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एयरफोर्स अधिकारी को हाईकोर्ट से राहत, आपराधिक कार्रवाई को किया निरस्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक एयरफोर्स अधिकारी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को निरस्त कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति फैज आलम खान की एकल पीठ ने एयरफोर्स अधिकारी वैभव प्रदीप खरोदे की याचिका पर पारित किया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Sep 21, 2021, 11:01 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक एयरफोर्स अधिकारी को बड़ी राहत देते हुए उसके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को निरस्त कर दिया है. अधिकारी के शराब परोसने से इंकार करने पर अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर होटल स्टाफ के साथ मारपीट और तोड़फोड़ करने का कथित आरोप था.

यह आदेश न्यायमूर्ति फैज आलम खान की एकल पीठ ने एयरफोर्स अधिकारी वैभव प्रदीप खरोदे की याचिका पर पारित किया. याचिका में कथित मारपीट के मामले में दाखिल चार्जशीट, आईपीसी की धारा 147, 323, 504, 506, 342 और 427 समेत 7, क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट के तहत चार्जशीट पर संज्ञान आदेश और उक्त आपराधिक प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. याची की ओर से दलील दी गई कि 15 अक्टूबर 2017 को उसने गोमती नगर के एक होटल में कमरा बुक किया था. होटल में ही उसकी कुछ अज्ञात लोगों से दोस्ती हो गई. उन लोगों ने कमरे में शराब भेजने की होटल स्टाफ से मांग की और स्टाफ द्वारा इंकार करने पर मारपीट और तोड़फोड़ किया. दलील दी गई कि याची न तो मारपीट में शामिल था और न ही घटना में शामिल लोगों से उसका कोई लेनादेना था.

शिकायतकर्ता योगेश कुमार सिंह और घटना में हुए दो चोटिलों की तरफ से पेश अधिवक्ता ने भी याचिका का समर्थन किया. कहा गया कि एफआईआर किसी गलतफहमी की वजह से दर्ज करा दी गई थी, जबकि याची मारपीट अथवा तोड़फोड़ में शामिल नहीं था. दोनों पक्षों ने अपने बीच हुए समझौते को भी न्यायालय में दाखिल किया. सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत न्यायालय ने कहा कि शिकायतकर्ता और कथित चोटिलों के इंकार के बाद उक्त आपराधिक प्रक्रिया को जारी रखने से कोई फलदायक परिणाम नहीं निकलने वाला लिहाजा प्रक्रिया को खारिज किया जाता है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक एयरफोर्स अधिकारी को बड़ी राहत देते हुए उसके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को निरस्त कर दिया है. अधिकारी के शराब परोसने से इंकार करने पर अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर होटल स्टाफ के साथ मारपीट और तोड़फोड़ करने का कथित आरोप था.

यह आदेश न्यायमूर्ति फैज आलम खान की एकल पीठ ने एयरफोर्स अधिकारी वैभव प्रदीप खरोदे की याचिका पर पारित किया. याचिका में कथित मारपीट के मामले में दाखिल चार्जशीट, आईपीसी की धारा 147, 323, 504, 506, 342 और 427 समेत 7, क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट के तहत चार्जशीट पर संज्ञान आदेश और उक्त आपराधिक प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. याची की ओर से दलील दी गई कि 15 अक्टूबर 2017 को उसने गोमती नगर के एक होटल में कमरा बुक किया था. होटल में ही उसकी कुछ अज्ञात लोगों से दोस्ती हो गई. उन लोगों ने कमरे में शराब भेजने की होटल स्टाफ से मांग की और स्टाफ द्वारा इंकार करने पर मारपीट और तोड़फोड़ किया. दलील दी गई कि याची न तो मारपीट में शामिल था और न ही घटना में शामिल लोगों से उसका कोई लेनादेना था.

शिकायतकर्ता योगेश कुमार सिंह और घटना में हुए दो चोटिलों की तरफ से पेश अधिवक्ता ने भी याचिका का समर्थन किया. कहा गया कि एफआईआर किसी गलतफहमी की वजह से दर्ज करा दी गई थी, जबकि याची मारपीट अथवा तोड़फोड़ में शामिल नहीं था. दोनों पक्षों ने अपने बीच हुए समझौते को भी न्यायालय में दाखिल किया. सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत न्यायालय ने कहा कि शिकायतकर्ता और कथित चोटिलों के इंकार के बाद उक्त आपराधिक प्रक्रिया को जारी रखने से कोई फलदायक परिणाम नहीं निकलने वाला लिहाजा प्रक्रिया को खारिज किया जाता है.

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