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वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा-जिम्मेदार लापरवाह - यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा कि वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने में जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
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Published : Sep 24, 2021, 9:14 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) पर चेतावनी दी है कि इसे रोकने के लिए यदि ठोस कदम न उठाए गए तो गृह व परिवहन विभागों के अपर मुख्य सचिवों के साथ पुलिस महानिदेशक को तलब किया जाएगा.

न्यायालय ने इन तीनों अधिकारियों से व्यक्तिगत शपथ पत्र भी पेश करने को कहा है. कोर्ट ने शपथ पत्र में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा देने के निर्देश दिए गये हैं. मामले की अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने मोडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण टाइटिल से दर्ज सुओ मोटो जनहित याचिका पर पारित किया है.

मामले की सुनवाई के दौरान मामले में अपर मुख्य सचिव, गृह व डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामों पर न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये खानापूर्ति से अधिक कुछ भी नहीं हैं. वहीं, न्यायालय ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UP Pollution Control Board) को भी फटकार लगाते हुए कहा कि उसके ओर से दाखिल शपथ पत्र में भी ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी ने क्या किया, इसका कोई जिक्र नहीं है.


इसे भी पढ़ें-डीएसपी के पद पर प्रमोशन पाए अफसरों को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की वरिष्ठता सूची

सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कहा कि मोडिफाइड साइलेंसर, हूटर्स और प्रेशर हॉर्न की वजह से ध्वनि प्रदूषण में इजाफा होता है, लेकिन इसे रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं. न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में जिन अधिकारियों पर वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी है, वे पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) पर चेतावनी दी है कि इसे रोकने के लिए यदि ठोस कदम न उठाए गए तो गृह व परिवहन विभागों के अपर मुख्य सचिवों के साथ पुलिस महानिदेशक को तलब किया जाएगा.

न्यायालय ने इन तीनों अधिकारियों से व्यक्तिगत शपथ पत्र भी पेश करने को कहा है. कोर्ट ने शपथ पत्र में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा देने के निर्देश दिए गये हैं. मामले की अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने मोडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण टाइटिल से दर्ज सुओ मोटो जनहित याचिका पर पारित किया है.

मामले की सुनवाई के दौरान मामले में अपर मुख्य सचिव, गृह व डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामों पर न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये खानापूर्ति से अधिक कुछ भी नहीं हैं. वहीं, न्यायालय ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UP Pollution Control Board) को भी फटकार लगाते हुए कहा कि उसके ओर से दाखिल शपथ पत्र में भी ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी ने क्या किया, इसका कोई जिक्र नहीं है.


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सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कहा कि मोडिफाइड साइलेंसर, हूटर्स और प्रेशर हॉर्न की वजह से ध्वनि प्रदूषण में इजाफा होता है, लेकिन इसे रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं. न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में जिन अधिकारियों पर वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी है, वे पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं.

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