ETV Bharat / state

यूपी में इस राजनेता ने पेश किए अबतक सबसे ज्यादा बार बजट

19 फरवरी 2021 को योगी सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना विधानसभा के पटल पर सरकार के कार्यकाल का 5वां बजट पेश करेंगे. माना जा रहा है कि प्रदेश के विकास को नई उड़ान देने के लिए सरकार इस बार भारी भरकम बजट का प्रावधान करेंगी जो अबतक का सबसे बड़ा बजट हो सकता है. ऐसे में ईटीवी भारत आज आपको बता रहा है कि प्रदेश में अबतक कितनी बार मुख्यमंत्रियों ने खुद बजट पेश किया और किस राजनेता ने सबसे ज्यादा बार विधानसभा के पटल पर यूपी के भाग्य का पिटारा खोला...

उत्तर प्रदेश में अबतक पेश किए गए बजट का इतिहास
उत्तर प्रदेश में अबतक पेश किए गए बजट का इतिहास
author img

By

Published : Feb 5, 2021, 10:48 AM IST

Updated : Feb 5, 2021, 2:07 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 19 फरवरी को अपने कार्यकाल का 5वां बजट पेश करेगी. सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना इस बजट को पेश करेंगे. 2020-21 में 5,12,860 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री सुरेशा खन्ना का 2021-22 का बजट यूपी के इतिहास में अबतक सबसे बड़ा बजट हो सकता है. अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी ने देश के सबसे बड़े सूबे की वित्तीय व्यवस्था को संभालने और इसका खाका तैयार करने के लिए खुद के सिवाय अपने मातहतों पर भरोसा किया.

उत्तर प्रदेश में अबतक 69 बार बजट पेश किया जा चुका है, इस लिहाज से यह प्रदेश का 70वां बजट होगा. आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश में पेश किए जाने वाले बजट और वित्तीय व्यवस्था की जिम्मेदारी ज्यादातर खुद मुख्यमंत्री ही उठाते रहे हैं. चाहे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत हो या फिर मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव. इस सभी ने खुद न सिर्फ वित्त मंत्रालय को अपने पास रखा बल्कि प्रदेश के वित्तीय भविष्य का खाका भी विधानसभा के पटल पर रखा. राज्य विधान मंडल दल का 2021 का बजट सत्र 18 फरवरी से शुरू हो रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको यूपी के बजट के इतिहास को लेकर तमाम नई तरह की जानकारी से रूबरू कराएगा.

यूपी बजट पर विशेष

पहली बार पेश किया गया था करीब डेढ़ करोड़ का बजट

उत्तर प्रदेश का पहला बजट 14 मार्च 1952 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने पेश किया था. यह बजट उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर पहला बजट था और इस बजट में एक अरब 49 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसके बाद अगर देखें तो सामान्यतया कई मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश का बजट पेश किया. हालांकि वित्त मंत्रियों के स्तर पर भी बजट पेश किए जाते रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री पं गोविंग बल्लभ पंत
पूर्व मुख्यमंत्री पं गोविंग बल्लभ पंत

एनडी तिवारी ने सबसे ज्यादा पेश किए बजट

उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने चार बार बजट पेश किया था. इसके अलावा सात बार वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने बजट पेश किया था. ऐसे में कुल मिलाकर नारायण दत्त तिवारी ने 11 बार उत्तर प्रदेश का बजट पेश करने वाले नेता हैं.

वहीं मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते 9 बार बजट पेश किए. चार बार मायावती ने बजट को विधानसभा के पटल पर रखा तो अखिलेश यादव ने 5 बार बजट पेश किए. मुख्यमंत्री रहते इन सभी नेताओं ने वित्त मंत्रालय अपने पास ही रखा था.

मुख्यतः इन मुख्यमंत्रियों ने पेश किए सबसे ज्यादा बजट

  • पं. गोविंद बल्लभ पंत- 04
  • डॉ. संपूर्णानंद -04
  • पं. नारायण दत्त तिवारी- 11(4 बार मुख्यमंत्री-07 बार वित्तमंत्री)
  • मुलायम सिंह यादव- 09
  • अखिलेश यादव-05
  • मायावती-04
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी

प्रदेश के अबतक के आर्थिक हालातों पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ

यूपी में मुख्यमंत्रियों द्वारा अबतक पेश किए गए बजट के इतिहास और प्रदेश के आर्थिक हालतों पर ईटीवी भारत ने आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी से खास बातचीत की. आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि भारत आबादी के लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. सूबे के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने मार्च 1952 में प्रदेश का पहला बजट पेश किया था. यूपी के बजट के इतिहास में ज्यादातर देखा गया है कि मुख्यमंत्रियों ने न सिर्फ वित्त मंत्रालय अपने पास रखा बल्कि खुद बजट भी पेश किया. इसकी वजह यह है कि किसी भी प्रदेश के विकास के लिए जो वित्तीय व्यवस्था होती है और वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था प्रदेश के विकास को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाती है. शायद यही वजह रही है कि ज्यादातर मुख्यमंत्रियों द्वारा प्रदेश का बजट पेश किया जाता रहा है.

