लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उन्नाव के पत्रकार सूरज पांडेय की मृत्यु के मामले में आरोपी महिला दारोगा सुनीता चौरसिया और फरार सिपाही अमर सिंह की याचिका खारिज कर दी है. दोनों अभियुक्तों ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त किए जाने की मांग की थी.
यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने दोनों अभियुक्तों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया. उल्लेखनीय है कि पत्रकार सूरज पांडेय की मृत्यु के मामले को पुलिस ने हत्या की धारा से बदल कर आत्महत्या के लिए मजबूर करने की आईपीसी की धारा 306 में परिवर्तित कर दिया है. आरोपी महिला दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि दूसरा आरोपी सिपाही अमर सिंह अभी फरार चल रहा है.
न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि एफआईआर पढ़ने से ही पता चलता है कि याचियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, ऐसे में यह कोर्ट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. आरोपी महिला दरोगा की याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर गिरफ्तारी से रोक की भी मांग की गई थी, लेकिन उसकी गिरफ्तारी हो जाने के कारण का भी उल्लेख करते हुए न्यायालय ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया.
क्या है मामला?
उन्नाव के सदर कोतवाली क्षेत्र में 12 नवंबर को पत्रकार सूरज पांडे का शव उन्नाव सदर कोतवाली क्षेत्र के शराब मील के पीछे कानपुर-लखनऊ रेलवे लाइन पर पड़ा मिला था. परिजनों ने आरोप लगाया था कि सूरज को घर से साथ ले जाने वाले व्यक्ति ने ही उसकी हत्या की है. इस मामले में मृतक के परिजनों ने महिला एसआई सुनीता चौरसिया और सिपाही अमर सिंह के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.