लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि सरकारी सुरक्षा प्रदान करने के मामलों में जनपद स्तरीय कमेटी के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती. न्यायालय ने कहा कि मण्डल स्तरीय कमेटी भी जनपद कमेटी के निर्णय के खिलाफ अपील को नहीं सुन सकती.
दोनों में अंतर यह है कि मण्डल स्तरीय कमेटी तीन माह से अधिक की सुरक्षा प्रदान करने पर विचार कर सकती है. वहीं, जनपद कमेटी सिर्फ तीन माह तक ही सुरक्षा दे सकती है, लेकिन मंडल कमेटी जनपद कमेटी का अपीलीय फोरम नहीं है.
यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सरोज यादव की फुल बेंच ने कृष्ण दत्त शर्मा की याचिका पर पारित किया. फुल बेंच इस प्रश्न पर विचार कर रही थी कि सरकारी सुरक्षा प्रदान करने से इंकार के जनपद स्तरीय कमेटी के निर्णय की अपील, क्या मण्डल स्तरीय कमेटी के समक्ष सम्भव है. सुनवाई के उपरांत पारित अपने विस्तृत निर्णय में न्यायालय ने कहा कि सम्बंधित व्यक्ति के जीवन पर खतरे का आकलन करते हुए, सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लेना जनपद स्तरीय कमेटी का काम है.
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जनपद स्तरीय कमेटी अधिकतम एक महीने की सुरक्षा प्रदान करने का ही आदेश दे सकती है व अपने इस आदेश को वह अधिकतम दो बार बढ़ा सकती है. इससे अधिक अवधि की सुरक्षा प्रदान करने का अधिकार मण्डल व राज्य स्तरीय कमेटियों को है. लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि जनपद कमेटी के निर्णय को मण्डल कमेटी के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी जा सके. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया.
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