आर्थिक स्थिति पर कल्याण सिंह ने जारी किया श्वेत पत्र

यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के समय प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी. पहली बार उत्तर प्रदेश में आर्थिक हालातों के लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया गया था. उसमें यह आकलन किया गया था कि किस प्रकार की स्थिति है और किस प्रकार से उसमें सुधार किया जा सकता है. प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति के लिए 1997 में वह टर्निंग प्वाइंट था. तब से लगातार वित्तीय सुधारों का डंका बजाया जाता रहा है. राजस्व खाते को सुधारने को लेकर उसका एक सबूत भी है, पिछले 15 वर्षों से राजस्व सरप्लस की स्थिति बनी हुई है, जबकि उसके पहले की स्थिति यह थी कि सरकार लगातार लोन लेकर अपने घाटे को पाटती थी या यू कहें कि पूर्व की सरकार लोन लेकर घी पी रही थी.

वित्तीय स्थिति सुधारने को लेकर 2004 में शुरू हुआ ये प्रयास

2004 में खास बात हुई थी, केंद्र सरकार एफआरबीएम एक्ट(Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003) केंद्र सरकार की तर्ज पर लाया गया था. पार्लियामेंट ने 2003 में इसे पास किया था. यह बहुत अहम बात है अब जब केंद्र सरकार ने भी राजकोषीय टारगेट राजकोषीय घाटे को पूरा करने को लेकर उसको दोबारा से निर्धारित किया गया. रिकवरी को बढ़ाने के लिए और खर्च में वृद्धि की गई. प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि प्रदेश का बजट पेश होने जा रहा है, मै समझता हूं कि उसमें भी उसी तरह की कवायद की जाएगी. जो राजकोषीय घाटा है उसे दोबारा से निर्धारित करने का काम किया जाएगा. यह देखते हुए कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाना है.

बजट सिर्फ बही खाता ही नहीं विकास का विजन होता है

आर्थिक विशेषज्ञ एपी कहते हैं कि सरकार मानती है कि यह केवल एक बही खाता है, लेकिन मेरा मानना है बजट केवल बहीखाता नहीं है, किसी भी स्थिति में किसी भी प्रदेश के लिए एक विकास का विजन पेश करता है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार अपने इस बजट में तमाम नए तरह के प्रावधान करेगी. जिससे प्रदेश को विकास की राह पर तेजी से आगे ले जाया जा सके.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 19 फरवरी को अपने कार्यकाल का 5वां बजट पेश करेगी. सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना इस बजट को पेश करेंगे. 2020-21 में 5,12,860 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री सुरेशा खन्ना का 2021-22 का बजट यूपी के इतिहास में अबतक सबसे बड़ा बजट हो सकता है. अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी ने देश के सबसे बड़े सूबे की वित्तीय व्यवस्था को संभालने और इसका खाका तैयार करने के लिए खुद के सिवाय अपने मातहतों पर भरोसा किया.

उत्तर प्रदेश में अबतक 69 बार बजट पेश किया जा चुका है, इस लिहाज से यह प्रदेश का 70वां बजट होगा. आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश में पेश किए जाने वाले बजट और वित्तीय व्यवस्था की जिम्मेदारी ज्यादातर खुद मुख्यमंत्री ही उठाते रहे हैं. चाहे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत हो या फिर मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव. इस सभी ने खुद न सिर्फ वित्त मंत्रालय को अपने पास रखा बल्कि प्रदेश के वित्तीय भविष्य का खाका भी विधानसभा के पटल पर रखा. राज्य विधान मंडल दल का 2021 का बजट सत्र 18 फरवरी से शुरू हो रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको यूपी के बजट के इतिहास को लेकर तमाम नई तरह की जानकारी से रूबरू कराएगा.

