ETV Bharat / state

अटल जयंती विशेष: विधानसभा अध्यक्ष की जुबानी, अटल जी की कहानी - लखनऊ

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज जन्मदिवस है. इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने अटल जी के साथ जुड़ी अपने जीवन की तमाम स्मृतियों को साझा भी किया.

etv bharat
हृदय नारायण दीक्षित.
author img

By

Published : Dec 25, 2019, 5:10 AM IST

लखनऊ: देश भर में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई जा रही है. उनकी जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ रोचक संस्मरणों को साझा किया.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अटल जी दुनिया के सबसे बड़े नेता, कुशल वक्ता और सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले राजनेता रहे हैं. मेरा सौभाग्य है कि 1972-1973 में पहली बार संगठन का प्रमुख होने के नाते अटल जी को उन्नाव में एक कार्यक्रम में बुलाया था. उस समय माइक संभालने के बाद मैने जैसे ही कुछ वाक्य बोला तब तक अटल जी ने बैठे-बैठे ही कहा कि आप राजनीतिक दल की बैठक का संचालन कर रहे हैं, किसी साहित्य सम्मेलन में नहीं बोल रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी हिंदी क्लिष्ठ हुआ करती थी. हालाकि बाद में फिर अटल जी ने हंसते हुए सुधार करना सिखाया.

नैनी जेल से जुड़ी यादों को किया साझा.

नैनी जेल में अटल जी और हम
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि साल 1975 के अप्रैल महीने में एक आंदोलन हुआ था और हम लोगों ने गिरफ्तारी दी. उस गिरफ्तारी में उन्नाव, हरदोई, रायबरेली और आस-पास के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. हम लोग गिरफ्तार हुए. उस समय यह निश्चित हुआ कि जो जिला स्तर के पदाधिकारी हैं, वह अटल जी के साथ नैनी जेल में रहेंगे और जो छोटे कार्यकर्ता हैं वह लखनऊ जेल में रहेंगे. हमारा सौभाग्य था कि हम अटल जी के साथ नैनी जेल में रहे. जेल में अटल जी के बिस्तर के ठीक बगल में हमने भी अपना बिस्तर लगाया था. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और यूनियन के पदाधिकारियों ने अटल जी से कहा कि आपने विवाह क्यों नहीं किया. तब उन्होंने कहा कि जब शादी करने की उम्र थी तब तो हम संघ का काम कर रहे थे, उसके बाद नेतागिरी में आ गए. अब तो उम्र भी ढल गई है, अब हमें कौन पूछेगा? कोई प्रस्ताव लाए हो क्या? उनके इस सवाल पर लड़के लहालोट होकर हंसने लगे.

नैनी जेल में शाम को हम लोग आपस में कबड्डी खेलते थे. हमारे बगल के गांव के किरन सिंह को उन्होंने कहा कि तुम हमारी तरफ से खेलो. एक दिन किरन सिंह अटल जी से छुपाकर लोटा के अंदर सिगरेट पी रहे थे. अटल जी ने उनको दूर से देखा और मुझसे कहा कि आपके कार्यकर्ता ने सिगरेट पीने का नया तरीका खोजा है. इस तो सबको पता होना चाहिए. इस तरह से वह हमेशा आस-पास के लोगों को आनंदित करते रहते थे.

जब गुस्से में लिखा था अटल जी को पत्र
पहली बार 1977 में जब अटल जी विदेश मंत्री बने तब हमारे क्षेत्र में एक व्यक्ति का पासपोर्ट बनवाने का काम था. उस समय अधिकारियों ने ठीक से बात नहीं की तो रात में मैंने अटल जी को एक पत्र लिखा और पासपोर्ट अधिकारी के ठीक से बात न करने की बात लिख डाली. कुछ दिन बाद अटल जी का जवाब आया तो लिखा था कि गुस्से में पत्र लिखते समय आप तारीख लिखना भूल जाते हैं. हालांकि बाद में उस व्यक्ति का पासपोर्ट भी बन गया. वह इसी तरह से हमेशा कुछ नया सिखाते रहते थे.

अलग तरीके से सिखाते थे अटल जी.

