लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लक्ष्मण टीला मंदिर-मस्जिद विवाद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से पूछा है कि प्रश्नगत स्थल पर अवैध निर्माण या कोई गतिविधि चल रही है तो उसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तिथि नियत करते हुए, इस सम्बंध में शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने लॉर्ड शेषनागेश टीलेश्वर विराजमान की ओर से बतौर नेक्स्ट फ्रेंड डॉ. वीके श्रीवास्तव और अन्य द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया है. याचियों की ओर से अधिवक्ता शैलेन्द्र श्रीवास्तव की दलील थी कि मामले से सम्बंधित विवाद सिविल कोर्ट में विचाराधीन है. हिन्दू पक्ष की ओर से सम्बंधित प्राधिकारियों से प्रश्नगत स्थल का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराये जाने का बार-बार अनुरोध किया जा रहा है.
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आरोप लगाया गया कि इसे देखते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड और टीलेश्वर मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजलुल मन्नान रहमानी ने 17 सितम्बर को जेसीबी मशीन और तीन ट्रकों की सहायता से प्रश्नगत स्थल पर खुदाई शुरू करवा दी और लक्ष्मण मंदिर से सम्बंधित पुरातात्विक साक्ष्य हटाने का प्रयास किया गया. आरोप लगाया गया कि नगर निगम की भी इस अवैध कार्य में मिलीभगत रही. यह भी कहा गया है कि इस गतिविधि की सूचना स्थानीय चौक थाने में दी गई. लेकिन, चौक थाने के प्रभारी ने शिकायत लेने से इंकार कर दिया.
सुनवाई के दौरान डिप्टी सॉलिसीटर जनरल ने न्यायालय को बताया कि एएसआई की ओर से अवैध निर्माण और गतिविधि रोकने के लिए पहले भी कई बार पत्र लिखा जा चुका है. इस पर न्यायालय ने उनके इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लेते हुए अवैध निर्माण और गतिविधियों को रोकने के लिए की गई कार्रवाईयों का ब्यौरा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
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