यूपी बजट पर विशेष

पहली बार पेश किया गया था करीब डेढ़ करोड़ का बजट

उत्तर प्रदेश का पहला बजट 14 मार्च 1952 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने पेश किया था. यह बजट उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर पहला बजट था और इस बजट में एक अरब 49 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसके बाद अगर देखें तो सामान्यतया कई मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश का बजट पेश किया. हालांकि वित्त मंत्रियों के स्तर पर भी बजट पेश किए जाते रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री पं गोविंग बल्लभ पंत
पूर्व मुख्यमंत्री पं गोविंग बल्लभ पंत

एनडी तिवारी ने सबसे ज्यादा पेश किए बजट

उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने चार बार बजट पेश किया था. इसके अलावा सात बार वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने बजट पेश किया था. ऐसे में कुल मिलाकर नारायण दत्त तिवारी ने 11 बार उत्तर प्रदेश का बजट पेश करने वाले नेता हैं.

वहीं मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते 9 बार बजट पेश किए. चार बार मायावती ने बजट को विधानसभा के पटल पर रखा तो अखिलेश यादव ने 5 बार बजट पेश किए. मुख्यमंत्री रहते इन सभी नेताओं ने वित्त मंत्रालय अपने पास ही रखा था.

मुख्यतः इन मुख्यमंत्रियों ने पेश किए सबसे ज्यादा बजट

  • पं. गोविंद बल्लभ पंत- 04
  • डॉ. संपूर्णानंद -04
  • पं. नारायण दत्त तिवारी- 11(4 बार मुख्यमंत्री-07 बार वित्तमंत्री)
  • मुलायम सिंह यादव- 09
  • अखिलेश यादव-05
  • मायावती-04
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी

प्रदेश के अबतक के आर्थिक हालातों पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ

यूपी में मुख्यमंत्रियों द्वारा अबतक पेश किए गए बजट के इतिहास और प्रदेश के आर्थिक हालतों पर ईटीवी भारत ने आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी से खास बातचीत की. आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि भारत आबादी के लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. सूबे के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने मार्च 1952 में प्रदेश का पहला बजट पेश किया था. यूपी के बजट के इतिहास में ज्यादातर देखा गया है कि मुख्यमंत्रियों ने न सिर्फ वित्त मंत्रालय अपने पास रखा बल्कि खुद बजट भी पेश किया. इसकी वजह यह है कि किसी भी प्रदेश के विकास के लिए जो वित्तीय व्यवस्था होती है और वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था प्रदेश के विकास को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाती है. शायद यही वजह रही है कि ज्यादातर मुख्यमंत्रियों द्वारा प्रदेश का बजट पेश किया जाता रहा है.

आर्थिक स्थिति पर कल्याण सिंह ने जारी किया श्वेत पत्र

यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के समय प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी. पहली बार उत्तर प्रदेश में आर्थिक हालातों के लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया गया था. उसमें यह आकलन किया गया था कि किस प्रकार की स्थिति है और किस प्रकार से उसमें सुधार किया जा सकता है. प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति के लिए 1997 में वह टर्निंग प्वाइंट था. तब से लगातार वित्तीय सुधारों का डंका बजाया जाता रहा है. राजस्व खाते को सुधारने को लेकर उसका एक सबूत भी है, पिछले 15 वर्षों से राजस्व सरप्लस की स्थिति बनी हुई है, जबकि उसके पहले की स्थिति यह थी कि सरकार लगातार लोन लेकर अपने घाटे को पाटती थी या यू कहें कि पूर्व की सरकार लोन लेकर घी पी रही थी.

वित्तीय स्थिति सुधारने को लेकर 2004 में शुरू हुआ ये प्रयास

2004 में खास बात हुई थी, केंद्र सरकार एफआरबीएम एक्ट(Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003) केंद्र सरकार की तर्ज पर लाया गया था. पार्लियामेंट ने 2003 में इसे पास किया था. यह बहुत अहम बात है अब जब केंद्र सरकार ने भी राजकोषीय टारगेट राजकोषीय घाटे को पूरा करने को लेकर उसको दोबारा से निर्धारित किया गया. रिकवरी को बढ़ाने के लिए और खर्च में वृद्धि की गई. प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि प्रदेश का बजट पेश होने जा रहा है, मै समझता हूं कि उसमें भी उसी तरह की कवायद की जाएगी. जो राजकोषीय घाटा है उसे दोबारा से निर्धारित करने का काम किया जाएगा. यह देखते हुए कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाना है.

बजट सिर्फ बही खाता ही नहीं विकास का विजन होता है

आर्थिक विशेषज्ञ एपी कहते हैं कि सरकार मानती है कि यह केवल एक बही खाता है, लेकिन मेरा मानना है बजट केवल बहीखाता नहीं है, किसी भी स्थिति में किसी भी प्रदेश के लिए एक विकास का विजन पेश करता है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार अपने इस बजट में तमाम नए तरह के प्रावधान करेगी. जिससे प्रदेश को विकास की राह पर तेजी से आगे ले जाया जा सके.

Last Updated : Feb 5, 2021, 2:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.