एक बार ऐसे ही हम वीवीआईपी गेस्ट हाउस में बैठे हुए थे. इसी बीच मेरा फोन आ गया तो मैं उठकर बाहर चला गया. वापस आया तो देखा कुर्सियां भर गई हैं, तब अटल जी ने कहा कि बाहर जाया करो तो कुर्सी पकड़ कर ले जाया करो. कुर्सी पकड़ कर रखना चाहिए. इसके बाद जो लोग कुर्सी पर बैठे थे, उन्होंने मेरे लिए कुर्सी छोड़ दी. उनका हर बात कहने का एक अंदाज होता था.

अटल जी का अलग अंदाज
लोकसभा में उनके भाषण, राज्यसभा के भाषण, पब्लिक में उनके भाषण, सारे के सारे भाषण हम लोगों के लिए प्रेरणा का विषय बनते हैं. बार-बार मन में आता है कि मैं उनकी तरह कैसे बोलूं, कैसे लिखूं, मैं उनकी तरह विषय को कैसे रखूं. अटल जी ने कहा था कि गजनी मेरे मेरे सीने में, मेरी पसलियों में चुभता है और गजनी के महमूद ने यहां पर कई बार आक्रमण किए थे. उसको हमलावर न बताकर अटल जी ने अपने अंदाज में अपनी बात कही.

राष्ट्रधर्म के जनसंघ अंक के संपादन से जुड़ी यादें.

राष्ट्रधर्म पत्रिका के जनसंघ अंक का संपादन मैंने किया था. अटल जी उस समय काफी अस्वस्थ हो गए थे. यह तय हुआ कि इसका विमोचन उन्हीं से कराया जाना है. उस अंक में उनके जमाने के फोटो, फटे हुए कुर्ते के फोटो लगाए गए. हम लोग जब दिल्ली गए तो ठंड का महीना था, दिल्ली में विमोचन कराना था. तब अटल जी ने फोटो देखा तो वह रोने लगे. हम लोगों ने बहुत मेहनत करके उनको तैयार किया था. उन्होंने हम लोगों की बहुत प्रशंसा भी की थी.

जब कार्यक्रम हो गया तब अटल जी ने कहा कि तुम कभी खुशवन्त सिंह से मिले हो कि नहीं. उनसे मिलना वह तुम्हारी तारीफ करते हैं. इस तरह बड़े लोगों से मिलना प्रोत्साहित करना बड़ा व्यक्तित्व था. अटल जी का राजनीति में ऐसा व्यक्तित्व उन्हीं की दृष्टि को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार और योगी सरकार काम कर रही है. हम लोग उनके मार्गदर्शन में उन्हीं के रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं. कभी लुढ़क जाते हैं तो कभी चलने लगते हैं.

लखनऊ: देश भर में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई जा रही है. उनकी जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ रोचक संस्मरणों को साझा किया.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अटल जी दुनिया के सबसे बड़े नेता, कुशल वक्ता और सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले राजनेता रहे हैं. मेरा सौभाग्य है कि 1972-1973 में पहली बार संगठन का प्रमुख होने के नाते अटल जी को उन्नाव में एक कार्यक्रम में बुलाया था. उस समय माइक संभालने के बाद मैने जैसे ही कुछ वाक्य बोला तब तक अटल जी ने बैठे-बैठे ही कहा कि आप राजनीतिक दल की बैठक का संचालन कर रहे हैं, किसी साहित्य सम्मेलन में नहीं बोल रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी हिंदी क्लिष्ठ हुआ करती थी. हालाकि बाद में फिर अटल जी ने हंसते हुए सुधार करना सिखाया.

नैनी जेल से जुड़ी यादों को किया साझा.

