लखनऊः अगर आप सोच रहे हैं कि जो भूखंड आपने एलडीए से खरीदा है वह पूरी तरह से सुरक्षित है भविष्य में आप उस पर अपना मकान बनवाएंगे तो सावधान हो जाइए. एलडीए के पूरे कंप्यूटर सिस्टम को खतरा है. कुछ समय पहले हैकरों ने सेंधमारी की थी. जिसके जरिये अरबों रुपये के 500 भूखंड की हेराफेरी हो चुकी है. एक मामले में मुकदमा दर्ज करवाया था. कोई गिरफ्तारी नहीं हुई और न ही कोई खास एक्शन, मगर अब प्राधिकरण ने हैकरों से बचने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अपनी फाइलों को टैंपरिंग से बचाएगा. जिसमें कानपुर आईआईटी की मदद ली जाएगी.
करीब चार महीने पहले प्राधिकरण के तत्कालीन तहसीलदार राजेश शुक्ल की ओर से ये मुकदमा दर्ज करवाया गया था. एलडीए के सिस्टम की देखरेख करने वाली कंपनी डीजी टेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ ये मुकदमा दर्ज करवाया गया था. कंपनी के सीईओ अजीत मित्तल व सर्विस इंजीनियर दीपक मिश्र के खिलाफ यह केस दर्ज किया गया था. आरोप था कि इन लोगों ने कर्मचारियों के पासवर्ड हैक कर के डिजिटल डेटा में हेराफेरी की थी. जिससे प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की हानि हुई थी.
एलडीए के अफसर और कर्मचारियों की थी मिलीगभत
ये पूरी जांच संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने की थी. जिसमें सामने आया था कि कम से कम 500 भूखंड जो कि गोमती नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, जानकीपुरम, कानपुर रोड योजना में थे, उनमें खेल साल 2018 से शुरू किया गया था, जो कि अक्टूबर 2020 तक जारी रहा. लॉकडाउन में जब दफ्तर बंद थे तब भी ये खेल हुआ था. जिसमें प्राधिकरण के कर्मचारी और अधिकारियों के मिले होने की आशंका थी. इन लोगों ने कंप्यूटर पर आवंटियों के नाम बदल दिए और फाइलें गायब कर दीं.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि प्राधिकरण की संपत्तियों और अन्य महत्वपूर्ण अभिलेखों में हेरफेर की आशंका समाप्त होगी. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किये जाने के निर्देश दिये गए हैं. एलडीए में मंगलवार को बैठक में आईआईटी के विशेषज्ञ मनेन्द्र अग्रवाल, डिप्टी डायरेक्टर आईआईटी कानपुर की टीम के साथ बैठक हुई. रजिस्ट्री, आवंटन व नामांतरण में छेडछाड़ को तकनीकी के माध्यम से राका जाएगा. सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी से सम्बन्धित कमियों को दूर किया जाएगा। बैठक में प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी अमित राठौर एवं देवांश त्रिवेदी तथा प्रोग्रामर एनालिस्ट राघवेन्द्र मिश्रा उपस्थित रहे.
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