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सहायक अध्यापकों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को हाईकोर्ट ने किया खारिज

ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म में त्रुटिपूर्ण जानकारी देने के कारण सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्त उम्मीदवारी निरस्त करने वाले राज्य सरकार के आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Dec 6, 2022, 9:43 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म में शिक्षामित्र सम्बन्धी त्रुटिपूर्ण जानकारी देने के कारण सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्त किए गए अभ्यर्थियों की नियुक्ति व कुछ अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी निरस्त करने वाले राज्य सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) को अभ्यर्थियों के मामलों पर पुनः विचार का आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने विजय गुप्ता व अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचियों का कहना था कि सहायक अध्यापक परीक्षा 2019 में उनका चयन हुआ था लेकिन बाद में ऑनलाइन अप्लीकेशन फॉर्म में गलत जानकारी भरने के आधार पर उनका चयन व उम्मीदवारी निरस्त करते हुए वसूली का आदेश दिया गया. याचियों की ओर से दलील दी गई कि निरस्तीकरण का आदेश पारित करने से पूर्व विभाग को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों के आलोक में यह देखना चाहिए था कि तथाकथित गलत जानकारी से अभ्यर्थी को कोई लाभ हो रहा था अथवा नहीं. कहा गया कि इस तथ्य को देखे बिना मात्र त्रुटिपूर्ण एप्लीकेशन फॉर्म भरे जाने के आधार पर उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई.

न्यायालय ने भी सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि यदि गलत जानकारी मात्र त्रुटिवश भर दी गई है और इससे अभ्यर्थी को कोई लाभ नहीं हो रहा तो उसकी उम्मीदवारी को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए. न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए आदेश दिया है कि अभ्यर्थियों के मामलों पर आठ सप्ताह में पुनः विचार कर निर्णय लिया जाए. साथ ही वसूली आदेश पर भी रोक लगा दी है.

इसे भी पढ़ें-महिलाओं के साथ लूट करने के अभियुक्त को कारावास, गिरोह बनाकर अपराधों को देता था अंजाम

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म में शिक्षामित्र सम्बन्धी त्रुटिपूर्ण जानकारी देने के कारण सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्त किए गए अभ्यर्थियों की नियुक्ति व कुछ अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी निरस्त करने वाले राज्य सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) को अभ्यर्थियों के मामलों पर पुनः विचार का आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने विजय गुप्ता व अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचियों का कहना था कि सहायक अध्यापक परीक्षा 2019 में उनका चयन हुआ था लेकिन बाद में ऑनलाइन अप्लीकेशन फॉर्म में गलत जानकारी भरने के आधार पर उनका चयन व उम्मीदवारी निरस्त करते हुए वसूली का आदेश दिया गया. याचियों की ओर से दलील दी गई कि निरस्तीकरण का आदेश पारित करने से पूर्व विभाग को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों के आलोक में यह देखना चाहिए था कि तथाकथित गलत जानकारी से अभ्यर्थी को कोई लाभ हो रहा था अथवा नहीं. कहा गया कि इस तथ्य को देखे बिना मात्र त्रुटिपूर्ण एप्लीकेशन फॉर्म भरे जाने के आधार पर उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई.

न्यायालय ने भी सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि यदि गलत जानकारी मात्र त्रुटिवश भर दी गई है और इससे अभ्यर्थी को कोई लाभ नहीं हो रहा तो उसकी उम्मीदवारी को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए. न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए आदेश दिया है कि अभ्यर्थियों के मामलों पर आठ सप्ताह में पुनः विचार कर निर्णय लिया जाए. साथ ही वसूली आदेश पर भी रोक लगा दी है.

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