लखनऊ: कोरोना के 80 फीसद मरीज होमआइसोलेशन में हैं. वहीं संक्रमण अब शहर से लेकर गांव तक फैल चुका है. कोरोना की दूसरी वेव में घातक वायरस फेफड़े पर भी जमकर हमला कर रहा है. मरीज निमोनिया की चपेट में आकर मौत का शिकार हो रहे हैं. लिहाजा आज के दौर में फेफड़े में संक्रमण की पुष्टि के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन के लिए मारामारी है. यदि आपके आसपास जांच की सुविधा नहीं है तो इसके लिए ज्यादा परेशान न हों. लक्षणों पर गौर कर खुद अपना परीक्षण करें. राज्य कोविड नियंत्रण समिति के सदस्य और केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने फेफड़े में निमोनिया की पहचान के लिए सेल्फ असेसमेंट व ट्रीटमेंट के टिप्स दिए. इसमें छह मिनट के वॉक टेस्ट समेत कई अहम सुझाव हैं. इससे कोई भी व्यक्ति समय पर बीमारी को पहचान कर जल्द से जल्द इलाज करा सकता है और स्थिति गंभीर होने से बच सकता है. पेश है स्पेशल रिपोर्ट...
यह है उपचार
- 100 से ज्यादा बुखार आने पर तीन से चार बार 650 एमजी पैरासीटामॉल लें
- खाली पेट दिन के एक बार एक टेबलेट एसिडिटी की पेंटा प्रोजोल की डोज लें
- लगातार तीन दिन रात में खाने के 2 घंटे बाद आईवरमेक्टिन 12 एमजी की एक-एक टेबलेट लें
- तीन दिन तक एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी की डोज लें. इसके बाद पांच दिन सुबह -शाम डॉक्सीसाइक्लिन 100 एमजी की डोज लें
- जुकाम होने पर लिवोसिट्रजिन 5 एमजी का एक बार दिन में सेवन करें
- इसके अलावा विटामिन सी -500 एमजी दो से तीन बार एक दिन में. विटामिन D3 -60 हजार यूनिट 7 दिन में एक एक बार और जिंक 50 एमजी रोज एक बार सेवन करें.
-4-5 वें दिन लक्षणों पर करें गौर, सांस फूले तो स्टेरॉयड थेरेपी लें.
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक चौथे से पांचवें दिन रोगी को अलर्ट हो जाना चाहिए. वह अपने लक्षणों पर गौर करें. वॉक टेस्ट करें. इस दौरान सांस फूलने लगे, चेस्ट में जकड़न लगे तो यह फेफड़े में कोविड निमोनिया के संकेत हैं. इसमें देखें हाथ -पैर की उंगलियों नीली तो नहीं पड़ी. ऑक्सीजन लेवल 95 से नीचे तो नहीं आया. इसकी मॉनिटरिंग करें. इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर तुरंत स्टेरॉयड थेरेपी शुरू करें. इस थेरेपी के दौरान ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग आवश्यक है. खासकर डायबिटीज मरीजों के लिए विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि इसमें शरीर में शुगर लेवल व बीपी बढ़ता है. व्यस्क व 70 किलो वजनी मरीज यह डोज ले सकते हैं.
यह है स्टेरॉयड थेरेपी
- मरीज की उपरोक्त दवाओं के अतिरिक्त डेक्सामेथासोन की पहली डोज 16 एमजी
- इसके बाद तीन दिन तक सुबह-शाम 8 एमजी डेक्सामेथासोन लें
- तीन दिन तक सुबह-शाम डेक्सामेथासोन 4 एमजी की डोज लें.
- डेक्सामेथासोन न मिले तो मिथाइलप्रेडनीसोलोन की पहली डोज 64 एमजी लें. इसके बाद 32 एमजी सुबह-शाम तीन दिन, 16 एमजी सुबह-शाम तीन दिन ले सकते हैं. इसके बाद तीन दिन तक कोई लक्षण नहीं महसूस हो रहे हैं और राहत मिल गयी है तो डॉक्टर की सलाह पर डोज बंद कर दें.
स्टेरॉयड थेरेपी के साथ यह एंटीबायोटिक भी जरूरी
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक स्टेरॉयड थेरेपी के साथ सुबह-शाम सिफेक्जीम- 200 एमजी या अन्य सिफेलो स्पोरिन थर्ड जनरेशन ग्रुप की अन्य एंटीबायोटिक 5 से 7 दिन लें. इसके अलावा पेंटा प्रोजोल को 7 दिन खाली पेट दिन में एक बार ले सकते हैं. इस दौरान हालात में सुधार न होते देखकर मरीज को अस्पताल में भर्ती कराएं.
उल्टी दस्त के लक्षण पर ये दवाएं करें शामिल
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक करोना के कई मरीजों में उल्टी- दस्त के लक्षण होते हैं. ऐसे में उनके शरीर में द्रव्य की कमी हो जाती है. यह मरीज एकाएक गंभीर हो जाते हैं. ऐसे मरीज ओफ़्लॉक्सासिन व ऑरनीडोजोल के कांबिनेशन का सुबह-शाम 3 दिन सेवन करें. साथ ही नमक -चीनी- नींबू का घोल पिएं या इलेक्ट्रॉल पाउडर मिलाकर पीते रहें.
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यह भी रखें ध्यान
- संक्रमित व्यक्ति रोजाना कम से कम तीन बार भाप लें
- सुबह-शाम गुनगुने पानी से गरारा अवश्य करें
- गुनगुना पानी व काढ़ा पिएं
- पौष्टिक व सुपाच्य भोजन करें
- व्यायाम, ध्यान, योग करें, तनाव न लें
- कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम और ठंडे पेय पदार्थों का सेवन न करें
- फास्ट फूड, प्रिजर्व फ़ूड, बासी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें
- संक्रमित व्यक्ति दो हफ्ते तक आइसोलेशन में रहें
- रिस्परेटरी हाइजीन मेनटेन रखें. मास्क लगाएं रखें
- शरीर में पानी की कमी न होने दें, घर के सभी सदस्य प्रोटोकॉल का पालन करें.