लखनऊ: प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों, राजकीय और अनुदानित महाविद्यालय के नियमित शिक्षकों को मुख्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा त्रिवर्षीय रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना की घोषणा की गई है. उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि यह योजना विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्थायी रूप से नियुक्त एवं कार्यरत शिक्षकों को शोध करने को प्रोत्साहित करने के लिए है.
शोध में प्रमाणित रूप से सक्रिय शिक्षकों को इसमें वरीयता दी जाएगी. भारतीय संस्कृति एवं विरासत, स्वस्थ, पर्यावरण, शिक्षा में तकनीक आदि राष्ट्रीय एवं वैश्विक प्राथमिकताओं के अन्तर्गत थ्रस्ट एरियाज का चिन्हीकरण किया जाएगा. योजना के अन्तर्गत वही प्रस्ताव अनुमन्य होंगे जो अनुसंधान शोध कार्यों, शिक्षा की गुणवत्ता में प्रत्यक्ष सुधार कर सके और तकनीकी एवं बेहतर पाठ्य चर्चा द्वारा शिक्षण स्तर में व अध्ययनरत छात्रों द्वारा उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धि प्राप्त कर सकने में सीधे प्रभावकारी हों.
अपर मुख्य सचिव ने दी जानकारी
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा विभाग मोनिका एस गर्ग ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट योजनांतर्गत प्रस्ताव 30 दिसम्बर तक शासन को उपलब्ध कराए जाने हैं. ये प्रस्ताव आगामी एक अप्रैल से 31 मई तक उपलब्ध कराए जाएंगे. बड़ी शोध परियोजना के लिए 15 लाख रुपये और लघु शोध परियोजना के लिए 5 लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि तीन वर्ष के भीतर पूरी की गई परियोजना के शोध कार्य कम से कम दो शोध पत्र शोध पुस्तिका (जर्नल) में प्रकाशित करने होंगे. इस योजना की विशेषता है कि यदि प्रमुख शोधकर्ता का उसके मूल कार्य के स्थान से किसी दूसरे महाविद्यालय में स्थानान्तरण हो जाता है तो वह उस परियोजना को स्थानान्तरित करा सकेगा. योजना के अन्तर्गत स्वीकृति प्रस्तावों के संबंध में कार्य की प्रगति रिपोर्ट, उपलब्धियों, व्यय आदि की समीक्षा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर गठित अनुश्रवण एवं मूल्यांकान समिति द्वारा की जाएगी.