नैनी जेल में अटल जी और हम
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि साल 1975 के अप्रैल महीने में एक आंदोलन हुआ था और हम लोगों ने गिरफ्तारी दी. उस गिरफ्तारी में उन्नाव, हरदोई, रायबरेली और आस-पास के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. हम लोग गिरफ्तार हुए. उस समय यह निश्चित हुआ कि जो जिला स्तर के पदाधिकारी हैं, वह अटल जी के साथ नैनी जेल में रहेंगे और जो छोटे कार्यकर्ता हैं वह लखनऊ जेल में रहेंगे. हमारा सौभाग्य था कि हम अटल जी के साथ नैनी जेल में रहे. जेल में अटल जी के बिस्तर के ठीक बगल में हमने भी अपना बिस्तर लगाया था. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और यूनियन के पदाधिकारियों ने अटल जी से कहा कि आपने विवाह क्यों नहीं किया. तब उन्होंने कहा कि जब शादी करने की उम्र थी तब तो हम संघ का काम कर रहे थे, उसके बाद नेतागिरी में आ गए. अब तो उम्र भी ढल गई है, अब हमें कौन पूछेगा? कोई प्रस्ताव लाए हो क्या? उनके इस सवाल पर लड़के लहालोट होकर हंसने लगे.

नैनी जेल में शाम को हम लोग आपस में कबड्डी खेलते थे. हमारे बगल के गांव के किरन सिंह को उन्होंने कहा कि तुम हमारी तरफ से खेलो. एक दिन किरन सिंह अटल जी से छुपाकर लोटा के अंदर सिगरेट पी रहे थे. अटल जी ने उनको दूर से देखा और मुझसे कहा कि आपके कार्यकर्ता ने सिगरेट पीने का नया तरीका खोजा है. इस तो सबको पता होना चाहिए. इस तरह से वह हमेशा आस-पास के लोगों को आनंदित करते रहते थे.

जब गुस्से में लिखा था अटल जी को पत्र
पहली बार 1977 में जब अटल जी विदेश मंत्री बने तब हमारे क्षेत्र में एक व्यक्ति का पासपोर्ट बनवाने का काम था. उस समय अधिकारियों ने ठीक से बात नहीं की तो रात में मैंने अटल जी को एक पत्र लिखा और पासपोर्ट अधिकारी के ठीक से बात न करने की बात लिख डाली. कुछ दिन बाद अटल जी का जवाब आया तो लिखा था कि गुस्से में पत्र लिखते समय आप तारीख लिखना भूल जाते हैं. हालांकि बाद में उस व्यक्ति का पासपोर्ट भी बन गया. वह इसी तरह से हमेशा कुछ नया सिखाते रहते थे.

अलग तरीके से सिखाते थे अटल जी.

एक बार ऐसे ही हम वीवीआईपी गेस्ट हाउस में बैठे हुए थे. इसी बीच मेरा फोन आ गया तो मैं उठकर बाहर चला गया. वापस आया तो देखा कुर्सियां भर गई हैं, तब अटल जी ने कहा कि बाहर जाया करो तो कुर्सी पकड़ कर ले जाया करो. कुर्सी पकड़ कर रखना चाहिए. इसके बाद जो लोग कुर्सी पर बैठे थे, उन्होंने मेरे लिए कुर्सी छोड़ दी. उनका हर बात कहने का एक अंदाज होता था.

अटल जी का अलग अंदाज
लोकसभा में उनके भाषण, राज्यसभा के भाषण, पब्लिक में उनके भाषण, सारे के सारे भाषण हम लोगों के लिए प्रेरणा का विषय बनते हैं. बार-बार मन में आता है कि मैं उनकी तरह कैसे बोलूं, कैसे लिखूं, मैं उनकी तरह विषय को कैसे रखूं. अटल जी ने कहा था कि गजनी मेरे मेरे सीने में, मेरी पसलियों में चुभता है और गजनी के महमूद ने यहां पर कई बार आक्रमण किए थे. उसको हमलावर न बताकर अटल जी ने अपने अंदाज में अपनी बात कही.

राष्ट्रधर्म के जनसंघ अंक के संपादन से जुड़ी यादें.

राष्ट्रधर्म पत्रिका के जनसंघ अंक का संपादन मैंने किया था. अटल जी उस समय काफी अस्वस्थ हो गए थे. यह तय हुआ कि इसका विमोचन उन्हीं से कराया जाना है. उस अंक में उनके जमाने के फोटो, फटे हुए कुर्ते के फोटो लगाए गए. हम लोग जब दिल्ली गए तो ठंड का महीना था, दिल्ली में विमोचन कराना था. तब अटल जी ने फोटो देखा तो वह रोने लगे. हम लोगों ने बहुत मेहनत करके उनको तैयार किया था. उन्होंने हम लोगों की बहुत प्रशंसा भी की थी.

