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धर्मांतरण कानून की आड़ में शादीशुदा जोड़े को परेशान न करे पुलिस : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक शादीशुदा जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसका उत्पीड़न न करने का आदेश अमेठी पुलिस को दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने चांदनी और उसके पति की याचिका पर पारित किया.

high court lucknow bench
लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Jan 14, 2021, 9:52 PM IST

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक शादीशुदा जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसका उत्पीड़न न करने का आदेश अमेठी पुलिस को दिया है. उक्त जोड़े की ओर से याचिका दाखिल कर कहा गया है कि तीन साल पहले उनकी शादी हो चुकी है व उनके एक डेढ़ साल का बच्चा भी है. बावजूद इसके पुलिस उन्हें धर्म परिवर्तन कानून के आड़ में परेशान कर रही है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने चांदनी और उसके पति की याचिका पर पारित किया.

पति के विरुद्ध दर्ज कराया गया मुकदमा

याचियों का कहना था कि उन्होंने अपनी मर्जी से तीन साल पहले विवाह कर लिया था और उनका एक बच्चा भी है. वे शांतिपूर्वक अपना जीवन गुजार रहे हैं. हालांकि चांदनी का परिवार उनके रिश्ते के विरुद्ध था. इसलिए उसके पति के विरुद्ध अपहरण की धाराओं में एक एफआईआर अमेठी के कमरौली थाने में दर्ज करा दी गई.

कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के लागू होने के बाद से पुलिस उन्हें लगातार परेशान कर रही है. कोर्ट ने मामले के सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद अमेठी पुलिस को आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक याचियों को कमरौली थाने में दर्ज उक्त एफआईआर के आधार पर परेशान न किया जाए. इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया है.

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक शादीशुदा जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसका उत्पीड़न न करने का आदेश अमेठी पुलिस को दिया है. उक्त जोड़े की ओर से याचिका दाखिल कर कहा गया है कि तीन साल पहले उनकी शादी हो चुकी है व उनके एक डेढ़ साल का बच्चा भी है. बावजूद इसके पुलिस उन्हें धर्म परिवर्तन कानून के आड़ में परेशान कर रही है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने चांदनी और उसके पति की याचिका पर पारित किया.

पति के विरुद्ध दर्ज कराया गया मुकदमा

याचियों का कहना था कि उन्होंने अपनी मर्जी से तीन साल पहले विवाह कर लिया था और उनका एक बच्चा भी है. वे शांतिपूर्वक अपना जीवन गुजार रहे हैं. हालांकि चांदनी का परिवार उनके रिश्ते के विरुद्ध था. इसलिए उसके पति के विरुद्ध अपहरण की धाराओं में एक एफआईआर अमेठी के कमरौली थाने में दर्ज करा दी गई.

कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के लागू होने के बाद से पुलिस उन्हें लगातार परेशान कर रही है. कोर्ट ने मामले के सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद अमेठी पुलिस को आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक याचियों को कमरौली थाने में दर्ज उक्त एफआईआर के आधार पर परेशान न किया जाए. इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय भी दिया है.

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