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सरकारी कर्मचारी पर विभागीय कार्यवाही की सूचना व्यक्तिगत : हाईकोर्ट

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Published : May 14, 2019, 11:27 PM IST

न्यायालय ने कहा कि याची ने आईएफएस अफसरों के विषय में जो सूचना मांगी है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित नियमों की परिधि में आता है और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (जे) में व्यक्तिगत सूचना होने के कारण निषिद्ध है.

लखनऊ हाईकोर्ट

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के निलंबन और विभागीय कार्यवाहियों से जुड़ी सूचना उनकी व्यक्तिगत सूचना होती है. लिहाजा इसे जनसूचना अधिकार के तहत दिए जाने की आवश्यकता नहीं है.

  • यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने डॉ. नूतन ठाकुर की एक याचिका पर दिया.
  • याची की ओर से भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और निलंबन से जुड़ी सूचनाएं मांगी गई थीं, जिसे देने से विभाग द्वारा मना कर दिया गया.
  • इसके बाद याची ने सूचना आयोग में अपील दाखिल की, वहां भी याची की अपील खारिज कर दी गईं.
  • याची का कहना था कि उसके प्रार्थना पत्र को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया था.
  • इसके साथ ही उन्होंने सूचना दिलाए जाने की भी मांग की थी.

सूचना आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के गिरीश रामचंद्र देशपांडे, सीएस श्याम और अन्य मामलों में दिए निर्णयों का हवाला देते हुए कहा गया कि एक कर्मचारी का प्रदर्शन मुख्य रूप से नियोक्ता तथा कर्मचारी के बीच का मामला होता है. यह सामान्यतया सेवा नियमावली से बंधा होता है, जो व्यक्तिगत सूचना में आता है. इसका लोक कार्य या लोकहित से कोई संबंध नहीं होता है.

क्या कहना है न्यायालय का

इस पर न्यायालय ने कहा कि याची ने आईएफएस अफसरों के विषय में जो सूचना मांगी है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित नियमों की परिधि में आता है तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (जे) में व्यक्तिगत सूचना होने के कारण निषिद्ध है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के निलंबन और विभागीय कार्यवाहियों से जुड़ी सूचना उनकी व्यक्तिगत सूचना होती है. लिहाजा इसे जनसूचना अधिकार के तहत दिए जाने की आवश्यकता नहीं है.

  • यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने डॉ. नूतन ठाकुर की एक याचिका पर दिया.
  • याची की ओर से भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और निलंबन से जुड़ी सूचनाएं मांगी गई थीं, जिसे देने से विभाग द्वारा मना कर दिया गया.
  • इसके बाद याची ने सूचना आयोग में अपील दाखिल की, वहां भी याची की अपील खारिज कर दी गईं.
  • याची का कहना था कि उसके प्रार्थना पत्र को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया था.
  • इसके साथ ही उन्होंने सूचना दिलाए जाने की भी मांग की थी.

सूचना आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के गिरीश रामचंद्र देशपांडे, सीएस श्याम और अन्य मामलों में दिए निर्णयों का हवाला देते हुए कहा गया कि एक कर्मचारी का प्रदर्शन मुख्य रूप से नियोक्ता तथा कर्मचारी के बीच का मामला होता है. यह सामान्यतया सेवा नियमावली से बंधा होता है, जो व्यक्तिगत सूचना में आता है. इसका लोक कार्य या लोकहित से कोई संबंध नहीं होता है.

क्या कहना है न्यायालय का

इस पर न्यायालय ने कहा कि याची ने आईएफएस अफसरों के विषय में जो सूचना मांगी है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित नियमों की परिधि में आता है तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (जे) में व्यक्तिगत सूचना होने के कारण निषिद्ध है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

सरकारी कर्मचारी पर विभागीय कार्यवाही की सूचना व्यक्तिगत
आरटीआई के तहत नहीं दी जा सकती जानकारी: हाईकोर्ट
विधि संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारियों
के निलंबन तथा विभागीय कार्यवाहियों से जुड़ी सूचना उनकी व्यक्तिगत सूचना होती है लिहाजा इसे जन सूचना अधिकार के तहत दिये जाने की आवश्यकता नहीं है

    यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने डॉ नूतन ठाकुर की एक याचिका पर दिया। याची की ओर से भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही व निलम्बन से जुड़ी सूचनाएं मांगी गई थीं। जिसे देने से विभाग द्वारा मना कर दिया गया। जिसके बाद याची ने सूचना आयोग में अपील दाखिल की, वहां भी याची की अपील खारिज कर दी गई। याची का कहना था कि उसके प्रार्थना पत्र को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया था। इसके साथ ही उन्होंने सूचना दिलाए जाने की भी मांग की थीसूचना आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के गिरीश रामचंद्र देशपांडे, सी एस श्याम व अन्य मामलों में दिये निर्णयों का हवाला देते हुए कहा गया कि एक कर्मचारी का प्रदर्शन मुख्य रूप से नियोक्ता तथा कर्मचारी के बीच का मामला होता है और यह सामान्यतया सेवा नियमावली से बंधा होता है, जो व्यक्तिगत सूचना में आता है, जिसका लोक कार्य या लोकहित से कोई संबंध नहीं होता है। इस पर न्यायालय ने कहा कि याची ने आईएफएस अफसरों के विषय में जो सूचना मांगी है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित नियमों की परिधि में आता है तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(जे) में व्यक्तिगत सूचना होने के कारण निषिद्ध है। न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

 


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Chandan Srivastava
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