जब कार्यक्रम हो गया तब अटल जी ने कहा कि तुम कभी खुशवन्त सिंह से मिले हो कि नहीं. उनसे मिलना वह तुम्हारी तारीफ करते हैं. इस तरह बड़े लोगों से मिलना प्रोत्साहित करना बड़ा व्यक्तित्व था. अटल जी का राजनीति में ऐसा व्यक्तित्व उन्हीं की दृष्टि को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार और योगी सरकार काम कर रही है. हम लोग उनके मार्गदर्शन में उन्हीं के रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं. कभी लुढ़क जाते हैं तो कभी चलने लगते हैं.

Intro:एंकर
लखनऊ। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की प्रथम जयंती 25 दिसंबर को मनाई जा रही है उनकी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत आपको अटल जी से जुड़े कुछ संस्मरण वरिष्ठ नेताओं के सुनाने जा रहा है प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष और नारायण दीक्षित ने ईटीवी से बात करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से जुड़े कुछ रोचक संस्मरण सुनाए।




Body:नैनी जेल में

बाईट, हृदय नारायण दीक्षित, विधानसभा अध्यक्ष यूपी
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अटल जी दुनिया के सबसे बड़े नेता कुशल वक्ता और सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले आम जनता को सम्मोहित करने वाले राजनेता रहे हैं। मेरा सौभाग्य है 1972-1973 में पहली बार संगठन का प्रमुख होने के नाते अटल जी को उन्नावे कार्यक्रम में बुलाया था उसके मैंने जैसे ही माइक संभाला था उनकी देखते हुए कहा था कि अटलजी बोलेंगे कुछ वाक्य मैंने और बोले थे अटल जी ने बैठे-बैठे ही कहा था आप राजनीतिक दल की बैठक का संचालन कर रहे हैं लेकिन किसी साहित्य सम्मेलन में आप नहीं बोल रहे हैं। बात दरअसल यह थी कि हिंदी हमारी कुछ हुआ करती थी वरिष्ठ नेता के सामने खड़ा जाते थे और मैं भी लड़खड़ा गया हंसते हुए सुधार और सिखाते हुए कहा कि यह सम्मेलन नहीं है। उन्होंने पहली बार ही मुझे सिखाने का काम किया था और भी तमाम लोगों ने हमेशा सिखाते रहे।
मुझे याद आता है अप्रैल महीने में एक आंदोलन हुआ था और हम लोगों ने गिरफ्तारी दी विधानसभा के सामने उस गिरफ्तारी उन्नाव हरदोई रायबरेली के कार्यकर्ताओं को बुलाया था हम लोग गिरफ्तार हुए उसमें यह निश्चय हुआ कि जो जिला स्तर के पदाधिकारी हैं अटल जी के अटल जी के साथ नैनी जेल में रहेंगे। जो छोटे कार्यकर्ता है वह लखनऊ जेल में रहेंगे।
हमारा सौभाग्य था कि हम अटल जी के साथ नैनी जेल में रहे जहां पर जेल में अटल जी के अपना विस्तार लगाएं उसके ठीक बगल में हमने भी अपना बिस्तर लगाया था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र वहां एक चुटकुला है यूनियन के पदाधिकारी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कहा था कि आप से बात करने में बड़ा मजा आता है आपने विवाह क्यों नहीं किया जब हम काम करते थे फिर पूछेगा और तो सब लोग हैं शाम को नैनी जेल में हम लोग आपस में खेलते थे। कबड्डी खेलने का काम करते थे हमारे गांव के बगल में गांव है वहां के करन सिंह से उनको भी अटल जी ताकि हमारे साथ खेल कबड्डी बड़े नेता हो गए उनको बहुत याद आते थे एक दिन सिगरेट पी रहे थे अटल जी को शाम को दूर से देखा कि और मुझसे कहा कि आपका कार्यकर्ता है। सिगरेट पीने का नया तरीका खोजा है तो सबको पता होना चाहिए तो उनके साथ रहते हुए जेल में रहते हुए बहुत आनंदित रहै।
अटल जी से हमारा बहुत संपर्क में रहा। कुछ ऐसी घटनाएं हमारे पास है। पहली बार 1970 में विदेश मंत्री बने हमारे क्षेत्र में एक व्यक्ति का पासपोर्ट बनवाने का काम था अधिकारियों ने ठीक से बात नहीं की तो रात में ने अटल जी को पत्र लिखा पासपोर्ट अधिकारी बात नहीं करता, अटल जी का जवाब आया तोलिखा कि पत्र में तारीख तो लिखा करो गुस्से में। फिर उसका पासपोर्ट भी बन गया।
एक बार ऐसे ही हम वीवीआईपी गेस्ट हाउस पर बैठे हुए बात कर रहे थे बीच में मेरा फोन आ गया तो मैं उठकर बाहर चला गया वापस आया तो देखा कुर्सियां भर गई है तब अटल जी ने कहा कि बाहर जाया करो तो कुर्सी पकड़ कर लाया जाएगा इसीलिए उन्नाव वाले तुम्हें हरा देते हैं कुर्सी पकड़ कर रहना चाहिए फिर आने जो लोग बैठे थे उन्होंने मेरे लिए कुर्सी छोड़ी हर बात कहने का एक अंदाज होता था अटल जी का हम लोगों को वह हमेशा बहुत याद आते हैं। लोकसभा में उनके भाषण राज्यसभा के भाषण पब्लिक में उनके भाषण सारे के सारे हम लोगों के लिए प्रेरणा का विषय बनते हैं बार-बार मन में आता है कि मैं उनकी तरह कैसे बोलूं कैसे लिखूं मैं उनकी तरह विषय को कैसे रखूं लोकसभा में एक बार बोल रहे थे अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि मैं गया था पाकिस्तान उसके आगे गजनी गांव में मैंने पूछा मैंने पूछा कि आपके यहां गजनी कहां है कोई जगह नहीं है मुझे याद नहीं है। छोटा सा स्थान है तो उन्होंने बताया कि वहां के अधिकारियों ने बताई बहुत छोटी जगह की है ना होटल है अपने ढंग से अटल जी ने उसका बताएं आप कहां कहां जाएं तो अटल जी ने कहा था कि यह स्थान गजनी मेरे मेरे सीने में मेरी पसलियों में चुभता है और और गजनी के महमूद ने यहां पर कई बार आक्रमण किए थे उस पर हमला वरना बताकर अटल जी ने अपने अंदाज में अपनी बात कही।




