से 47.8 डेसिबल के बीच पाया गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स के लिए अलीगंज, इंदिरा नगर, आईआईटीआर, चारबाग, आलमबाग, अमौसी, विकासनगर और गोमती नगर में जांच की गई थी. प्रोफेसर धवन कहते हैं कि सभी प्रदूषकों के कंसंट्रेशन की यदि बात की जाए तो विगत वर्षों की तुलना में इन सभी में गिरावट देखी गई है.

गोमती नदी की भी हुई मॉनिटरिंग
आईआईटीआर ने इस वर्ष गोमती नदी के अलग-अलग 9 जगहों पर मॉनिटरिंग की गई थी. इसमें डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी हुई पाई गई. प्रो. धवन ने बताया कि डिसॉल्वड ऑक्सीजन की वजह से किसी भी नदी में जीव जंतु जीवित रह पाते हैं. यदि अलग-अलग जगहों के लिहाज से हम बात करें तो औसतन डिसॉल्वड ऑक्सीजन 5 से 7 मिलीग्राम प्रति लीटर कम पाई गई. इसके अलावा नदी का पीएच भी एकदम सामान्य हो गया और कई अन्य पैरामीटर जो सरफेस वाटर के लिए होते हैं. वह भी काफी हद तक नॉर्मल हो गए.

गोमती नदी की मॉनिटरिंग घैला पुल-आई एम रोड, कुड़िया घाट, शहीद स्मारक, आईआईटीआर के सामने, झूलेलाल पार्क, खाटू श्याम मंदिर, शांति वाटिका-बैकुंठ धाम, रिवरफ्रंट-गोमती नगर और इकाना स्टेडियम के पास भरवारा में की गई है.

विश्व पर्यावरण की थीम 'टाइम फॉर नेचर'
सीएसआईआर के प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने बताया कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर वेबीनार का आयोजन करवा रहे हैं. इस वेबीनार को लाइव देखा जा सकता है. सेमिनार सीएसआईआर की वेबसाइट पर यह वेबिनार शाम 4:00 बजे से लाइव रहेगा. इस वेबीनार के मुख्य वक्ता पद्म विभूषण प्रोफेसर आर्य मशेलकर होंगे जो भारत की इकोनॉमी को बेहतर बनाने और कुछ अन्य विषयों पर अपनी बात रखेंगे.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में परिवहन निगम के बढ़ते कदम

साथ ही सीएसआईआर की एक अन्य प्रयोगशाला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान भी पर्यावरण दिवस पर लाइव वेबीनार के जरिए विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. यह वेबीनार सुबह 11:30 बजे आयोजित किया जाएगा. इस सेमिनार में एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह बतौर मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में उपस्थित होंगे. एनबीआरआई में यह वेबिनार 'ग्लोबल क्लाइमेट चेंज और हिमालयन सिस्टम' के विषय पर आयोजित की जा रही है. एनबीआरआई में होने वाले वेबीनार को लाइव https://tinyurl.com/Y9exxbjb जॉइनिंग लिंक जाकर देख सकते हैं.

Last Updated : Jun 6, 2020, 2:42 PM IST
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