लखनऊ: केजीएमयू के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता सप्ताह कार्यक्रम मनाया गया था. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं में स्वच्छता और सकारात्मक विचारों को पहुंचाना था. ताकि अस्पताल में मिल रही सेवाओं में भी सकारात्मकता आ सके.
28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चला स्वच्छता सप्ताह कार्यक्रम
लखनऊ के केजीएमयू में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता सप्ताह कार्यक्रम मनाया गया था. इस कार्यक्रम का विषय स्वच्छता से स्वास्थ्य की ओर रखा गया था, जिसके तहत स्वच्छता जागरूकता अभियान, व्याख्यान प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता और नुक्कड़ नाटक समेत तमाम प्रतियोगिताएं की गई थीं. मरीजों और तीमारदारों के बीच जाकर उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया था. इसके समापन के अवसर पर केजीएमयू के कलाम सेंटर में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में पैथोलॉजी विभाग के डॉ. रतन सिंह, रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉ. अनिल परिहार के साथ कई अन्य प्रोफेसर और पैरामेडिकल साइंस के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
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चिकित्सा के पेशे में सेवा भाव जरूरी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आए चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी हमें यही सिखाया है कि किसी भी कार्य को करते समय अगर सेवा की भावना शामिल हो जाए तो हम अपने पथ से नही भटकेंगे. चिकित्सा तो एक ऐसा पेशा है, जिसमें सेवा भाव का रहना बेहद जरूरी है. पैरामेडिकल के बच्चों द्वारा की गई हर प्रतियोगिता और जागरूकता कार्यक्रम बेहद सराहनीय है. उन्होंने मरीजों के बीच जाकर स्वच्छता का संदेश दिया है.
स्वच्छ मन से होता है भाग्य का निर्माण
इस अवसर पर इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के डीन डॉ. विनोद जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम को आयोजित करने का उद्देश्य, महात्मा गांधी जी द्वारा दिए गए स्वच्छता संदेश को अस्पताल में आ रहे रोगियों और उनके साथ आ रहे लोगों को बताना है. ताकि वह जागरूक हो सकें और इससे स्वस्थ देश का भी निर्माण हो सके. उन्होंने बताया कि स्वच्छ मन से ही भाग्य का निर्माण होता है. वह कहते हैं कि जैसा हम सोचते हैं वैसा ही हम बोलते हैं और जैसा हम बोलते हैं, वैसा ही करते हैं और भविष्य में वही हमारी आदत बन जाती है और आदत ही चरित्र बनता है, जो भाग्य का निर्माण करता है. उन्होंने कहा कि बेहतर भाग्य निर्माण के लिए सदैव अपने मन में सकारात्मक विचार लाएं.
स्वच्छता के माध्यम से ही शरीर स्वस्थ रहता है. हमें अपने घर और दफ्तर से ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए, ताकि हम भी स्वस्थ रहें और दूसरों को भी स्वस्थ रहने का संदेश दे सकें.
-मधुमति गोयल, प्रोफेसर