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परिवहन निगम के एमडी से मानवाधिकार आयोग ने किया जवाब-तलब, जानिए वजह

प्रशिक्षण का पूरा पैसा नहीं दिए जाने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने परिवहन निगम के एमडी को तलब कर लिया है.

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Published : Aug 10, 2023, 7:02 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में प्रशिक्षण का पूरा पैसा नहीं दिए जाने की शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग पहुंच चुकी है. रोडवेज कर्मियों की इस शिकायत पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने परिवहन निगम के एमडी को तलब कर लिया है. "ईटीवी भारत" ने पिछले दिनों "परिवहन निगम में प्रशिक्षण घोटाले की आशंका, ड्राइवरों का आरोप उनके हिस्से के पैसे डकार रहे अफसर" शीर्षक से खबर प्रसारित की थी. इसके बाद इसे लेकर परिवहन निगम के जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूलने लगे थे. खबर प्रकाशित होने के बाद कर्मचारियों ने मानवाधिकार आयोग का रुख किया था. इन कर्मचारियों का आरोप है कि 'प्रशिक्षण के दौरान सात दिन का पैसा दिया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पांच दिन का ही दिया जा रहा है. दो दिन का पैसा कहां जा रहा है, इसको लेकर अधिकारी बताने को तैयार नहीं हैं.'




दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में यह व्यवस्था की गई है कि जिस बस चालक से बस दुर्घटना होती है या डीजल औसत नहीं आता है, ऐसे चालक को कानपुर स्थित एलेन फॉरेस्ट कार्यशाला में सात दिन के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है. इसके एवज में उनको भुगतान भी किया जाता है, जिसमें संविदा चालक को प्रतिदिन ₹225 के हिसाब से और नियमित चालक को ₹125 प्रतिदिन के हिसाब से कानपुर स्थित कार्यशाला में ट्रेनिंग के लिए जाने से पहले डिपो की तरफ से दिए जाने का प्रावधान है. हैदरगढ़ डिपो के संविदा चालक विनोद सिंह, अनिल तिवारी, मोहम्मद अमीन और मोहम्मद इमरान को खराब डीजल औसत के चलते कानपुर स्थित कार्यशाला में डिपो की तरफ से प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था. इनका आरोप है कि पांच दिन का ही भुगतान दिए जाने का आदेश किया गया है, जबकि प्रशिक्षण प्राप्त करने गए प्रदेश के अन्य डिपो के चालकों को सात दिन का 1575 रुपए का भुगतान किया गया है.

यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय ने मानवाधिकार में शिकायत की कि उनके हक के पैसे का गबन किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय प्रबंधक और उपनगरीय डिपो की केंद्र प्रभारी ने पांच दिन का पैसा जारी करने का आदेश दिया है. कई कर्मचारियों का दो दिन का पैसा दबा लिया गया है. यूनियन के पदाधिकारी की इस अपील पर मानवाधिकार आयोग ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से 30 अक्टूबर तक पूरी रिपोर्ट तलब की है.





'केपेक्स मॉडल पर चलाई जाएंगी इलेक्ट्रिक बसें' : उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि 'परिवहन निगम पहले चरण में अपने बस बेड़े में 250 इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करेगा. इसके लिए भारत सरकार की फेम टू स्कीम के तहत मिलने वाले 40 प्रतिशत अनुदान के लिए पत्र भेजा गया है. परिवहन निगम केपेक्स मॉडल पर आधारित व्यवस्था के तहत इंटर सिटी इलेक्ट्रिक बस चलाएगा. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि 'परिवहन निगम के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होना है. प्रदेश सरकार की मंशा प्रमुख धार्मिक स्थलों जिनमें अयोध्या, काशी, प्रयागराज, मथुरा और चित्रकूट को प्रदेश की राजधानी से इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से सीधे जोड़ने की है. इलेक्ट्रिक बसें प्रदूषणमुक्त, पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी किफायती हैं.'

यह भी पढ़ें : UPSRTC पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाएगा 100 इलेक्ट्रिक बसें, 10 शहरों में स्थापित होंगे चार्जिंग स्टेशन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में प्रशिक्षण का पूरा पैसा नहीं दिए जाने की शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग पहुंच चुकी है. रोडवेज कर्मियों की इस शिकायत पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने परिवहन निगम के एमडी को तलब कर लिया है. "ईटीवी भारत" ने पिछले दिनों "परिवहन निगम में प्रशिक्षण घोटाले की आशंका, ड्राइवरों का आरोप उनके हिस्से के पैसे डकार रहे अफसर" शीर्षक से खबर प्रसारित की थी. इसके बाद इसे लेकर परिवहन निगम के जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूलने लगे थे. खबर प्रकाशित होने के बाद कर्मचारियों ने मानवाधिकार आयोग का रुख किया था. इन कर्मचारियों का आरोप है कि 'प्रशिक्षण के दौरान सात दिन का पैसा दिया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पांच दिन का ही दिया जा रहा है. दो दिन का पैसा कहां जा रहा है, इसको लेकर अधिकारी बताने को तैयार नहीं हैं.'




दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में यह व्यवस्था की गई है कि जिस बस चालक से बस दुर्घटना होती है या डीजल औसत नहीं आता है, ऐसे चालक को कानपुर स्थित एलेन फॉरेस्ट कार्यशाला में सात दिन के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है. इसके एवज में उनको भुगतान भी किया जाता है, जिसमें संविदा चालक को प्रतिदिन ₹225 के हिसाब से और नियमित चालक को ₹125 प्रतिदिन के हिसाब से कानपुर स्थित कार्यशाला में ट्रेनिंग के लिए जाने से पहले डिपो की तरफ से दिए जाने का प्रावधान है. हैदरगढ़ डिपो के संविदा चालक विनोद सिंह, अनिल तिवारी, मोहम्मद अमीन और मोहम्मद इमरान को खराब डीजल औसत के चलते कानपुर स्थित कार्यशाला में डिपो की तरफ से प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था. इनका आरोप है कि पांच दिन का ही भुगतान दिए जाने का आदेश किया गया है, जबकि प्रशिक्षण प्राप्त करने गए प्रदेश के अन्य डिपो के चालकों को सात दिन का 1575 रुपए का भुगतान किया गया है.

यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय ने मानवाधिकार में शिकायत की कि उनके हक के पैसे का गबन किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय प्रबंधक और उपनगरीय डिपो की केंद्र प्रभारी ने पांच दिन का पैसा जारी करने का आदेश दिया है. कई कर्मचारियों का दो दिन का पैसा दबा लिया गया है. यूनियन के पदाधिकारी की इस अपील पर मानवाधिकार आयोग ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से 30 अक्टूबर तक पूरी रिपोर्ट तलब की है.





'केपेक्स मॉडल पर चलाई जाएंगी इलेक्ट्रिक बसें' : उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि 'परिवहन निगम पहले चरण में अपने बस बेड़े में 250 इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करेगा. इसके लिए भारत सरकार की फेम टू स्कीम के तहत मिलने वाले 40 प्रतिशत अनुदान के लिए पत्र भेजा गया है. परिवहन निगम केपेक्स मॉडल पर आधारित व्यवस्था के तहत इंटर सिटी इलेक्ट्रिक बस चलाएगा. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि 'परिवहन निगम के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होना है. प्रदेश सरकार की मंशा प्रमुख धार्मिक स्थलों जिनमें अयोध्या, काशी, प्रयागराज, मथुरा और चित्रकूट को प्रदेश की राजधानी से इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से सीधे जोड़ने की है. इलेक्ट्रिक बसें प्रदूषणमुक्त, पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी किफायती हैं.'

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