लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने धर्मांतरण मामले में अभियुक्त मौलाना कलीम सिद्दीकी की जमानत याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अभियुक्त को यह छूट दी है कि वह एनआईए कोर्ट से जमानत खारिज होने के आदेश को अपील के माध्यम से चुनौती दे सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने मौलाना कलीम सिद्दीकी की जमानत याचिका पर दिया है.
याचिका का विरोध करते हुए, अपर शासकीय अधिवक्ता, प्रथम एसएन तिलहरी ने दलील दी कि अभियुक्त की जमानत 3 फरवरी 2022 को एनआईए कोर्ट से खारिज की गई है. लिहाजा, वह 3 फरवरी के आदेश के विरुद्ध सिर्फ अपील दाखिल कर सकता है. कहा गया कि अभियुक्त की जमानत याचिका एनआईए एक्ट के प्रावधानों के तहत पोषणीय नहीं है.
वहीं, अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि चुंकि एनआईए एक्ट की धारा 6 का अनुपालन नहीं किया गया है. लिहाजा जमानत याचिका पोषणीय है. हालांकि न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें व एनआईए एक्ट के प्रावधानों पर गौर करने के उपरांत विस्तृत आदेश पारित करते हुए, उनकी दलील को अस्वीकार कर दिया. उल्लेखनीय है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी पर आरोप है कि वह कई मदरसों व जमीयत-ए-इमाम-वलीउल्ला ट्रस्ट का संचालन करता था. जिसके माध्यम से गैर मुस्लिमों को दावत देकर उनका मुस्लिम धर्म में परिवर्तन कराया जाता था.
अभियुक्त अपने तकरीरों व साहित्यों के जरिए लोगों को यकीन दिलाता था कि गैर मुस्लिम होना लानत की बात है. जब लोग मौलाना की बातों में आकर धर्म परिवर्ततन को तैयार हो जाते हैं, तो यह अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर उनका धर्मातंरण प्रमाण पत्र व दस्तावेज बनवाने का कार्य करता था. जांच में अभियुक्त को विदेशी फंड मिलने की बात भी सामने आई थी. मामले की एफआईआर 20 जून 2021 को एटीएस थाने में उप-निरीक्षक विनोद कुमार ने दर्ज कराई थी.
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