लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के निलंबन और विभागीय कार्यवाहियों से जुड़ी सूचना उनकी व्यक्तिगत सूचना होती है. लिहाजा इसे जनसूचना अधिकार के तहत दिए जाने की आवश्यकता नहीं है.
- यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने डॉ. नूतन ठाकुर की एक याचिका पर दिया.
- याची की ओर से भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और निलंबन से जुड़ी सूचनाएं मांगी गई थीं, जिसे देने से विभाग द्वारा मना कर दिया गया.
- इसके बाद याची ने सूचना आयोग में अपील दाखिल की, वहां भी याची की अपील खारिज कर दी गईं.
- याची का कहना था कि उसके प्रार्थना पत्र को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया था.
- इसके साथ ही उन्होंने सूचना दिलाए जाने की भी मांग की थी.
सूचना आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के गिरीश रामचंद्र देशपांडे, सीएस श्याम और अन्य मामलों में दिए निर्णयों का हवाला देते हुए कहा गया कि एक कर्मचारी का प्रदर्शन मुख्य रूप से नियोक्ता तथा कर्मचारी के बीच का मामला होता है. यह सामान्यतया सेवा नियमावली से बंधा होता है, जो व्यक्तिगत सूचना में आता है. इसका लोक कार्य या लोकहित से कोई संबंध नहीं होता है.
क्या कहना है न्यायालय का
इस पर न्यायालय ने कहा कि याची ने आईएफएस अफसरों के विषय में जो सूचना मांगी है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित नियमों की परिधि में आता है तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (जे) में व्यक्तिगत सूचना होने के कारण निषिद्ध है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.