Conclusion:मेरा बहुत दिन तक उनके साथ बैठना हाल चाल लेना समाप्त करना जारी रहा राष्ट्रधर्म पत्रिका के जनसंघ अंक का संपादन मैंने किया था अटल जी उस समय काफी अस्वस्थ हो गए थे यह तय हुआ कि उन्हीं से कराया जाना है इसका विमोचन उसमें अंक में उनके जमाने के फोटो फटे हुए कुर्ते के फोटो लगाए गए। हम जब लोग दिल्ली गए तो यह ठंड का महीना था, दिल्ली में विमोचन कराना था तब अटल जी ने उसको देखा तो वह रोने लगे हम लोगों ने बहुत मेहनत करके उनको को तैयार किया था।
उन्होंने हमारे लोगों की बहुत प्रशंसा भी की थी जब कार्यक्रम हो गया अटल जी ने कहा कि तुम कभी खुशवन्त सिंह से मिले हो कि नहीं, उनसे मिलना वह तुम्हारी तारीफ करते हैं। इस तरह बड़े लोगों से मिलना प्रोत्साहित करना बड़ा व्यक्तित्व था अटल जी का राजनीति में ऐसा व्यक्तित्व उन्हीं की दृष्टि को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार व योगी सरकार काम कर रही है हम लोग उनका उनके मार्गदर्शन में उन्हीं के रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं कभी लुढ़क जाते हैं तो कभी चलने लगते हैं फिर।



फीड लाइव यू से भेजी गई है,
speaker on atal ji
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.