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लखनऊ के अस्पतालों से गायब हो गए 8,876 कोरोना मरीज !

राजधानी लखनऊ में लोहिया संस्थान, केजीएमयू और पीजीआई के कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. इन अस्पतालों ने कुल 8,876 कोरोना मरीजों की आधी-अधूरी सूचना पोर्टल पर दर्ज की है.

पीजीआई ने पोर्टल पर डाली 8876 कोरोना मरीजों की गलत सूचना
पीजीआई ने पोर्टल पर डाली 8876 कोरोना मरीजों की गलत सूचना
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Published : May 24, 2021, 2:37 PM IST

Updated : May 24, 2021, 3:55 PM IST

लखनऊ: राजधानी के 3 बड़े चिकित्सा संस्थानों ने पोर्टल पर 8,876 कोरोना मरीजों की गलत सूचना डाल दी. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के कर्मचारियों की यह लापरवाही न केवल लखनऊ, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों पर भी भारी पड़ सकती है.

संक्रमितों को नहीं मिल पा रही दवा
भले ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी हो, लेकिन लोहिया संस्थान, केजीएमयू और पीजीआई कर्मचारियों की लापरवाही से कोरोना संक्रमण फिर से रफ्तार पकड़ सकता है. इन तीनों संस्थानों में भेजे गए कोरोना नमूनों की जानकारी पोर्टल पर गलत दर्ज की गई. पोर्टल में संक्रमितों का पता गलत दर्ज किया गया है. कर्मचारी की लापरवाही से संक्रमित को खोजने में स्वास्थ्य विभाग की टीमों को पसीना आ रहा है. इस लापरवाही के कारण समय पर संक्रमितों को दवा तक नहीं मिल पा रही है. रिपोर्ट न मिलने से ये मरीज सामान्य तरीके से घूम रहे हैं. जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

स्वास्थ्य महानिदेशक ने दी तीनों संस्थानों को चेतावनी
कोविड प्रभारी अधिकारी डॉ. रोशन जैकब की शिकायत पर इस बात का खुलासा हुआ. शिकायत के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक सौरभ बाबू ने तीनों संस्थान को पत्र लिखकर चेतावनी दी. साथ ही शिकायत दुरुस्त करने को कहा है.

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सबसे अहम हथियार है कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग. इसके आधार पर संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जांच की जाती है. 1 से 20 मई के बीच 20 दिन में लखनऊ में कोविड पोर्टल पर आरटी-पीसीआर जांच कराने वाले 8,876 व्यक्तियों का गलत या अधूरा पता दर्ज किया गया है. यह नमूने केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई में जांच के लिए भेजे गए थे. पोर्टल पर दर्ज ब्यौरे के आधार पर संक्रमितों से स्वास्थ्य विभाग की टीमें संपर्क करती हैं. मरीज के संपर्क में आने वालों की जांच की जाती है. अस्पतालों की लापरवाही के चलते संक्रमितों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अटक गई है.

सरकारी संस्थान पुराने ढर्रे पर
प्रशासन की सख्ती के बाद प्राइवेट पैथोलॉजी ने मरीजों का ब्यौरा ठीक दर्ज करना शुरू कर दिया, लेकिन सरकारी अस्पतालों पर कोई असर नहीं पड़ा. केजीएमयू, पीजीआई व लोहिया संस्थान पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहे हैं. तीनों संस्थाओं में न सिर्फ गलत ब्यौरा ही दर्ज किया जा रहा है, बल्कि एक व्यक्ति की दूसरी या तीसरी जांच कराने पर हर बार नई आईडी तैयार की जा रही है. इससे संक्रमितों की संख्या भी बढ़ जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की टीम इनके आधार पर जब मरीज को घर पर दवा देने पहुंच रही हैं तो पता चल रहा कि उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं है.

संस्थानगलत या अधूरी सूचना
डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान4,049
केजीएमयू3,749
पीजीआई1,078

लखनऊ: राजधानी के 3 बड़े चिकित्सा संस्थानों ने पोर्टल पर 8,876 कोरोना मरीजों की गलत सूचना डाल दी. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के कर्मचारियों की यह लापरवाही न केवल लखनऊ, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों पर भी भारी पड़ सकती है.

संक्रमितों को नहीं मिल पा रही दवा
भले ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी हो, लेकिन लोहिया संस्थान, केजीएमयू और पीजीआई कर्मचारियों की लापरवाही से कोरोना संक्रमण फिर से रफ्तार पकड़ सकता है. इन तीनों संस्थानों में भेजे गए कोरोना नमूनों की जानकारी पोर्टल पर गलत दर्ज की गई. पोर्टल में संक्रमितों का पता गलत दर्ज किया गया है. कर्मचारी की लापरवाही से संक्रमित को खोजने में स्वास्थ्य विभाग की टीमों को पसीना आ रहा है. इस लापरवाही के कारण समय पर संक्रमितों को दवा तक नहीं मिल पा रही है. रिपोर्ट न मिलने से ये मरीज सामान्य तरीके से घूम रहे हैं. जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

स्वास्थ्य महानिदेशक ने दी तीनों संस्थानों को चेतावनी
कोविड प्रभारी अधिकारी डॉ. रोशन जैकब की शिकायत पर इस बात का खुलासा हुआ. शिकायत के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक सौरभ बाबू ने तीनों संस्थान को पत्र लिखकर चेतावनी दी. साथ ही शिकायत दुरुस्त करने को कहा है.

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सबसे अहम हथियार है कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग. इसके आधार पर संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जांच की जाती है. 1 से 20 मई के बीच 20 दिन में लखनऊ में कोविड पोर्टल पर आरटी-पीसीआर जांच कराने वाले 8,876 व्यक्तियों का गलत या अधूरा पता दर्ज किया गया है. यह नमूने केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई में जांच के लिए भेजे गए थे. पोर्टल पर दर्ज ब्यौरे के आधार पर संक्रमितों से स्वास्थ्य विभाग की टीमें संपर्क करती हैं. मरीज के संपर्क में आने वालों की जांच की जाती है. अस्पतालों की लापरवाही के चलते संक्रमितों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अटक गई है.

सरकारी संस्थान पुराने ढर्रे पर
प्रशासन की सख्ती के बाद प्राइवेट पैथोलॉजी ने मरीजों का ब्यौरा ठीक दर्ज करना शुरू कर दिया, लेकिन सरकारी अस्पतालों पर कोई असर नहीं पड़ा. केजीएमयू, पीजीआई व लोहिया संस्थान पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहे हैं. तीनों संस्थाओं में न सिर्फ गलत ब्यौरा ही दर्ज किया जा रहा है, बल्कि एक व्यक्ति की दूसरी या तीसरी जांच कराने पर हर बार नई आईडी तैयार की जा रही है. इससे संक्रमितों की संख्या भी बढ़ जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की टीम इनके आधार पर जब मरीज को घर पर दवा देने पहुंच रही हैं तो पता चल रहा कि उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं है.

संस्थानगलत या अधूरी सूचना
डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान4,049
केजीएमयू3,749
पीजीआई1,078
Last Updated : May 24, 2021, 3:55 PM IST
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