ETV Bharat / state

शोध को बढ़ावा देने की रणनीति में आईसीएमआर करेगा आर्थिक और तकनीकी सहयोग

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने शोध को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार की है. इसमें आईसीएमआर आर्थिक और तकनीकी तौर पर सहयोग देगा.

etv bharat
शोध को बढ़ावा देने की रणनीति में आईसीएमआर करेगा आर्थिक और तकनीकी सहयोग
author img

By

Published : Apr 17, 2022, 8:17 PM IST

लखनऊ: चिकित्‍सा क्षेत्र को नए आयामों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. प्रदेश में तेजी से बढ़ते मेडिकल कॉलेज और चिकित्‍सा सुविधाओं के साथ अब मरीजों पर शोध कर उसके कारणों का पता लगाकर सस्‍ते इलाज की रणनीति तैयार की जाएगी. इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में मल्‍टी डिसक्लिपनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) बनाई जा रही है. यह यूनिट संबंधित इलाके की बीमारी पर शोध और उसके कारणों का पता लगाकर सस्ते इलाज की रणनीति तैयार करने में लाभदायक होगी. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने शोध को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार की है जिसमें आईसीएमआर आर्थिक और तकनीकी तौर पर सहयोग देगा.

प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ खास बीमारियां अधिक होती हैं. कहीं मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर समेत दूसरी बीमारियों के अधिक मरीज मिल रहे हैं तो कुछ इलाकों में फाइलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस दूसरी बीमारियों के रोगी अधिक हैं. इन बीमारियों पर केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्‍थान तेजी से शोध कर रहे हैं. लेकिन अब चिकित्‍सा शिक्षा विभाग हर मेडिकल कॉलेज से संबंधित क्षेत्र की बीमारियों पर शोध कराने के उद्देश्‍य से इस प्रोजेक्‍ट पर तेजी से काम कर रहा है.

गोरखपुर समेत दूसरे मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई एमआरयू : जीएसवीएम कानपुर और ग्रेटर नोएडा में एमआरयू शुरू की गई. यहां पर अब तेजी से शोध भी किए जा रहे हैं. इसके साथ भी अब झांसी, आगरा और मेरठ में भी शुरू होने वाली है. जल्‍द ही प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में ऐसे रिसर्च यूनिट शुरू करने की तैयारी है जिससे वहां के संकाय सदस्‍यों को भी चिकित्‍सा संस्‍थानों की तरह शोध का मौका मिलेगा. यही नहीं, शोध में रुचि रखने वाले संकाय सदस्‍य विभिन्‍न मेडिकल कॉलेजों में योगदान भी देंगे.

संबंधित क्षेत्र में जिस बीमारी के अधिक मरीज आएंगे उसका होगा मूल्‍यांकन : प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों से एमआरयू के लिए आवेदन मांगा गया है. पहले चरण में 10 मेडिकल कॉलेजों में इसकी शुरूआत होगी. आवेदन में मेडिकल कॉलेजों से यूनिट की स्थापना के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टाफ व अन्य सुविधाओं का विवरण मांगा गया है. जिस मेडिकल कॉलेज में निर्धारित सुविधाएं होंगी, वहां यूनिट खुलेगी. डीजीएमई डॉ. एनसी प्रजापति ने बताया कि जल्‍द ही प्रदेश के 18 मेडिकल कॉलेजों में भी इसका विस्‍तार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें:गंगा समग्र कार्यक्रम में बोले CM योगी, नमामि गंगे योजना ने भारत की नदी संस्कृति को किया पुनर्जीवित

उन्‍होंने बताया कि नॉन कम्‍युनिकेबल रोगों पर शोध किया जाएगा. मेडिकल कॉलेजों में एमआरयू शुरू होने से संबंधित क्षेत्र में जिस बीमारी के अधिक मरीज आएंगे उसका मूल्‍यांकन किया जा सकेगा. वहां संकाय सदस्‍य इलाज की नई सस्‍ती तरकीब ढूंढने में योगदान दे सकेंगे जिससे चिकित्‍सा की गुणवत्‍ता बेहतर होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: चिकित्‍सा क्षेत्र को नए आयामों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. प्रदेश में तेजी से बढ़ते मेडिकल कॉलेज और चिकित्‍सा सुविधाओं के साथ अब मरीजों पर शोध कर उसके कारणों का पता लगाकर सस्‍ते इलाज की रणनीति तैयार की जाएगी. इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में मल्‍टी डिसक्लिपनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) बनाई जा रही है. यह यूनिट संबंधित इलाके की बीमारी पर शोध और उसके कारणों का पता लगाकर सस्ते इलाज की रणनीति तैयार करने में लाभदायक होगी. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने शोध को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार की है जिसमें आईसीएमआर आर्थिक और तकनीकी तौर पर सहयोग देगा.

प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ खास बीमारियां अधिक होती हैं. कहीं मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर समेत दूसरी बीमारियों के अधिक मरीज मिल रहे हैं तो कुछ इलाकों में फाइलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस दूसरी बीमारियों के रोगी अधिक हैं. इन बीमारियों पर केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्‍थान तेजी से शोध कर रहे हैं. लेकिन अब चिकित्‍सा शिक्षा विभाग हर मेडिकल कॉलेज से संबंधित क्षेत्र की बीमारियों पर शोध कराने के उद्देश्‍य से इस प्रोजेक्‍ट पर तेजी से काम कर रहा है.

गोरखपुर समेत दूसरे मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई एमआरयू : जीएसवीएम कानपुर और ग्रेटर नोएडा में एमआरयू शुरू की गई. यहां पर अब तेजी से शोध भी किए जा रहे हैं. इसके साथ भी अब झांसी, आगरा और मेरठ में भी शुरू होने वाली है. जल्‍द ही प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में ऐसे रिसर्च यूनिट शुरू करने की तैयारी है जिससे वहां के संकाय सदस्‍यों को भी चिकित्‍सा संस्‍थानों की तरह शोध का मौका मिलेगा. यही नहीं, शोध में रुचि रखने वाले संकाय सदस्‍य विभिन्‍न मेडिकल कॉलेजों में योगदान भी देंगे.

संबंधित क्षेत्र में जिस बीमारी के अधिक मरीज आएंगे उसका होगा मूल्‍यांकन : प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों से एमआरयू के लिए आवेदन मांगा गया है. पहले चरण में 10 मेडिकल कॉलेजों में इसकी शुरूआत होगी. आवेदन में मेडिकल कॉलेजों से यूनिट की स्थापना के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टाफ व अन्य सुविधाओं का विवरण मांगा गया है. जिस मेडिकल कॉलेज में निर्धारित सुविधाएं होंगी, वहां यूनिट खुलेगी. डीजीएमई डॉ. एनसी प्रजापति ने बताया कि जल्‍द ही प्रदेश के 18 मेडिकल कॉलेजों में भी इसका विस्‍तार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें:गंगा समग्र कार्यक्रम में बोले CM योगी, नमामि गंगे योजना ने भारत की नदी संस्कृति को किया पुनर्जीवित

उन्‍होंने बताया कि नॉन कम्‍युनिकेबल रोगों पर शोध किया जाएगा. मेडिकल कॉलेजों में एमआरयू शुरू होने से संबंधित क्षेत्र में जिस बीमारी के अधिक मरीज आएंगे उसका मूल्‍यांकन किया जा सकेगा. वहां संकाय सदस्‍य इलाज की नई सस्‍ती तरकीब ढूंढने में योगदान दे सकेंगे जिससे चिकित्‍सा की गुणवत्‍ता बेहतर होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.