लखनऊ: हिन्दी के विविध आयाम हैं. हिन्दी गद्य के विस्तार के साथ हिन्दी भाषा की व्यापकता बढ़ती गई. पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हिन्दी बिन्दु से परिधि की ओर अग्रसर हो रही है. हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. विश्वस्तर पर भारतीयों के द्वारा हिन्दी को आगे बढ़ाने में प्रयास किया जा रहा है. हिन्दी को आगे ले जाने में अनुवाद व तकनीकी माध्यमों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं. यह बात साहित्यकार डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह (Litterateur Dr Yogendra Pratap Singh) ने कही.
वह उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में हिन्दी दिवस समारोह (Hindi Diwas Celebration in Lucknow) पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में बोल रहे थे. इस अवसर पर विजयदत्त श्रीधर, डॉ मंगला अनुजा, संस्थान निदेशक आरपी सिंह मौजूद थे. संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे के संचालन में हुई संगोष्ठी की शुरुआत सर्वजीत सिंह मारवा ने वाणी वंदना से की.
वहीं भोपाल से आईं डॉ. मंगला अनुजा ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में भक्तिकालीन कवियित्रियों की महती भूमिका रही है. भक्ति कालीन महिला रचनाकारों ने कृष्णभक्ति को केन्द्र बिन्दु में रखा. सुभद्रा कुमारी चैहान स्वाधीनता आन्दोलन में अपनी कलम से ज्वाला जगाने वाली रही हैं. महादेवी वर्मा नारी जागरण की पक्षधर रहीं है. वहीं भोपाल से ही विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि पत्रकारिता को आम भाषा के माध्यम से जनसमुदाय के मध्य में जाना चाहिए.
पत्रकारिता में जो लिखा जाये, वो जनसामान्य को समझ में आना चाहिए. संगोष्ठी के पहले दिन हिन्दी के वैश्विक परिदृश्य, साहित्यिक पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य में महिलाओं की भूमिका विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी. समारोह में शोधार्थियों ने खुशी सखूजा ने महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के विचारों को पढ़ा.
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