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पीड़ित की एफआईआर न लिखने पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- जवाब दें या फिर कोर्ट में हाजिर हों थानाध्यक्ष

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Published : Feb 12, 2022, 8:24 AM IST

लखनऊ में एक बुजुर्ग व्यक्ति से लाखों रुपये की जबरन वसूली और स्टाम्प पर दस्तखत कराने के मामले में पुलिस की तरफ से एफआईआर न दर्ज करने पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पारा थानाध्यक्ष से मामले में जवाब मांगा है. जवाब न देने पर 18 फरवरी को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

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पीड़ित की एफआईआर न लिखने पर हाईकोर्ट का सख्त रुख

लखनऊ: एक बुजुर्ग व्यक्ति से जबरन लाखों रुपये की चेक भरवाने व स्टाम्प पर दस्तखत कराने के मामले में पुलिस की तरफ से एफआईआर न दर्ज करने पर हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. इससे पहले भी आदेश के बावजूद सरकारी वकील को निर्देश न उपलब्ध कराने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब नहीं आता है तो पारा थानाध्यक्ष कोर्ट के समक्ष 18 फरवरी को हाजिर हों.

ज्ञात हो कि यह आदेश अनिल कुमार तिवारी की याचिका पर जस्टिस राकेश श्रीवास्तव व जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने पारित किया. याची का कहना है कि जमीन विवाद के एक मामले में कुछ कथित वकीलों ने पहले तो उसे बातचीत के लिए पारा चौकी पर बुलाया. वहां पहुंचने के बाद उसे घेर लिया और कहा कि 18 लाख रुपए देने के बाद ही वापस जाने को मिलेगा. आरोप है कि याची को मजबूर करके उसके घर से चेक मंगवाया गया और 18 लाख रुपये के चेक व एक स्टाम्प पर जबरन उसके हस्ताक्षर लिए गए.

यह भी पढ़ें- दहेज हत्या मामले में पति समेत 4 को 10 साल की कारावास, स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला

याची ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिसकर्मियों का सहयोग कथित वकीलों को प्राप्त था. कोर्ट ने 9 फरवरी को ही मामले की सुनवाई करते हुए, एफआईआर न दर्ज होने पर सरकारी वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा था. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आदेश के बारे में सूचित करने के बावजूद निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है.

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लखनऊ: एक बुजुर्ग व्यक्ति से जबरन लाखों रुपये की चेक भरवाने व स्टाम्प पर दस्तखत कराने के मामले में पुलिस की तरफ से एफआईआर न दर्ज करने पर हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. इससे पहले भी आदेश के बावजूद सरकारी वकील को निर्देश न उपलब्ध कराने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब नहीं आता है तो पारा थानाध्यक्ष कोर्ट के समक्ष 18 फरवरी को हाजिर हों.

ज्ञात हो कि यह आदेश अनिल कुमार तिवारी की याचिका पर जस्टिस राकेश श्रीवास्तव व जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने पारित किया. याची का कहना है कि जमीन विवाद के एक मामले में कुछ कथित वकीलों ने पहले तो उसे बातचीत के लिए पारा चौकी पर बुलाया. वहां पहुंचने के बाद उसे घेर लिया और कहा कि 18 लाख रुपए देने के बाद ही वापस जाने को मिलेगा. आरोप है कि याची को मजबूर करके उसके घर से चेक मंगवाया गया और 18 लाख रुपये के चेक व एक स्टाम्प पर जबरन उसके हस्ताक्षर लिए गए.

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याची ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिसकर्मियों का सहयोग कथित वकीलों को प्राप्त था. कोर्ट ने 9 फरवरी को ही मामले की सुनवाई करते हुए, एफआईआर न दर्ज होने पर सरकारी वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा था. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आदेश के बारे में सूचित करने के बावजूद निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है.

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