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स्थापना के 68 साल बाद कैसे शुरू हुआ 'यूपी दिवस' का सेलीब्रेशन

उत्तर प्रदेश का आज स्थापना दिवस है. यूपी आज 70 साल का हो गया. 24 जनवरी के दिन यूपी स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश को यह नाम मिला था. पूर्व राज्यपाल राम नाईक की पहल पर पहला दिवस मनाया गया था. आज यूपी का चौथा स्थापना दिवस मनाया जा रहा है.

डिजाइन फोटो.
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Published : Jan 24, 2021, 3:45 PM IST

लखनऊ: तीन साल पहले अपनी स्थापना के 68वें वर्ष में उत्तर प्रदेश ने पहली बार अपना स्थापना दिवस मनाया. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने 'यूपी दिवस' मनाने का निर्णय लिया. 24 जनवरी 2018 में प्रदेश के लिए इस खास दिन को सरकार ने तीन शब्द 'नव निर्माण, नवोत्थान और नव कार्य-संस्कृति' को आधार बनाते हुए आयोजनों का गुलदस्ता कुछ यूं सजाया है कि वास्तव में पहला 'यूपी दिवस' प्रदेश के नव निर्माण का खाका खींचता दिखे. इस आयोजन के लिहाज से प्रदेश आज चौथी बार अपना स्थापन दिवस मनाएगा.

आज यूपी मना रहा चौथा स्थापना दिवस.

ऐसे मनाया जाने लगा यूपी स्थापना दिवस
आजादी के पहले उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी) या संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को इसका नामकरण उत्तर प्रदेश हुआ. इस तिथि को ही प्रदेश का स्थापना दिवस मानते हुए पहली बार 'यूपी दिवस' के आयोजन की परंपरा शुरू की गई. प्रदेश के राज्यपाल रहे राम नाईक ने इसके आयोजन की सलाह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी दी थी, लेकिन अखिलेश यादव ने इसे नजरअंदाज कर दिया. प्रदेश में सत्ता बदली तो तत्कालिक राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी 'यूपी दिवस' मनाने की सलाह, जिसे सीएम योगी तुरंत अमल में ले आए.

24 जनवरी के दिन को खास बनाने के लिए सरकार ने कार्यक्रम का खाका तैयार किया. यूपी स्थापना दिवस के माध्यम से प्रदेश के गांव, शहर, किसान, नौजवान, उद्योग, शिक्षा, सेहत, ऊर्जा, संस्कृति सहित समाज के हर क्षेत्र और विकास के हर पहलू को आयोजन से जोड़ा गया. हालांकि, 'संकल्प से सिद्धि' के दावे के साथ किए जाने वाले इन आगाज को आज अंजाम की कसौटी पर कसना जरूरी होगा.

वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी कहते हैं तत्कलीन राज्यपाल की कोशिशों की वजह से ही 'यूपी दिवस' मनाया जाने लगा. आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश ने उत्तरोत्तर विकास किया है. यह राज्य अपने विकास के लिए ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए भी जाना जाता है.

उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त इतिहास
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर देश का सबसे बड़ा राज्य है. इस राज्य का नामकरण ब्रिटिश काल के दौरान एक अप्रैल 1937 को यूनाइटेड प्रोविंसेस ऑफ आगरा एंड अवध के नाम से किया गया. ब्रिटिश शासन काल में इसे यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था, जो कि 1950 में बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया. सन 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया. हालांकि प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा. लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की गई.

15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के बाद 1950 में नया संविधान लागू हुआ. इसके साथ ही 24 जनवरी 1950 को इस संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया. करीब 24 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस राज्य में 18 मंडल और कुल 75 जिले शामिल हैं. नवंबर 2000 में उत्तर प्रदेश से निकल कर एक नए राज्य उत्तराखंड का गठन किया गया.

लखनऊ: तीन साल पहले अपनी स्थापना के 68वें वर्ष में उत्तर प्रदेश ने पहली बार अपना स्थापना दिवस मनाया. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने 'यूपी दिवस' मनाने का निर्णय लिया. 24 जनवरी 2018 में प्रदेश के लिए इस खास दिन को सरकार ने तीन शब्द 'नव निर्माण, नवोत्थान और नव कार्य-संस्कृति' को आधार बनाते हुए आयोजनों का गुलदस्ता कुछ यूं सजाया है कि वास्तव में पहला 'यूपी दिवस' प्रदेश के नव निर्माण का खाका खींचता दिखे. इस आयोजन के लिहाज से प्रदेश आज चौथी बार अपना स्थापन दिवस मनाएगा.

आज यूपी मना रहा चौथा स्थापना दिवस.

ऐसे मनाया जाने लगा यूपी स्थापना दिवस
आजादी के पहले उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी) या संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को इसका नामकरण उत्तर प्रदेश हुआ. इस तिथि को ही प्रदेश का स्थापना दिवस मानते हुए पहली बार 'यूपी दिवस' के आयोजन की परंपरा शुरू की गई. प्रदेश के राज्यपाल रहे राम नाईक ने इसके आयोजन की सलाह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी दी थी, लेकिन अखिलेश यादव ने इसे नजरअंदाज कर दिया. प्रदेश में सत्ता बदली तो तत्कालिक राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी 'यूपी दिवस' मनाने की सलाह, जिसे सीएम योगी तुरंत अमल में ले आए.

24 जनवरी के दिन को खास बनाने के लिए सरकार ने कार्यक्रम का खाका तैयार किया. यूपी स्थापना दिवस के माध्यम से प्रदेश के गांव, शहर, किसान, नौजवान, उद्योग, शिक्षा, सेहत, ऊर्जा, संस्कृति सहित समाज के हर क्षेत्र और विकास के हर पहलू को आयोजन से जोड़ा गया. हालांकि, 'संकल्प से सिद्धि' के दावे के साथ किए जाने वाले इन आगाज को आज अंजाम की कसौटी पर कसना जरूरी होगा.

वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी कहते हैं तत्कलीन राज्यपाल की कोशिशों की वजह से ही 'यूपी दिवस' मनाया जाने लगा. आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश ने उत्तरोत्तर विकास किया है. यह राज्य अपने विकास के लिए ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए भी जाना जाता है.

उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त इतिहास
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर देश का सबसे बड़ा राज्य है. इस राज्य का नामकरण ब्रिटिश काल के दौरान एक अप्रैल 1937 को यूनाइटेड प्रोविंसेस ऑफ आगरा एंड अवध के नाम से किया गया. ब्रिटिश शासन काल में इसे यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था, जो कि 1950 में बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया. सन 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया. हालांकि प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा. लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की गई.

15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के बाद 1950 में नया संविधान लागू हुआ. इसके साथ ही 24 जनवरी 1950 को इस संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया. करीब 24 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस राज्य में 18 मंडल और कुल 75 जिले शामिल हैं. नवंबर 2000 में उत्तर प्रदेश से निकल कर एक नए राज्य उत्तराखंड का गठन किया गया.

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